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साइबर अपराधियों का कहर, पूर्व प्रोफेसर से 7.69 करोड़ ठगे, रेलवे के Ex GM 8 दिन रहे डिजिटल अरेस्‍ट

  • जालसाजों ने शेयर मार्केट में लखनऊ विश्वविद्यालय से रिटायर प्रो. राजीव रंजन शरण से चार महीने में 7,69,74,429 रुपये ठग लिए। वहीं रेलवे के सेवानिवृत जीएम को 8 दिन तक डिजिटल अरेस्‍ट रखा और 12 लाख रुपए ऐंठ लिए। एक निजी कंपनी कर्मचारी ने साइबर अपराधियों के जाल में फंसकर 23 लाख रुपए गंवा दिए।

Ajay Singh हिन्दुस्तान, वरिष्‍ठ संवाददाता, लखनऊSat, 28 Dec 2024 11:36 AM
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साइबर अपराधियों का कहर, पूर्व प्रोफेसर से 7.69 करोड़ ठगे, रेलवे के Ex GM 8 दिन रहे डिजिटल अरेस्‍ट

Cyber ​​crime in Uttar Pradesh: यूपी की राजधानी लखनऊ में साइबर अपराधियों का कहर बरपा है। जालसाजों ने शेयर मार्केट में निवेश के नाम पर लखनऊ विश्वविद्यालय से रिटायर प्रो. राजीव रंजन शरण से चार महीने में 7,69,74,429 रुपये ठग लिए। वहीं रेलवे के सेवानिवृत जीएम को आठ दिन तक डिजिटल अरेस्‍ट रखा और 12 लाख रुपए ऐंठ लिए। वहीं एक निजी कंपनी कर्मचारी ने साइबर अपराधियों के जाल में फंसकर 23 लाख रुपए गंवा दिए।

पूर्व प्रोफेसर को जालसाजों ने निवेश के नाम पर सितंबर से अपने झांसे लिया। पहले उन्हें विश्वास में लेने के लिए व्हाट्सऐप पर एसबीआई सिक्योरिटीज वीआईपी के नाम से ग्रुप बनाकर जोड़ा। तमाम तरीके से निवेश के तरीके बताए ज्यादा मुनाफे का झांसा दिया। जालसाजों ने उन्हें एक वेबसाइट से भी जोड़ा। प्रलोभन में आकर राजीव रंजन शरण ने पहले 20 लाख रुपये लगाए। वेबसाइट पर मुनाफे में बढ़ोतरी देखकर रुपये लगाते चले गए। राजीव ने रुपये निकालने की कोशिश की तो वेबसाइट बंद कर दी गई। राजीव ने साइबर थाने में केस दर्ज कराया है। यह प्रदेश की अबतक की सबसे बड़ी ठगी बताई जा रही है।

रुपये कई राज्यों में ट्रांसफर, राजस्थान के खाते में 50 लाख फ्रीज कराए

साइबर थाना ब्रजेश यादव ने बताया कि इनका नेटवर्क कई राज्यों में है। रुपये राजस्थान समेत कई राज्यों के खातों में ट्रांसफर हुए हैं। राजस्थान के एक बैंक खाते में 50 लाख फ्रीज कराए गए हैं। चार टीमें बनाकर जांच जारी है।

रेलवे के सेवानिवृत्त जीएम को आठ दिन डिजिटल अरेस्ट रखा , 12 लाख ठगे

साइबर जालसाजों ने सीबीआई अधिकारी बन कर रेलवे के सेवानिवृत्त महाप्रबंधक (जीएम) को आठ दिन डिजिटल अरेस्ट रखा। मनी लांड्रिंग के केस और मोबाइल नंबर गलत काम में प्रयोग होने की बात कह कर डराया। जेल भेजने की धमकी देकर 12 लाख रुपये ऐंठ लिए। 90 लाख रुपये के शेयर बिकवा दिए और पैसे अपने खाते में जमा करने का दबाव बनाया। इंटरनेट बैंकिंग के अभाव में पीड़ित को बैंक भेजा, तब तक बंद हो चुका था। घर लौटकर उन्होंने परिवार वालों को आपबीती बताई तब ठगी का पता चला।

अर्जुनगंज सनशाइन ए ओमेक्स रेजीडेंसी निवासी पूर्व आईआरटीएस अफसर कमल कुमार सक्सेना रेलवे में महाप्रबंधक के पद से सेवानिवृत्त हैं। उन्होंने साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज कराया है कि छह दिसंबर को राहुल नाम के एक व्यक्ति का उनके पास फोन आया। उसने कहा कि आपका मोबाइल नंबर गैरकानूनी काम में इस्तेमाल हो रहा है। साथ ही उसने कॉल दूसरे नंबर पर ट्रांसफर कर दी। इसके बाद गोपेश नाम के व्यक्ति ने बात की और खुद को इंस्पेक्टर कनॉट प्लेस बताया। उसने कहा कि आपके खिलाफ दिल्ली में मनी लांड्रिंग का केस दर्ज है। अगर केस तुरंत खत्म कराना हो तो कॉल सीबीआई के डीसीपी नवजोत सिमी को ट्रांसफर कर दूं। हामी भरने पर अगले दिन सुबह नवजोत सिमी का फोन आया। डीसीपी सिमी ने कहा कि 12 लाख रुपये बताए गए खाते में जमा कर दो तो जेल नहीं जाना पड़ेगा। दबाव में आकर उन्होंने 12 लाख बताए खाते में जमा कर दिए।

रुपये भेजने के अगले दिन फिर फोन आया। इस बार अपनी संपत्ति का विवरण भेजने के लिए कहा। 9 दिसंबर को फोन कर उनके सारे शेयर बिकवा दिए। शेयर बेचकर 90 लाख रुपये उनके खाते में आए। इसमें से 40 लाख रुपये खाते में जमा करने के लिए कहा। उन्होंने नेट बैंकिंग न होने से रुपये न भेज पाने की बात कही। जालसाज ने बैंक में जाकर रुपये भेजने का दबाव बनाया। साइबर क्राइम थाने के इंस्पेक्टर ब्रजेश यादव के मुताबिक मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है।

हरियाणा में भी कुछ दिन पहले लाखों हड़पे

इस गिरोह ने वीके ट्रेडिंग के बैंक खाते में भी सिरसा हरियाणा के एक व्यक्ति से 22 लाख रुपये की ठगी की थी। 28 अगस्त 2024 को गिरोह के राहुल व मुहफिजुद्दीन हरियाणा में गिरफ्तार किए गए थे। दो महीने जेल में रहने के बाद कृष्ण व मुहफिजुद्दीन की जमानत हो गई। राहुल अब भी जेल में बंद है। जेल से छूटने के बाद यह और मुहफिजुद्दीन फिर से गिरोह के सदस्यों के साथ साइबर ठगी करने लगे।

जेल भेजने की धमकी दे 6.20 लाख ठगे

गोमतीनगर निवासी रेनू वर्मा को जालसाजों ने खुद को ट्राई का अधिकारी बता अपने जाल में फंसाया। जालसाज ने कहा कि उनके मोबाइल नंबर के खिलाफ दिल्ली पुलिस में मुकदमा दर्ज है। उनका मोबाइल नंबर ब्लॉक कर दिया जाएगा। इसके बाद एक व्यक्ति से वीडियो कॉल कराई। उसने खुद को दिल्ली पुलिस में तैनात डीसीपी राजवीर कुमार बताया। कहा कि आपके खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी हो गया है। आपके नाम से दिल्ली के बैंक में खाते के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग की गई है। आपके खाते की जांच ईडी करेगी। जेल जाने से बचना है तो खाते में 6.20 लाख रुपये जमा कर दो। उन्होंने रुपये बताए खाते में भेज दिए।

50 रुपये के लालच में गंवा बैठे 23 लाख

एक निजी कम्पनी में कार्यरत प्रभात सिंह पिछले साल सितम्बर में लालच में 23 लाख रुपये गवां बैठे थे। वह साइबर अपराधियों के जाल में फंसते चले गए थे। प्रभात ने बताया था कि हर आधे घंटे में 50 रुपये मिलने के लालच में वह अपराधियों का शिकार बनते चले गए थे। प्रभात कहते हैं कि इतनी बड़ी रकम गवांने के बाद खुदकुशी करने जैसी स्थिति बन गई थी। इस बारे में जब परिवार को पता चला तो माता-पिता और पत्नी ने ढांढ़स बंधाया। अब वह खुद ही सबको बताते हैं कि डिजिटल अरेस्ट कुछ नहीं होता है। कोई भी जांच एजेंसी इस तरह से अरेस्ट नहीं करती है। वह कहते है कि साइबर अपराधी इतने चालाक होते हैं कि फोन पर कुछ सेकेण्ड की बात में ही मनोदशा को कैप्चर कर लेते हैं।

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