कौन है श्याम उर्फ उमर? प्रोफेसर बनने के चक्कर में धर्म बदला, धर्मांतरण की साजिशों में हो गया शामिल
- श्याम प्रताप सिंह उर्फ उमर गौतम एग्रीकल्चर से इंटरमीडिए करने के दौरान मुस्लिम दोस्तों के संपर्क में आया था। वह परिजनों पर दबाव बना कर पढ़ाई के लिए अलीगढ़ पहुंचा। वहां वह हनी ट्रैप के जरिए एक महिला के संपर्क में आया।
यूपी के फतेहपुर के रमवां पंथुवा का रहने वाला श्याम प्रताप सिंह उर्फ उमर गौतम एग्रीकल्चर से इंटरमीडिए करने के दौरान मुस्लिम दोस्तों के संपर्क में आया था। वह परिजनों पर दबाव बना कर पढ़ाई के लिए अलीगढ़ पहुंचा। जहां वह हनी ट्रैप के जरिए एक महिला के संपर्क में आया। उसे प्रोफेसर बनाने का आफर दिया गया। लालच में आकर उसने महिला से शादी कर मुस्लिम धर्म अपना लिया। धर्म परिवर्तन के बाद पहली बार घर लौटने पर परिजनों ने समझाया लेकिन वह नहीं माना। इसके बाद वह दूसरों का धर्मांतरण कराने की साजिशों में शामिल हो गया। यूपी समेत अन्य राज्यों के विभिन्न गैर मुस्लिम मूक-बधिर, महिलाओं, बच्चों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को रुपये और नौकरी का प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने के मुख्य अभियुक्त मोहम्मद उमर गौतम समेत 16 आरोपियों को मंगलवार को एटीएस कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने दोषी करार दिया है। इनकी सजा पर सुनवाई 11 सितंबर को होगी। इन्हें 10 वर्ष से लेकर उम्र कैद तक की सजा हो सकती है।
शैक्षिक संस्थान में मजहबी तकरीर को आता था
धर्मांतरण के उपरांत उमर गौतम शहर के एक शैक्षिक संस्थान में मजहबी तकरीर के लिए आता था। लेकिन दस किलोमीटर दूर अपने पैतृक गांव की ओर रुख नहीं करता था। श्याम उर्फ उमर के बचपन के एक दोस्त ने बताया कि लखनऊ रोड स्थित एक शैक्षिक संस्थान में उसके आने की जानकारी पर मुलाकात करने गया था। जहां राह बदलने की बात पर वह बिफर गया था। उसका कहना था कि उसका गांव परिवार और हिन्दू धर्म से कोई वास्ता नहीं है। उसके लिए इस्लाम ही सब कुछ है।
पिता की मौत पर भी नहीं नम हुई आंखें
श्याम प्रताप सिंह उर्फ उमर गौतम के पिता धनराज सिंह बेटे के फैसले से आहत थे। उसे रास्ते पर लाने के सारे प्रयास विफल होने पर वह टूट गए थे। इसी गम में करीब दो साल बाद उनकी मौत हो गई। पिता की मौत की खबर उमर को भी दी गई थी। गांव के लोगों की मानें तो उमर गांव तो पहुंचा था लेकिन उसकी आंखों से एक कतरा आंसू का भी नहीं छलका। उसके दोनों भाई उदय प्रताप सिंह व श्रीनाथ सिंह ने पिता की अर्थी को कंधा दिया लेकिन उसने हाथ लगाना भी मुनासिब नहीं समझा। बस कुछ देर दूर खड़ा शव की ओर निहारता रहा।
महीनों एटीएस खंगालते रही नातेदारों की कुंडली
धर्मांतरण के आरोप में उमर गौतम की गिरफ्तारी के बाद एटीएस समेत कई एजेंसियां महीनों पंथुवा समेत उसकी रिश्तेदारों की कुंडली खंगालती रही हैं। इस दौरान श्याम उर्फ उमर के बचपन की गतिविधियों, दोस्तों से लेकर ससुराल तक का ब्योरा तैयार किया था। जांच एजेंसियां कई शैक्षिक और धार्मिक स्थलों में पहुंच कर उमर गौतम के आने और उसकी तकरीरों को लेकर भी सबूत एकत्र किए थे। सूत्रों की मानें तो शहर के चर्चित 11 मदसरों के साथ ललौली के पांच और हसवा-खखरेरू क्षेत्र के एक-एक मदसरे में धर्मांतरण कराए जाने की जानकारी मिली है। एजेंसी ने अंदौली में कई हिन्दू परिवारों के धर्म परिवर्तन को लेकर सबूत जुटाए थे।
ऐतिहासिक रानी तालाब की खिंचाई थी फोटो
बताते हैं कि उमर गौतम जब भी धार्मिक तकरीर के लिए फतेहपुर आता था, वह हसवा स्थित ऐतिहासिक रानी तालाब घूमने जरूर जाता था। रानी तालाब में उमर गौतम ने कई फोटो खिंचवाई थी। जो उसके गिरफ्तारी के बाद खूब वायरल हुई थीं।
शिक्षिका ने दर्ज कराया था उमर के खिलाफ केस
मूक-बधिर बच्चों और महिलाओं का धर्मांतरण करने वाले गैंग के साथ उमर गौतम की गिरफ्तारी से कई खुलासे हुए थे। एक स्कूल में अंग्रेजी की टीचर रही कल्पना सिंह ने नया खुलासा किया है। आरोप था कि उमर गौतम विद्यालय में तकरीर करने के दौरान हिन्दू देवी देवताओं के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करता था। उन पर भी धर्मांतरण का दबाव बनाया गया था। कल्पना सिंह के अनुसार वह नूरुल हुदा इंग्लिश मीडियम स्कूल अंग्रेजी की टीचर थीं। उनके स्कूल में भी उमर गौतम का आना-जाना रहता था। फरवरी 2020 में भी वह छात्रों के रिजल्ट वितरण के दौरान स्कूल आया था। उसके साथ 20-25 अन्य मौलाना भी थे। उन मौलानाओं ने कल्पना पर भी धर्म परिवर्तन करने का दबाव बनाया था।
कल्पना ने बताया कि मौलानाओं ने कहा था, आप लोग हमारे धर्म में आ जाइए, आपको बेहतर फील होगा। आपको अंधविश्वास में रखा गया है। एक वन-वन भटकने वाले को भगवान बना दिया है। राम एक साधारण इंसान थे जिसे भगवान बना दिया गया है। कल्पना से कहा गया यदि वह इस्लाम कबूल करने के लिए राजी हो जाती हैं तो उनकी पूरी आर्थिक सहायता की जाएगी। कल्पना ने 19 मार्च 2021 को सदर कोतवाली थाने में स्कूल प्रशासन के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई थी। आरोप था कि हिन्दू बच्चों को उर्दू और अरबी पढ़ाने का विरोध करने पर नूरुल हुदा स्कूल के प्रबंधक शरीफ मौलाना और उसके बेटे उमर शरीफ ने उनके साथ गाली-गलौज की और जान से मारने की धमकी भी दी।
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