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वाराणसीः कबीर के जन्मोत्सव पर झूमे भक्त, निकली शोभायात्रा, लहराया सत्यनाम

कबीर के प्राकट्य महोत्सव पर रविवार को उत्सवी माहौल रहा। लहरतारा स्थित उनकी जन्मस्थली कबीर बाग आश्रम से गाजेबाजे के साथ निकली शोभायात्रा में कबीरपंथियों का हुजूम उमड़ा रहा। कहीं भक्तों की टोली तो कहीं...

वाराणसीः कबीर के जन्मोत्सव पर झूमे भक्त, निकली शोभायात्रा, लहराया सत्यनाम
निज संवाददाता,वाराणसीSun, 16 Jun 2019 09:16 PM
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कबीर के प्राकट्य महोत्सव पर रविवार को उत्सवी माहौल रहा। लहरतारा स्थित उनकी जन्मस्थली कबीर बाग आश्रम से गाजेबाजे के साथ निकली शोभायात्रा में कबीरपंथियों का हुजूम उमड़ा रहा। कहीं भक्तों की टोली तो कहीं संतों की टोली कबीर धुन पर थिरकती नजर आई। कला कौशल का प्रदर्शन किया। सत्यनाम का पताका लहराया।  

कबीर प्राकट्य महोत्सव के अंतिम दिन सुबह ठाठ-बाट से निकली शोभायात्रा में कबीरपंथियों की आस्था देखते बनी। गुरु के जन्म को उत्सव के रूप में मनाया। सत्यनाम का ध्वज लिए महिलाएं, पुरुष व बच्चे सभी डीजे, बैंडबाजा व ढोल-नगाड़े की धुन पर झूमते रहे। संतों की टोली खजड़ी व मजीरा व विगुल के साथ भजन कर रही थी। रथ पर विराजमान कबीर प्रकाट्यधाम के आचार्य हजूर अर्धनाम साहब का भक्त आरती उतार रहे थे। शोभायात्रा लहरतारा चौराहा, बौलिया, नई बस्ती, लहरतारा पुल से पुन: आश्रम पहुंच कर समाप्त हो गई। 

कबीर के ध्यान से खत्म हो जाएगा अहंकार
प्रकाट्यधाम में दोपहर में संतों का प्रवचन हुआ। हजूर अर्धनाम साहब ने कहा कि कबीर के ज्ञान को जीवन में धारण करने से काम, क्रोध, लोभ व मोह और अहंकार समाप्त हो जाता है। इसलिए कबीरवाणी पर चिंतन व मनन करें। धर्माधिकारी सुधाकर दास शास्त्री, महंत सुनील शास्त्री आदि ने भी विचार रखे। इस दौरान भजन टोलियों ने भजन गंगा में सभी को डुबोया। 

भक्तों ने रखा व्रत
कबीर प्राकट्योत्सव पर भक्तों ने दिन भर व्रत रखा। शाम को हुई भव्य चौका आरती में शामिल हुए। नारियल, चादर, मिष्ठान आदि चढ़ाया।  
 
मानव कल्याण का मार्ग दिखाया
चौबेपुर में स्वर्वेद महामंदिर धाम (उमरहा) में कबीर प्राकट्य महोत्सव प सैकड़ों भक्तों दर्शन पूजन किया। श्रीविज्ञान देव जी महाराज ने कबीर के प्राकट्य एवं उनके  दर्शन पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा, कबीर के  साहित्य में दर्शन, अध्यात्म,  ज्ञान, वैराग्य की गूढ़ता मिलती है तथा समाज सुधार का शंखनाद भी है।  उन्होंने कहा कि कबीर किसी मत संप्रदाय के प्रवर्तक नहीं थे। उन्होंने सम्पूर्ण मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है। प्रारंभ में ‘अ’ अंकित ध्वजा फहराया गया। आश्रम के योग प्रशिक्षकों ने लोगों को शारीरिक आरोग्यता के लिए आसन-प्राणायाम एवं ध्यान कराया।

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