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जालली इंटर कालेज में नहीं गणित, अंग्रेजी और विज्ञान के शिक्षक

जालली इंटर कालेज में गणित, अंग्रेजी, भौतिक विज्ञान विषय में लंबे समय से कोई शिक्षक नहीं है। अंग्रेजी विषय का पद भी करीब पांच साल से पद रिक्त चल रहा है। इन सबके बावजूद भी पिछले वर्ष हाईस्कूल में 14...

जालली इंटर कालेज में नहीं गणित, अंग्रेजी और विज्ञान के शिक्षक
हिन्दुस्तान टीम,अल्मोड़ाSun, 31 Dec 2017 05:14 PM
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जालली इंटर कॉलेज में गणित, अंग्रेजी, भौतिक विज्ञान विषय में लंबे समय से कोई शिक्षक नहीं है। अंग्रेजी विषय का पद भी करीब पांच साल से पद रिक्त चल रहा है। इन सबके बावजूद भी पिछले वर्ष हाईस्कूल में 14 बच्चे प्रथम श्रेणी और इंटर में 9 बच्चे प्रथम श्रेणी में पास होने में कामयाब हुए। वर्तमान में कॉलेज की छात्र संख्या 244 हैं। मुख्य विषयों में अध्यापक नहीं होने के बाद भी इस बार हाईस्कूल में 35 और इंटरमीडिएट में 81 छात्र-छात्राएं बोर्ड परीक्षा में सम्मलित होंगे। जालली इंटर कॉलेज की वर्ष 1943 में प्राथमिक शिक्षा के साथ शुरुआत हुई थी। इसके बाद लगातार दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र होने के चलते क्षेत्र के दर्जनों ग्रामवासी इसका लाभ लेते रहे हैं। भिकियासैंण और द्वाराहाट ब्लॉक के सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित स्कूल में ईडा-चौघार, मॉसो, सनड़े, भटकोट, जालली, सिमल्टा, बयेडा आदि क्षेत्रों से सात-आठ किलोमीटर पैदल चलकर भी स्कूल में छात्र-छात्रांए पढ़ाई के लिए पहुंचते हैं। विद्यालय में प्रवक्ता के 10 एवं एलटी में 7 पद स्वीकृत हैं। जिसमें चार पदों में शिक्षक कार्यरत हैं। तीन पदों में अतिथि शिक्षक हैं। वहीं एलटी में विज्ञान पद सृजित ही नहीं है। बाकी पदों में मौजूद एलटी शिक्षकों के सहारे ही स्कूल का भविष्य टिका हुआ है। वहीं परिचारक के तीन और कनिष्ठ सहायक के पदों में भी वर्षों से नियुक्ति नहीं हो पाई है, जबकि वर्ष 2004 में कॉलेज से विजय शुक्ला नाम के छात्र ने उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा में टॉपर की सूची स्थान बनाया है। इस वर्ष भी दो छात्रों ने राजकीय विज्ञान समारोह में प्रदेश स्तर तक पहुचने में सफलता अर्जित की। इन सबके बावजूद भी शिक्षकों का टोटा हमेशा विद्यालय में बना रहा। शैक्षणिक माहौल तैयार करने एवं गरीब छात्रों की मदद करने में मौजूद शिक्षक पूरे मनोयोग से कार्य कर रहे हैं। इस वर्ष शिक्षकों ने स्वयं पैसा जमा कर 14 बच्चों को जूते बांटे वहीं, 17 बच्चों को निर्धन छात्रवृत्ति से स्वेटर वितरित किए गए। कई बार क्षेत्रीय लोगों ने शिक्षकों की मांग को लेकर उच्चाधिकारियों से पत्र व्यवहार भी किया गया है। लेकिन आज तक शिक्षकों की कमी पूरी नहीं हो पाई।

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