हाथ के हुनर से पूर्वांचल का दुनिया में बढ़ायें दबदबा
बौद्धिक संपदा अधिकार, जीआई, पेटेंट व ट्रेडमार्क के कंट्रोलर जनरल ओपी गुप्ता ने कहा कि पूर्वांचल के शिल्पियों को हाथ के हुनर से दुनिया में क्षेत्र का दबदबा कायम करना चाहिए। पूर्वांचल के परंपरागत शिल्प...
बौद्धिक संपदा अधिकार, जीआई, पेटेंट व ट्रेडमार्क के कंट्रोलर जनरल ओपी गुप्ता ने कहा कि पूर्वांचल के शिल्पियों को हाथ के हुनर से दुनिया में क्षेत्र का दबदबा कायम करना चाहिए। पूर्वांचल के परंपरागत शिल्प को गुणवत्तापरक बनाकर पूर्वांचल में रोजगार की समस्या का समाधान भी किया जा सकता है और उत्पादों का कारोबार बढ़ाने की भी पूरी संभावना है। बुधवार को कैंटोंमेंट स्थित होटल क्लार्क्स में जीआई (भौगोलिक संकेतक) पर नाबार्ड व ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से कार्यशाला में ओपी गुप्ता ने शिल्पियों व उद्यमियों से यह बात कही।
कार्यशाला में कंट्रोलर जनरल ने बनारस क्षेत्र के जीआई उत्पादों का अवलोकन किया और शिल्पियों से रूबरू हुए। उन्होंने पूर्वांचल के छह और शिल्पों के पंजीकरण प्रक्रिया को लेकर उत्पादों की विशेषताओं को समझा। इनमें गोरखपुर का टेराकोटा, बनारस की लकड़ी की नक्काशी, जरदोजी क्राफ्ट व हैंड ब्लॉक प्रिटिंग, मिर्जापुर के ब्रास के बर्तन, चुनार के लाल मिट्टी के बर्तन शामिल हैं।
जीआई विशेषज्ञ डॉ. रजनीकांत ने कहा कि बनारस क्षेत्र से पहले ही आठ उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है। जीआई से क्षेत्र के शिल्पियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलती है और उनका कारोबार बढ़ता है। इस मौके पर नॉर्थ ईस्ट फाउंडेशन के भानु प्रताप सिंह ने भी क्षेत्रीय कृषि उत्पादों का जीआई पंजीकरण के लिये आवेदन किया।
कार्यशाला में बुनकर सेवा केंद्र के उप निदेशक एसके गुप्ता, संयुक्त आयुक्त उद्योग उमेश सिंह, सहायक निदेशक हस्तशिल्प बीएस सिंह, सहायक आयुक्त डॉ. नितेश धवन, राजन बहल, डॉ. दीपशंकर व्यास, बच्चेलाल मौर्य, कुंजबिहारी सिंह, रमजान अली, प्यारेलाल, सोहित प्रजापति, रामेश्वर सिंह, सुनील पांडेय आदि मौजूद थे।