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विभिन्न राज्यों के काश्तकारों सहित छात्रों को भा रही उत्तराखंड की परंपरागत खेती

उत्तर प्रदेश सहित देश के तमाम राज्यों के काश्तकारों को उत्तराखंड की परंपरागत खेती व कृषि तकनीक खासी भा रही है। उत्तराखंड की कृषि की परंपरागत तकनीकों को सीखने देश भर से काश्तकार, छात्र-छात्राएं व...

विभिन्न राज्यों के काश्तकारों सहित छात्रों को भा रही उत्तराखंड की परंपरागत खेती
हिन्दुस्तान टीम,अल्मोड़ाFri, 28 Dec 2018 07:02 PM
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उत्तर प्रदेश सहित देश के तमाम राज्यों के काश्तकारों को उत्तराखंड की परंपरागत खेती व कृषि तकनीक खासी भा रही है। उत्तराखंड की कृषि की परंपरागत तकनीकों को सीखने देश भर से काश्तकार, छात्र-छात्राएं व शोधार्थी मजखाली स्थित राज्य जैविक कृषि प्रशिक्षण एवं अनुसंधान केंद्र में पहुंच रहे हैं।

इसी क्रम में सैम हिंगिंग बॉटम विश्वविद्यालय नैनी प्रयागराज (इलाहाबाद) के कृषि स्नातक के 18 छात्र-छात्राओं का दल मजखाली पहुंचा है। तीन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों को परंपरागत कृषि तकनीकों, जैविक खादों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। दल खेतों का भ्रमण कर फसलों का भी अध्ययन करेगा। राज्य जैविक कृषि प्रशिक्षण एवं अनुसंधान केंद्र मजखाली में सैम हिंगिंग बॉटम विवि नैनी प्रयागराज (इलाहाबाद) के 18 सदस्यीय छात्रों के दल की प्रशिक्षण कार्यशाला शुरू हो गई है। पहले दिन प्रशिक्षण कार्यशाला में छात्र-छात्राओं का परिचय प्राप्त कर उन्हें केंद्र के बारे में जानकारी दी गई। केंद्र प्रभारी डा. डीएस नेगी सहित विशेषज्ञों ने कार्यशाला में छात्र-छात्राओं को उत्तराखंड की परंपरागत खेती के बारे में बताया। डा. नेगी ने कहा उत्तराखंड की परंपरागत खेती के साथ छात्र जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पंचगव्य, अमृतपानी, जीवा अमृत, वैदिक आदि जैविक खादों के बारे में भी प्रशिक्षण लेंगे। प्रशिक्षुओं को उन्नत कृषि के साथ परंपरागत तकनीकों से खेती का प्रशिक्षण दिया जाएगा। कार्यशाला में अब छात्रों को केंद्र सहित आस-पास का भ्रमण कराकर खेतों में फसलों की जानकारी दी जाएगी। पहले दिन केंद्र प्रभारी डा. नेगी के साथ डा. सुमन महान, मनोहर अधिकारी ने व्याख्यान दिए।

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