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अगले एक माह तक नहीं हो पाएंगे मांगलिक कार्य

अब अगले एक माह तक न तो शहनाई की गूंज ही सुनाई देगी और न ही किसी मांगलिक कार्य की आहट ही मन को गुदगुदाएगा। 15 मई से अधिकमास होने के कारण अब एक माह तक वैवाहिक कार्यक्रम व यज्ञोपवित संस्कारों आदि...

अगले एक  माह तक नहीं हो पाएंगे मांगलिक कार्य
हिन्दुस्तान टीम,अल्मोड़ाSun, 13 May 2018 10:07 PM
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अब अगले एक माह तक न तो शहनाई की गूंज सुनाई देगी और न ही किसी मांगलिक कार्य की आहट ही मन को गुदगुदाएगा। 15 मई से अधिकमास होने के कारण एक माह तक वैवाहिक कार्यक्रम व यज्ञोपवीत संस्कार आदि मांगलिक कार्यों के आयोजनों पर विराम लग गया है। अधिकमास को मलमास या पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित धीरेंद्र पंत ने बताया कि सौरमास एवं चंद्रमास दोनों की अलग-अलग स्वतंत्र रूप से चलते रहते हैं। जब चंद्रमासों की दो लगातार अमावस्याओं के बीच में संक्रांति नहीं आती यानि एक माह में दो आमावस्या होती हैं तो उसे अधिकमास माना जाता है। भारतीय पंचांग के अनुसार प्रत्येक तीसरे वर्ष एक अधिमास होता है। यह सौर और चंद्र मास को एक समान लाने की गणितीय विधि है। शास्त्रों के अनुसार पुरुषोत्तम मास में किए गए जप, तप, दान से पुण्यों की प्राप्ति होती है। उन्होंने बताया कि अधिमास लगने से अब वैवाहिक कार्यक्रम, यज्ञोपवीत, मकान का कार्य, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य 16 जून तक नहीं किये जा सकते हैं। अधिकमास में पूजा, भागवत श्रवण लाभदायकपंडित धीरेन्द्र पंत ने बताया कि इस माह में व्रत, दान, पूजा, हवन, ध्यान करने से पाप कर्म समाप्त हो जाते हैं और पुण्यों का फल कई गुना प्राप्त होता है। देवी भागवत पुराण के अनुसार मलमास में किए गये सभी शुभ कर्मों का फल प्राप्त होता है। इस माह में भागवत कथा श्रवण, तीर्थ स्थलों पर स्नान का भी विशेष महत्व बताया गया है।

अधिक मास का नियमसौर वर्ष 365 दिन का होता है जबकि चंद्र वर्ष 354 दिन का होता है। इससे दोनों के कैलेंडर वर्ष में लगभग 10 दिन का अंतर आ जाता है और तीन वर्षों में यह अंतर एक माह का हो जाता है। इस असमानता को दूर करने के लिए अधिकमास का नियम बनाया गया है।

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