Notification Icon
Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़why did wolves suddenly start wreaking havoc Is there any revenge behind change in mood

अचानक आतंक क्‍यों बरपाने लगे भेड़‍िए? बदले मिजाज के पीछे बदला तो नहीं

  • बिजनौर में गुलदार बेकाबू हैं तो लखीमपुर खीरी की गोला रेंज में बाघ की दहशत है। सर्वाधिक चर्चा में बहराइच के भेड़िए हैं, जिनके आदमखोर होने से हड़कंप है। लाख टके का सवाल यह है कि संतुलित प्रवृत्ति के माने जाने वाले भेड़िए आखिर अचानक आतंक क्यों बरपा रहे हैं?

Ajay Singh हिन्दुस्तान, लखनऊ। राजकुमार शर्माWed, 4 Sep 2024 12:34 AM
share Share

यूपी के तराई वाला इलाका इन दिनों मानव-वन्य जीव संघर्ष की घटनाओं के चलते सुर्खियों में है। बिजनौर में गुलदार बेकाबू हैं तो लखीमपुर खीरी की गोला रेंज में बाघ की दहशत है। सर्वाधिक चर्चा में बहराइच के भेड़िए हैं, जिनके आदमखोर होने से हड़कंप है। लाख टके का सवाल यह है कि संतुलित प्रवृत्ति के माने जाने वाले भेड़िए आखिर अचानक यह आतंक क्यों बरपा रहे हैं? डेढ़ महीने में मरने वालों का आंकड़ा दो अंकों में जा पहुंचा है। घायलों की संख्या तीन दर्जन से अधिक है। भेड़‍ियों के बदले मिजाज के पीछे कहीं बदला तो नहीं है।

पानी भर जाने से बदला ठिकाना

जानकार इसके कई कारण बता रहे हैं। भेड़ियों का घर कहे जाने वाले जंगली कछार वाले इलाकों में पानी भर जाने से उनका ठिकाना बदल गया है। भोजन का भी संकट है। चर्चा यह भी है कि भेड़िए किसी गलती का बदला तो नहीं ले रहे। क्योंकि घाघरा नदी के किनारे बसे इस इलाके में भेड़ियों का ठिकाना नया नहीं है लेकिन इनका आतंकी मिजाज लोगों को चौंका रहा है। ऐसे उदाहरण पहले भी सामने आ चुके हैं। बलरामपुर में तैनात रह चुके भारतीय वन सेवा के एक अधिकारी बताते हैं कि जब उनकी तैनाती वहां हुई तो लोगों ने भेड़ियों के संबंध में कुछ चौंकाने वाली जानकारियां दी थीं। उन्होंने बताया कि वाकया साल 2003-04 का है। भेड़ियों का झुंड जब अपनी खोह (घर) से बाहर था, तब कुछ लोगों ने खेत में आग लगा दी थी। इस आग में भेड़ियों के कई बच्चे जलकर मर गए थे। उसके बाद भेड़ियों ने लगातार हमले कर इंसानी बच्चों को निशाना बनाया था।

विशेषज्ञ बोले यूं ही नहीं करता हमला

बहराइच के मामले में भी कुछ ऐसा ही बताया जा रहा है। बहराइच के जिस महसी इलाके में इन दिनों भेड़ियों का आतंक है, बताया जा रहा है कि जनवरी में वहां एक खेत में ट्रैक्टर से जुताई के समय भेड़ियों के दो बच्चों की मौत हो गई थी। खबर है कि वहां भेड़ियों ने अपनी खोह बना रखी थी। उसके बाद से हमलों का सिलसिला शुरू हुआ। वन्य जीवों से जुड़े मामलों के जानकार सुरेंद्र सिंह का कहना है कि बहराइच की घटनाओं का वास्तविक कारण तो वैज्ञानिक अध्ययन के बाद सामने आएगा। मगर यह सच है कि भेड़िया कभी इंसान पर यूं ही हमले नहीं करता। मगर उसमें बदला लेने की भावना बेहद प्रबल होती है। इनके बच्चे की मौत पर कुनबे का मुखिया नाराज होकर हमले करता है।

कहीं भूख ने तो नहीं कराया बस्तियों का रुख

वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि उफनती नदी ने भेड़ियों के प्राकृतिक वास को बाधित कर दिया। ऐसे में वे मानव बस्तियों का रुख कर रहे हैं। बहराइच के डीएफओ अजीत कुमार सिंह का कहना है कि बाढ़ ने ईको सिस्टम का संतुलन बिगाड़ दिया है। भेड़ियों का भोजन माने जाने वाले खरगोश, हिरण और अन्य छोटे स्तनधारी ऊंचे स्थानों पर चले गए हैं। ऐसे में भूख से व्याकुल भेड़िये मवेशियों और कई बार मनुष्यों को भी निशाना बना रहे हैं। असल में यह उनके अस्त‍ित्व का मामला है। ऐसे में वे मनुष्य पर हमला न करने की अपनी प्रवृत्ति के विपरीत व्यवहार कर रहे हैं। हालांकि कई लोग बाढ़ के इन तर्कों से सहमत नहीं हैं। वहीं विभाग के कई अधिकारी भेड़ियों के रेबीज से संक्रमित होने की भी संभावना जता रहे हैं। एक अंतर्राष्ट्रीय शोध के मुताबिक, वर्ष 2002 से 2020 के बीच दुनियाभर में भेड़ियों द्वारा किए गए हमलों में से 78 फीसदी रेबीज के चलते हुए।

भेड़ियों को लेकर खड़े हुए कई सवाल

इधर, लगातार घटनाओं के चलते लोगों की नाराजगी और वन विभाग पर बढ़ते दबाव ने भेड़ियों को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। कहीं इस रवैये से उनके अस्तित्व पर संकट न खड़ा हो जाए। वन्य जीव विशेषज्ञ अमित कुमार बताते हैं -‘पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी भेड़िए महत्वपूर्ण हैं। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि अमेरिका में विलुप्त हो चुके भेड़ियों की आबादी फिर से बढ़ाने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। दरअसल, भेड़ियों के खत्म होने से वहां का पारिस्थितिकी तंत्र गड़बड़ा गया है।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य जीव) संजय श्रीवास्तव का कहना है कि यह प्रश्न सह अस्तित्व से जुड़ा है। आतंक मचाने वाले भेड़ियों को पकड़ने के लिए विभाग द्वारा हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री खुद इसे लेकर बेहद गंभीर हैं। मगर सवाल यह भी है कि जंगल से सटे इलाकों में रहने वालों को अपनी और बच्चों की सुरक्षा को लेकर खुद सजग होना होगा।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें