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भारतीय संस्कृति का पश्चिमी देशों में हो रहा विस्तार: डा़ मारिया

एसएसजे में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के उद्घटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता जर्मनी से पहुंची डा़ मारिया वृत्त ने कहा कि पश्चिमी देशों में संस्कृत भाषा पर शोध कार्य का कार्य...

भारतीय संस्कृति का पश्चिमी देशों में हो रहा विस्तार: डा़  मारिया
हिन्दुस्तान टीम,अल्मोड़ाSat, 30 Mar 2019 10:28 PM
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एसएसजे में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के उद्घटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता जर्मनी से पहुंची डा़ मारिया वृत्त ने कहा कि पश्चिमी देशों में संस्कृत भाषा पर शोध कार्य का कार्य लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने भारतीय संस्कृति के अनुरूप भगवान पर विश्वास की अवधारणा को लेकर कहा कि भारत में दैवीय प्रभाव कूट-कूट कर भरा है। कुमाऊं विश्वविद्यालय के एसएसजे परिसर में इतिहास विभाग की ओर से आयोजित ‘भारतीय संस्कृति और इसका वैश्विक प्रभाव विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में कई विद्वान मौजूद रहे। चित्रकला विभाग के सभागार में चल रहे सेमिनार के मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो़ डीके नौड़ियाल कहा कि भारतीय संस्कृति में खगोलशास्त्र, गणित और चिकित्सा का स्वर्णिम इतिहास रहा है। मर्म चिकित्सा के मर्मज्ञ डा़ एसके जोशी ने योग के आधार पर भारतीय संस्कृति की प्रासंगिकता पर अपने विचार व्यक्त किए। प्रो़ संजय टम्टा ने भारतीय संस्कृति में वसुधैव कुटुम्बकम के भाव पर व्याख्यान दिया। विशिष्ट अतिथि प्रो़ आरएस अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं से भारतीय संस्कृति को आत्मसात करने पर जोर दिया। कला संकायाध्यक्ष प्रो़ एसए हामिद ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए उनका परिचय कराया। कार्यक्रम की अध्यक्षता परिसर अध्यक्ष प्रो़ आरएस पथनी व संचालन प्रो़ वीडीएस नेगी ने किया। इस अवसर पर इतिहास विभाग के डा़ इंदु रावत, प्रो अनिल जोशी, डा़ सीपी फुलोरिया, प्रो़ इला साह, प्रो़ अरविंद अधिकारी, प्रो निर्मला पंत, रवि कुमार, डा़ ललित जोशी, जीवन भट्ट, चंदन पांडे, दयावर्द्धन, दीपा भंडारी, दिव्या तनवार, प्रो़ प्रेमलता पंत, प्रो़ गिरीश पंत समेत कई प्राध्यापक शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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