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विद्यार्थियों ने हिमालय की लगातार बिगड़ती सेहत व खतरों के प्रति किया आगाह

हिमालय संरक्षण को लेकर आपके प्रिय समाचार पत्र हिन्दुस्तान की मुहिम के क्रम में विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के बीच पर्वतराज हिमालय पर व्यापक चर्चा-परिचर्चा जारी है। इसी क्रम में रानीखेत के केंद्रीय...

विद्यार्थियों ने हिमालय की लगातार बिगड़ती सेहत व खतरों के प्रति किया आगाह
हिन्दुस्तान टीम,अल्मोड़ाSun, 02 Sep 2018 10:44 PM
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हिमालय संरक्षण को लेकर आपके प्रिय समाचार पत्र हिन्दुस्तान की मुहिम के क्रम में विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के बीच पर्वतराज हिमालय पर व्यापक चर्चा-परिचर्चा जारी है। इसी क्रम में रानीखेत के केंद्रीय विद्यालय, राजकीय आदर्श बालिका इंटर कालेज, छावनी इंटर कालेज, नेशनल इंटर कालेज व विवेकानंद विद्या मंदिर में समूह चर्चा कराई गई। विद्यार्थियों ने आदि काल से सजग प्रहरी व जलवायु के आधार हिमालय की बिगड़ती सेहत पर गहरी चिंता जताते हुए इसके संरक्षण की दिशा में ठोस योजना नहीं बन पाने पर सवाल उठाए और भविष्य के खतरों के प्रति आगाह किया। उन्होंने कहा, हिमालय की सेहत पर विपरीत असर पड़ने से यहां से निकलने वाली सदानीरा नदियां ही नहीं रहेंगीं, तो भारत के कृषि प्रधान देश का दर्जा समाप्त होने के साथ भुखमरी के हालात पैदा हो सकते हैं।

हिमालय की चोटियों व हिमालय निकलने वाली नदियों के नाम से विद्यालयों में छह ग्रुपों में बंटे विद्यार्थियों ने पर्वतराज हिमालय को लेकर व्यापक चर्चा की और विचार रखे। कहा, आदिकाल से बेहद पवित्र माने जाने वाले धरोहर स्वरूप हिमालय की सेहत आज लगातार बिगड़ रही है। लाखों करोड़ों सालों से हिमालय न सिर्फ शुद्ध पर्यावरण का आधार है, बल्कि बॉर्डर में एक अडिग दीवार के रूप भारतवर्ष की रक्षा करता आ रहा है। हिमालय से कई संस्कृतियों का उद्गम होने के साथ जन सरोकार पर्वत से जुड़े हैं। पर्यावरण प्रदूषण, ग्लोबल वॉर्मिंग, पॉलीथीन आदि मानव जनित कारणों से हिमालय के पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ने से ग्लेशियर पिघल रहें हैं। हिमालय से निकलने वाली दर्जनों सदानीरा नदियां जो देश के बड़े भूभाग को सिचाईं सुविधा प्रदान करती है, उनके भी अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। हिमालयी क्षेत्र में पाई जानी वाली दुर्लभ जड़ी बूटियां व जीव-जंतु भी विलुप्ति का संकट झेल रहें हैं। कहा, अनियोजित व अवैज्ञानिक विकास को लेकर कई बार वैज्ञानिक चेता चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद इस पर ध्यान नहीं दिया जाना गंभीर भविष्य के लिए गंभीर खतरा हो सकता है। प्लास्टिक व पॉलीथीन को हिमालय की जलवायु व पर्यावरण के लिए सबसे घातक करार देते हुए इस पर प्रभावी रोक की पैरवी की गई। विद्यार्थियों ने हाल में देहरादून से बॉयोफ्यूल से उड़े विमान का भी जिक्र करते हुए ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों पर निर्भरता बढ़ाने का सुझाव दिया।

श्रद्धा, आयशा, भाष्कर, ज्योति, दिवाकर का भाषण प्रतियोगिता के चयन

रानीखेत। केंद्रीय विद्यालय में श्रद्धा जोशी, तारा रेखाड़ी, सरिता जोशी, ध्रुव उपाध्याय, सोनाली अधिकारी, अनुशिखा आर्या ने अपने-अपने ग्रुपों में बाजी मारी। प्रभारी प्रधानाचार्य संजय रावत, वरिष्ठ हिंदी प्रवक्ता डॉ. मंजुल मठपाल व गौरव मिश्रा निर्णायक रहे। राजकीय आदर्श बालिका इंटर कालेज में मनीषा मेहरा, किरन बिष्ट, आंचल, दीक्षा कार्की, आयशा, दीपांशी अव्वल रहे। प्रधानाचार्या नीलम नेगी ने भी हिमालय के महत्व पर प्रकाश डाला। बिंदु कोहली, नीरू पांडे, करिश्मा बर्ग ने निर्णायकों की भूमिका अदा की। नेशनल इंटर कालेज में विवेक कुमार, भाष्कर कुमार, रश्मि, नेहा बिष्ट, निधि तिवारी, अंजलि जलाल ने बाजी मारी। वरिष्ठ प्रवक्ता श्याम सिंह अधिकारी, निर्मल जोशी निर्णायक रहे। छावनी इंटर कालेज में ज्योति वर्मा, शालिनी, शायना, ज्योति आर्या, खुशबू, प्रिया अपने ग्रुप में अव्वल रहे। प्रधानाचार्य ललित मोहन ने पर्यावरण का महत्व समझाया। विवेकानंद विद्या मंदिर उमावि में संदीप बिष्ट, रागिनी जोशी, पलक भारती, दिवाकर सती, युवराज मोहन, राजीव पांडे ने बाजी मारी। प्रधानाचार्य रमेश बिष्ट ने हिमालय संरक्षण के लिए सभी से आगे आने का आह्वान किया। सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के आधार पर केंद्रीय विद्यालय से श्रद्धा जोशी, राजकीय बालिका इंटर कालेज से आयशा, नेशनल इंटर कालेज से भाष्कर कुमार, छावनी इंटर कालेज से ज्योति आर्या, विवेकानंद विद्या मंदिर से दिवाकर सती अंतर विद्यालयी भाषण प्रतियोगिता के लिए चयनित किए गए। भाषण प्रतियोगिता 4 सितंबर को रानीखेत मिशन इंटर कालेज में प्रात: 10 बजे से शुरू होगी। मुख्य अतिथि विधायक करन माहरा विजेताओं को पुरस्कार वितरित करेंगे।

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