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कभी ग्लूकोज के लिए प्रसिद्ध थी कुमाऊं की आल्पस दवा कंपनी

एक दौर था जब आल्पस दवा कंपनी के ग्लूकोज पूरे उत्तर प्रदेश में प्रसिद्ध थे। इस कंपनी में बनने वाले ग्लूकोज की सप्लाई उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में की जाती थी। लेकिन आज वही कंपनी का अस्तित्व...

कभी ग्लूकोज के लिए प्रसिद्ध थी कुमाऊं की आल्पस दवा कंपनी
हिन्दुस्तान टीम,अल्मोड़ाSat, 16 Mar 2019 10:41 PM
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एक दौर था जब आल्पस दवा कंपनी का ग्लूकोज पूरे उत्तर प्रदेश में प्रसिद्ध था। इस कंपनी में बनने वाले ग्लूकोज की सप्लाई उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में की जाती थी। लेकिन आज वही कंपनी का अस्तित्व संकट में है। फैक्ट्री पिछले सात माह से बंद है। अब कंपनी की भूमि भी सीज कर दी गई है।

आल्पस दवा कंपनी की स्थापना सन 1975-76 में हुई। स्थानीय दो भाइयों खजान जोशी और हरीश चंद्र जोशी ने मिलकर इस फैक्ट्री को स्थापित किया। इसके लिए तत्कालीन उत्तप्रदेश सरकार ने फैक्ट्री के डायरेक्टर खजान जोशी को 30 साल के लिए सरकारी भूमि लीज पर दी गई थी। नगर के पातालदेवी स्थित इस आल्पस दवा कंपनी की शुरुआत ग्लूकोज बनाने वाली कंपनी के रूप में शुरू हुई थी। तब यहां पर ग्लूकोज का प्लांट था। लेकिन बाद में इस कंपनी ने धीरे-धीरे काफी उन्नति की और यहां इंजेक्शन का प्लांट भी खोला गया। साथ ही तमात प्रकार की दवाइयां यहां पर बनाई जाने लगी। कंपनी की शुरुआत 30 कर्मचारियों से शुरू हुई और 2014 तक 250 से अधिक कर्मचारी यहां पर कार्य करते थे। ज्यादातर स्थानीय लोगों को यहां पर रोजगार मुहैया हुआ था। जानकारी मुताबिक कंपनी की स्थापना के समय ही तत्कालीन उत्तरप्रदेश सरकार के साथ अनुबंध हुआ था। जिसमें एक शासनादेश जारी किया गया था कि उत्तरप्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों को दवाइयों के लिए मिलने वाले कुल बजट से 15 फीसदी दवाइयां आल्पस कंपनी से खरीदी जाएंगी।

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1995 में बनी आल्पस फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी

अल्मोड़ा। अच्छी दवाइयों और ग्लूकोज के लिए प्रसिद्ध यह कंपनी दिनों दिन काफी उन्नति करती गई। इंजेक्शन और ग्लूकोज प्लांट के साथ ही 1995 में टैबलेट और सिरप का प्लांट भी शुरू हुआ। जिस स्थान पर यह प्लांट स्थापित किए गए वह औद्योगिक आस्थान की भूमि थी। 1995 से ही इस कंपनी को आल्पस फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड का नाम मिला।

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सात माह से बंद है कंपनी

अल्मोड़ा। 2005 तक इस कंपनी को खजान जोशी ने खुद संचालित किया। 2005 में प्रबंधक डायरेक्टर खजान जोशी ने इस कंपनी के शेयर गुजरात के व्यवसायी जयेश शुक्ला को विक्रय कर दिए। जिसके बाद कंपनी का स्वामित्व मुख्य रूप से जयेश शुक्ला के पास आ गया। 2014 तक कंपनी का कारोबार अच्छा रहा। लेकिन 2014 के बाद कंपनी का अस्तित्व संकट में आने लगा। बीते वर्ष जुलाई माह से कंपनी का डायरेक्टर जयेश शुक्ला फरार है। सात माह से कंपनी बंद है। 138 कर्मचारियों को तीन साल के ईपीएफ और कई माह के वेतन का भुगतान नहीं हुआ है।

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