
मेरी अनदेखी क्यों? लखनऊ की महापौर ने नगर आयुक्त के खिलाफ खोला मोर्चा, लगाया बड़ा आरोप
संक्षेप: नगर आयुक्त ने 3 पीसीएस अधिकारियों को काम देने के लिए मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह का ही काम हटा दिया। महापौर की नाराजगी की बड़ी वजह यह भी बताई जा रही है। उन्होंंने कहा कि जिन कर्मचारियों ने नगर निगम को 30 से 40 वर्ष दिए उनके रिटायरमेंट में न नगर आयुक्त और न अधिष्ठान की अपर नगर आयुक्त आई।
महापौर सुषमा खर्कवाल ने नगर आयुक्त के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने नगर आयुक्त गौरव कुमार को तीखा पत्र भेज कर बड़ा आरोप लगाया। कहा कि महत्वपूर्ण और गरिमामय कार्यक्रमों में न तो उन्हें आमंत्रित किया गया, न ही उनके कार्यालय को कोई सूचना दी गई।

महापौर ने इस लापरवाही को अनुशासनहीनता और संस्थागत अपमान बताया है। साथ ही तीन नवनियुक्त पीसीएस अफसरों को काम आवंटन में भी अनदेखी का आरोप लगाया है। महापौर ने इसके लिए नगर आयुक्त गौरव कुमार तथा अधिष्ठान की अपर नगर आयुक्त नम्रता सिंह को जिम्मेदार ठहराया है। इस मामले में उन्होंने नगर आयुक्त से स्पष्टीकरण मांगा है। महापौर ने इसे अनुशासनहीनता बताया है।
पत्र में महापौर ने इस बात पर दुख और क्षोभ प्रकट किया है कि एक अगस्त को सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसमें मृतक कर्मियों के परिजनों को नियुक्ति पत्र सौंपे गए और सेवानिवृत्त कार्मिकों को विदाई दी गई। उसे पूरी तरह उनके संज्ञान से बाहर रखा गया। महापौर ने लिखा, न मुझे जानकारी दी गई, न मेरे कार्यालय को पत्र भेजा गया। यह दायित्व नगर आयुक्त के साथ-साथ अपर नगर आयुक्त अधिष्ठान का भी था। ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकारी अधीनस्थ अपने पदीय दायित्वों के प्रति सजग नहीं हैं। महापौर ने सवाल खड़ा किया कि क्या नगर निगम प्रशासन अब यह मान बैठा है कि ऐसे कार्यक्रमों में महापौर की उपस्थिति की आवश्यकता नहीं है? उन्होंने दो टूक पूछा कि क्या संवेदनशील आयोजनों में संवैधानिक पद की उपेक्षा अब एक सामान्य चलन बनता जा रहा है।
अधिकारी को हटाने से भी खफा हुईं महापौर
नगर आयुक्त ने तीन पीसीएस अधिकारियों को काम देने के लिए मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह का ही काम हटा दिया। महापौर की नाराजगी की बड़ी वजह यह भी बताई जा रही है।
क्या बोलीं महापौर
महापौर सुषमा खर्कवाल ने कहा कि जिन कर्मचारियों ने नगर निगम को 30 से 40 वर्ष दिए उनके रिटायरमेंट में न नगर आयुक्त और न अधिष्ठान की अपर नगर आयुक्त आई। हमें भी सूचना नहीं दी। रिटायर कर्मचारियों को सम्मानित किया। मृतक आश्रित कोटे से नौकरी पाने वालों को नियुक्ति पत्र वितरित किया। तीन एसडीएम तैनात हुए हैं। जो अधिकारी सबसे कर्मठ और मेहनती है, उसी का काम हटा दिया गया।
महापौर ने अपने पत्र में नगर आयुक्त कार्यालय द्वारा 31 जुलाई को जारी कार्य विभाजन आदेश पर भी गंभीर आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि तीन नए सहायक नगर आयुक्तों को विभाग तो सौंप दिए गए, लेकिन न उन्हें कार्य करने के लिए कोई कक्ष उपलब्ध कराया गया और न ही सहायक कर्मचारी। उन्होंने इसे गैरजिम्मेदाराना उदाहरण बताया और पूछा कि क्या केवल आदेश जारी करना ही कार्यप्रणाली की संपूर्णता है? महापौर ने यह भी पूछा कि नव नियुक्त सहायक नगर आयुक्तों को जिम्मेदारी सौंपने से पहले उनसे विचार-विमर्श क्यों नहीं किया गया? उन्होंने कहा कि यह परंपरा रही है कि किसी भी महत्वपूर्ण प्रशासनिक निर्णय में महापौर से सलाह ली जाती है। लेकिन इस बार उस परंपरा को भी दरकिनार कर दिया गया।





