ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तराखंड अल्मोड़ापर्यटन नगरी में इस बार भी ग्रीष्मोत्सव होने के आसार नहीं, निराशा

पर्यटन नगरी में इस बार भी ग्रीष्मोत्सव होने के आसार नहीं, निराशा

पर्यटन नगरी रानीखेत में सांस्कृतिक उत्सवों की प्राचीन परंपरा लगभग समाप्त हो चली है। जन संगठनों की दिलचस्पी के अभाव, राजनीतिक दलों के मतभेद के साथ प्रशासनिक सुस्ती व नागरिकों की इच्छा शक्ति में कमी के...

पर्यटन नगरी में इस बार भी ग्रीष्मोत्सव होने के आसार नहीं, निराशा
हिन्दुस्तान टीम,अल्मोड़ाSun, 30 Jun 2019 04:10 PM
ऐप पर पढ़ें

पर्यटन नगरी रानीखेत में सांस्कृतिक उत्सवों की प्राचीन परंपरा लगभग समाप्त हो चली है। जन संगठनों की दिलचस्पी के अभाव, राजनीतिक दलों के मतभेद के साथ प्रशासनिक सुस्ती और नागरिकों की इच्छा शक्ति में कमी के चलते डेढ़ दशक से भी अधिक वक्त से नगर में सांस्कृतिक उत्सव नहीं हो पा रहे हैं। इस बार भी नगर ग्रीष्मोत्सव का आयोजन होने की उम्मीद नहीं है। इस संबंध में नागरिकों की प्रशासन के साथ प्रस्तावित बैठक दो बार स्थगित हो चुकी है।

रानीखेत में सांस्कृतिक उत्सवों के आयोजन का समृद्ध अतीत रहा है। पूर्व में नगर में ग्रीष्मोत्सव और शरदोत्सव के नाम से साल में दो बड़े सांस्कृतिक उत्सव होते थे। उत्सव लोक संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के माध्यम होने के साथ पर्यटन विकास भी जरिया थे। लेकिन 2003 के बाद विभिन्न कारणों से सांस्कृतिक उत्सवों का आयोजन बंद हो गया। हालांकि प्रशासन, जन संगठनों और नागरिकों की पहल के बाद 2015 में 12 सालों के लंबे अंतराल के बाद रानीखेत महोत्सव का आयोजन हो सका। दुर्भाग्यवश अगले साल ही परंपरा फिर से टूट गई। इसके बाद से हर साल ग्रीष्मोत्सव के आयोजन को लेकर प्रशासन के साथ जन संगठनों, नागरिकों, राजनीतिक दलों की संयुक्त बैठकों का दौर चलता रहा है। लेकिन कभी राजनीतिक दलों की आपसी खींचतान, तो कभी नागरिकों और जन संगठनों की इच्छा शक्ति में कमी, आम सहमति के बन पाने के अभाव में आयोजन खटाई में पड़ता रहा। इस साल भी ग्रीष्मोत्सव को लेकर रंगकर्मी विमला सती, कैंट बोर्ड उपाध्यक्ष मोहन नेगी आदि की संयुक्त मजिस्ट्रेट नरेंद्र सिंह भंडारी के साथ दो बार बैठकें हो चुकी हैं। बैठकों में ग्रीष्मोत्सव की तैयारियों और आम राय बनाने के लिए नागरिकों के साथ बैठकों की दो बार तिथियां भी तय की गई। लेकिन प्रशासन की ओर से हर बार तिथि को स्थगित कर दिया गया।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें