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यूपी को कबीर, रैदास, बुद्ध की विचारधारा चाहिए : जिग्नेश

गुजरात के चर्चित विधायक जिग्नेश मेवानी ने कहा है कि बनारस व यूपी को भाजपा की विचारधारा नहीं कबीर, रैदास और बुद्ध की विचारधारा चाहिए। यहां कबीर मठ में आयोजित नव दलित सम्मेलन में बतौर मुख्य वक्ता...

यूपी को कबीर, रैदास, बुद्ध की विचारधारा चाहिए : जिग्नेश
वाराणसी। प्रमुख संवाददाताFri, 10 Aug 2018 11:40 AM
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गुजरात के चर्चित विधायक जिग्नेश मेवानी ने कहा है कि बनारस व यूपी को भाजपा की विचारधारा नहीं कबीर, रैदास और बुद्ध की विचारधारा चाहिए। यहां कबीर मठ में आयोजित नव दलित सम्मेलन में बतौर मुख्य वक्ता जिग्नेश ने गुरुवार को कबीर से दोहे से शुरू कर उन्हीं के दोहे से  अपनी बात खत्म की। 

उन्होंने कहा ‘हिंदू कहत है राम हमारा मुसलमान रहमाना/आपस में दोनों लड़ई मरत हैं मरम कोई नहीं जाना’... यदि इस मुल्क की 125 करोड़ जनता सिर्फ इतना समझ ले तो कबीर, रविदास, बुद्ध का दर्शन और संविधान सबकुछ बच जाएगा। बसपा के पाले में राजनीतिक गेंद डालते हुए जिग्नेश ने कहा कि “मैं बहिन जी से यह कहना चाहता हूं कि एक बार आप खड़ी हों, आप के लेफ्ट में चंदेशखर रावल और राइट में जिग्नेश मेवाड़ी खड़ा हो फिर देखिए क्या होता है। मुख्यधारा की पार्टियों से विरोध होने के बावजूद मैं वादा करता हूं कि कि सपा, बसपा कांग्रेस यूपी में एक होते हैं तो मैं उनके मंच से चुनाव में भाजपा के खिलाफ प्रचार करुंगा।” उन्होंने कहा, यह लाख टके का सवाल है कि जिस चंद्रशेखर रावल ने सावित्र बाई फूले, ज्योतिबा फुले, शहीद-ए-आजम भगत सिंह और बाबा साहब के नाम पर यूपी में दो सौ पाठशालाएं चालू की, उसे देश के लिए खतरा बता कर एक साल से जेल में क्यों रखा गया है। 

गुजरात मॉडल पर भी चर्चा
जिग्नेश ने कहा, गुजरात मॉडल के नाम पर बड़ी विचित्र परिस्थिति का निर्माण हुआ है। गुजरात में भी सैकड़ो किसानों ने आत्महत्या की है। बीते वर्ष पूरे देश में 12 हजार से अधिक किसानों ने आत्महत्या की। अब भी गुजरात में 45 फीसदी बच्चे कुपोषित हैं। उनके बारे में कोई चर्चा नहीं हुई। हर साल दो करोड़ रोजगार का वादा केंद्र सरकार का था। उस हिसाब से नौ करोड़ को रोजगार मिलना चाहिए था मगर जीएसटी और नोटबंदी के बाद सिर्फ दिल्ली में 18 सौ कारखाने बंद हो गए। 

बोले एससीएसटी बिल पर
मेवानी ने कहा कि एसटीएसटी बिल वे लोग पेश कर रहे हैं जिन्होंने आदिवासियों को पहले चांटा जड़ा और अब मरहम लेकर आ रहे हैं। सरकार कारपोरेट कंपनियों का पांच लाख 29 हजार करोड़ का कर्ज माफ करती है लेकिन जो दलित गटर में उतर कर मर रहा है, उसके लिए मुआवजे की व्यवस्था नहीं है। कबीर के दोहे ‘माटी कहे कुम्हार से तू क्या रौंदे मोय/एक दिन ऐसा आएगा मैं रौंदूंगी तोय’ से उन्होंने अपनी बात समाप्त की।  

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