ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेश वाराणसीवाराणसी: कैलाश खेर के इशारों पर नाचा हजारों का हुजूम

वाराणसी: कैलाश खेर के इशारों पर नाचा हजारों का हुजूम

वाराणसी में गंगा का किनारा। अस्सी घाट की मुक्ताकाशी दीर्घा में हजारों का हुजूम। हुजूम के सामने सतरंगी रोशनी से चकाचौंध मंच और मंच पर मौजूद छोटे कद के बड़े कलाकार कैलाश खेर। उनकी गायकी का सम्मोहन ऐसा...

वाराणसी: कैलाश खेर के इशारों पर नाचा हजारों का हुजूम
वाराणसी प्रमुख संवाददाताTue, 25 Feb 2020 10:57 PM
ऐप पर पढ़ें

वाराणसी में गंगा का किनारा। अस्सी घाट की मुक्ताकाशी दीर्घा में हजारों का हुजूम। हुजूम के सामने सतरंगी रोशनी से चकाचौंध मंच और मंच पर मौजूद छोटे कद के बड़े कलाकार कैलाश खेर। उनकी गायकी का सम्मोहन ऐसा कि वह कहते झूमो तो हजारों का हुजूम झूमने लगता, वह कहते नाचो तो नाचने लगता। करीब दो घंटे तक कैलाश अपने गीतों के बल पर इस हुजूम को अपने इशारों पर नचाते रहे। यह सब मंगलवार को प्रादेशिक सेना (टेरिटोरियल आर्मी) की 137 इकोलॉजिकल टीए बटालियन की ओर से गंगायोद्धा महोत्सव में हुआ।
कैलाश की मंच पर एंट्री के लिए मंच पर ब्लैक आउट होते ही विशाल मुक्ताकाशी दीर्घा में हरहर महादेव का घोष गूंज उठा। ई मेजर स्केल पर गिटार की टनकार के साथ जैसे ही शिव तांडव स्तोत्र की पंक्तियां बैक स्टेज से गूंजी प्रशंसक समझ गए कैलाश आने को हैं। शाम छह बजे से प्रतीक्षारत हजारों प्रशंसकों को रात नौ बजे कैलाश के  दीदार मंच पर हुए। कैलाश ने भी हुजूम के अभिवादन की औपचारिकता बाद में निभाई उससे पहले उन्होंने ‘मैं तो तेरे प्यार में दीावना हो गया’ का राग छेड़ दिया। कैसे बताएं...तू जाने ना, रंग दिनी रंग दिनी... जैसी अपनी लोकप्रिय कंपोजीशन के माध्यम से सूफियाना गायकी का जलवा बिखेरा। 

अमीर खुसरो की पंक्तियां ‘गोरी सोई सेज पे मुख पे डारे केश, चल खुसरो घर आपड़े सांझ भई चहुंदेस’ को अपने खास अंदाज में पढ़ने के बाद जब उन्होंने ‘तेरे बिन नइ लगदा दिल मेरा...’ गाना शुरू किया तो श्रोताओं की दीवानगी देखते ही बनती थी। मंच पर कैलाश खेर अपने खास अंदाज में लयात्मक अंदाज में उछल रहे थे और दीर्घा में श्रोता मचल रहे थे। क्या देसी, क्या विदेशी सब के सब अपनी कुर्सियां छोड़ कर खड़े होकर नाचने लगे। गाते गाते अचानक कैलश रुके और अग्रिम पंक्ति में बैठे श्रोताओं की ओर  इशारा करते हुए कहा पद और दौलत दिमाग पर इतनी चढ़ गई है कि हम खुश होना भूल गए हैं। हमने अपने अंदर की ऊर्जा को दबा दिया हे। गंगा के किनारे आज उसे निकलने दो। अपने अंदर के बच्चे को जगा लो, नाच लो...गा लो...। इतना कहने के बाद वह पीछे मुडे़ और एक झटके में फिर जनता की ओर मुखातिब हुए। उनके मुख से निकला

‘बगड़बम्बबम्...बगड़बम्बबम्...बगड़बम्बबम्... बम लहरी...।’ कैलाश इतना कह कर खामोश हो गए और हजारों का हुजूम बम  लहरी...बम लहरी...की रट लगाने लगा। कैलाश ने अपनी प्रिय रचना ‘दूर उस आकाश की गहराईयों में इक नदी से बह रहे हैं आदियोगी’ से अपने कैलासा बैंड की प्रस्तुति को विराम दिया। इससे पूर्व कार्यक्रम का आरंभ डा. रेवती साकलर के गायन से हुआ। उनके साथ तबले पर पं. कुबेरनाथ मिश्र और वायलिन पर संजय कुमार ने संगत की। आयोजन में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगामिशन के डीजी राजीव रंजन मिश्रा, एलटी जनरल डीपी पांडेय, प्रादेशिक सेना के अतिरिक्त महानिदेशक मेजर जनरल देव अरविंद चतुर्वेदी, शौर्य चक्र विजेता मेजर प्रदीप  आर्य और कैप्टन नील शाजी, कर्नल अमित पांडेय प्रमुख रूप से शामिल रहे।
 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें