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बनारस में चार सालों में हुआ बीस हजार करोड़ का निवेश

यूपी इन्वेस्टर्स समिट में निजी व सरकारी क्षेत्र से निवेश के तमाम रास्ते खुलने से विकास की नई संभावनाएं जगी हैं। मगर बनारस एकमात्र ऐसा जिला है जहां बीते चार सालों में केन्द्र सरकार की ओर से 20 हजार...

बनारस में चार सालों में हुआ बीस हजार करोड़ का निवेश
वाराणसी अरुण मिश्र Fri, 23 Feb 2018 11:58 AM
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यूपी इन्वेस्टर्स समिट में निजी व सरकारी क्षेत्र से निवेश के तमाम रास्ते खुलने से विकास की नई संभावनाएं जगी हैं। मगर बनारस एकमात्र ऐसा जिला है जहां बीते चार सालों में केन्द्र सरकार की ओर से 20 हजार करोड़ से अधिक का निवेश हो चुका है। तमाम परियोजनाओं पर काम चल रहा है तो कुछ काम पूरा होने को हैं। आने वाले कुछ महीनों में बनारस मेडिकल हब, ट्रासपोर्टेशन, बुनियादी विकास के क्षेत्र में देश के गिने-चुने शहरों में शामिल हो जाएगा। 

वर्ष 2014 में बनारस से सांसद चुने जाने एवं प्रधानमंत्री बनने के बाद केन्द्र सरकार ने काशी के विकास की बुनियाद रख दी। उसके बाद से हाइवे परियोजना हो या फिर बुनियादी सुविधाओं से जुड़े विकास कार्य। बीते चार सालों में बनारस का विकास हर क्षेत्र में हुआ। काशी के हेरिटेज स्थलों के संरक्षण से लगायत मेडिकल हब के रूप में स्थापित करने की शुरू हुई प्रक्रिया अब मूर्त रूप लेने को है। 

अकेले बनारस ऐसा शहर है जहां स्वास्थ्य, हाइवे, रिंग रोड, गंगा जलपरिवहन, रेलवे, बिजली, गैस परियोजना, एजुकेशन एवं बुनियादी विकास पर काम चल रहा है। इनमें हाइवे परियोजना बनारस-सुल्तानपुर, बनारस-आजमगढ़, बनारस-गाजीपुर फोरलेन के निर्माण पर करीब 11 हजार करोड़ का निवेश हुआ है। ऊर्जा गंगा परियोजना पर एक हजार करोड़, आईपीडीएस के भूमिगत बिजली तार पर 572 करोड़ की योजना पर काम चल रहा है।  रिंग रोड, बाबतपुर फोरलेन समेत तमाम परियोजनाएं अगले छह माह में पूरी होने की उम्मीद है। जबकि दो सौ करोड़ की लागत से लालपुर में टे्रड फैसिलिटी सेंटर का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। 

जलपरिवहन: तीन लाख मीट्रिक टन की होगी ढुलाई 
वाराणसी-हल्दिया के बीच जलपरिवहन परियोजना पर काम चल रहा है। योजना पर करीब 42 सौ करोड़ रुपए खर्च होंगे। वाराणसी के अलावा गाजीपुर में भी टर्मिनल का निर्माण शुरू कर दिया गया है। जलपरिवहन परियोजना से सालाना करीब तीन लाख मीट्रिक टन की ढुलाई हो सकेगी। इससे न केवल प्रदूषण कम होगा बल्कि दुर्घटनाओं की आशंका भी कम रहेगी। 

स्मार्ट सिटी 
काशी को स्मार्ट सिटी के रूप विकसित करने की योजना पर काम शुरू कर दिया गया है। केन्द्र सरकार ने करीब दो सौ करोड़ इसके लिए जारी किए हैं। स्मार्ट सिटी के तहत नेशनल टेक्सटाइल्स म्यूजियम एवं टेक्सटाइल्स एण्ड रिसर्च सेंटर की स्थापना के अलावा, गंगाघाटों की सफाई व संरक्षण,ट्रैफिक सिस्टम को आधुनिक बनाना शामिल है।  

इन परियोजनाओं पर चल रहा काम-
वाराणसी-से गाजीपुर, सुल्तानपुर, आजमगढ़ फोरलेन- 11 हजार करोड़ 
-ऊर्जा गंगा गैस पाइप लाइन परियोजना-  1000 करोड़ 
-बनारस-इलाहाबाद रेलमार्ग दोहरीकरण- 840 करोड़  
-बीएचयू में कैंसर संस्थान - 500 करोड़ 
-सुपर स्पेशियलिटी हास्पीटल-200 करोड़ 
-ईएसआई अस्पताल- 100 करोड़  
-महामना राष्ट्रीय शिक्षक व शिक्षण प्रशिक्षण का शुभारंभ -500  करोड़ 
-डीरेका में अत्याधुनिक वर्कशाप - 500 करोड़ 
-आईपीडीएस के तहत बिजली तारों को भूमिगत करना- 572 करोड़ 
-बनारस से बाबतपुर तक फोरलेन- 629 करोड़ 
-रिंग रोड फेज-वन 300 रकोड़ 
रिंग रोड फेज-टू- 2000 करोड़ 
- कनवेंशन सेंटर- 200 करोड़ 
- मंडुआडीह व कैंट रेलवे स्टेशन का विस्तारीकरण- 200 करोड़  
- राजातालाब तालाब में परिसेबल कार्गो का निर्माण- 10 करोड़ 

प्रस्तावित योजनाएं
-सुगम यातायात के लिए मेट्रो रेल। इंटरनेशनल कंाफ्रेंस हाली-डे सेंटर का निर्माण
-बाबतपुर पिंडरा के बीच सांस्कृतिक केन्द्र की स्थापना 
-पड़ाव के पास पं. दीनदयाल संग्रहालय का निर्माण 
-काशी रेलवे स्टेशन पर मल्टीमॉडल स्टेशन का निर्माण 
-राजघाट पुल के बगल में नए पुल का निर्माण 
-बाबतपुर एयरपोर्ट का विस्ताीरकरण- 
- नमामि गंगे के तहत आदिकेशव घाट से राजघाट के बीच नया कारीडोर।
 -टूरिस्ट सर्किल रोड(पंचक्रोशी मार्ग) का विस्तार करना। 
-नागरिक सुविधाओं का अपग्रेडेशन करना। 
-पार्क, गार्डन आदि को खुबसूरत बनाना।
-सरकारी कार्यालयों का होगा ‘यूनिक आडिफिकेशन’। 
(नोट- यह सभी योजनाएं करीब पांच हजार करोड़ की हैं।)

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