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महिलाओं की पेंशन लागू न कर पाने का अफसोस: रावत

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को शगुन आंखर गाने वाली महिलाओं की पेंशन लागू नहीं कर पाने का बेहद अफसोस है। उन्होंने कहा कि वह लोक संस्कृति के प्रतीक गंगा दशहरा पत्र को उत्तराखंड के शुभंकर का स्वरूप देना...

महिलाओं की पेंशन लागू न कर पाने का अफसोस: रावत
हिन्दुस्तान टीम,अल्मोड़ाMon, 17 Jul 2017 04:38 PM
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पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को शगुन आंखर गाने वाली महिलाओं की पेंशन लागू नहीं कर पाने का बेहद अफसोस है। उन्होंने कहा कि वह लोक संस्कृति के प्रतीक गंगा दशहरा पत्र को उत्तराखंड के शुभंकर का स्वरूप देना चाहते थे, लेकिन समय के अभाव और चुनाव अचार संहिता लग जाने के कारण यह महत्वपूर्ण कार्य नहीं हो पाए। रावत ने कहा कि राज्य की वर्तमान सरकार पिछली सरकार के सभी कार्यों को बदलने की नकारात्मक परंपरा शुरू कर रही है, जो राज्य हित में ठीक नहीं है। अपने पैतृक गांव मोहनरी में हिन्दुस्तान से वार्ता में पूर्व सीएम रावत ने कहा कि उनकी सरकार ने प्रदेश के हर वर्ग के विकास के लिए योजनाएं शुरू की थी। समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए पेंशन लागू कर उनके उत्थान का प्रयास किया गया। रावत ने कहा कि वह पर्वतीय क्षेत्रों में शगुन आखर गाने वाली महिलाओं के लिए भी पेंशन लागू करना चाहते थे, लेकिन समयाभाव और चुनाव आचार संहिता लग जाने के कारण पेंशन के आदेश पर हस्ताक्षर नहीं कर पाए। देवभूमि की लोक संस्कृति के प्रतीक गंगा दशहरा पत्र को राज्य के शुभांकर का स्वरूप देने की भी उनकी इच्छा थी। ये दो कार्य नहीं कर पाने का उन्हें आज भी बेहद अफसोस है। पूर्व सीएम ने कहा कि राज्य की वर्तमान सरकार यह मानने को तैयार नहीं कि पिछली सरकारों ने भी प्रदेश में काम किए थे, जो चिंता का विषय है। प्रदेश सरकार पिछली सरकार की सभी विकास योजनाओं और कार्यों को बदलने की नकारात्मक परंपरा शुरू कर रही है। इसका परिणाम यह होगा कि पांच साल बाद मिले-जुले कार्य सामने आएंगे, लेकिन कोई भी काम पूरा नहीं होगा। अपना नाम व श्रेय लेने के फेर में पुराने विकास कार्यों को छोड़ना राज्य हित कतई ठीक नहीं। सरकार विकास कार्यों के लिए धन की व्यवस्था भी नहीं कर रही। पूर्व सीएम ने कहा कि प्रकृति और परंपराओं संरक्षण के साथ तकनीकी विकास पर जोर दिया जाना चाहिए।

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