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तीन साल बाद काशी में गंगा ने पार किया खतरे का निशान, तस्वीरों और VIDEO में देखिये शहर के हालात

वाराणसी में बुधवार की दोपहर गंगा ने खतरे के निशान को भी पार लिया। शाम पांच बजे गंगा खतरे के निशान से 6 सेंटीमीटर ऊपर 71.32 पर बह रही हैं। अब भी बढ़ाव जारी है और अगले 24 घंटे तक बढ़ाव जारी रहने की...

तीन साल बाद काशी में गंगा ने पार किया खतरे का निशान, तस्वीरों और VIDEO में देखिये शहर के हालात
वाराणसी हिन्दुस्तान टीमWed, 18 Sep 2019 08:35 PM
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वाराणसी में बुधवार की दोपहर गंगा ने खतरे के निशान को भी पार लिया। शाम पांच बजे गंगा खतरे के निशान से 6 सेंटीमीटर ऊपर 71.32 पर बह रही हैं। अब भी बढ़ाव जारी है और अगले 24 घंटे तक बढ़ाव जारी रहने की आशंका जताई गई है। ऐसे में निचले इलाकों और तटवर्ती कालोनियों में खलबली मची है। कुछ लोग पहली मंजिल से सामान लेकर दूसरी मंजिल पर पहुंच गए हैं तो कुछ लोगों ने घर में ताला लगाकर पलायन कर लिया है। गंगा में उफान के कारण काशी के दक्षिण में बहने वाली असी और उत्तर में बहने वाली वरुणा पलट प्रवाह के कारण लोगों के घरों में घुस गई हैं।

इससे पहले 2016 में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान को पार गया था। दस सालों में तीसरी बार गंगा ने खतरे के निशान को पार किया है। 2016 से पहले 2013 में भी गंगा ने खतरे का निशान पार करते हुए 72.63 मीटर के स्तर को छू लिया था। 1978 में गंगा ने 73.90 के स्तर तक पहुंच कर रिकार्ड बनाया था। गंगा में उफान को देखते हुए जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने बाढ़ में फंसे लोगों के लिए एडवाइज़री भी जारी की है। 
केंद्रीय जल आयोग के अनुसार गंगा का पानी एक सेंटीमीटर प्रतिघंटा की रफ़्तार से बढ़ रहा है। सुबह 6 बजे गंगा का पानी 71.24 मीटर तो 9 बजे 71.27 मीटर दर्ज किया गया जो कि खतरे के निशान से एक सेंटीमीटर ज़्यादा था। सुबह 11 बजे गंगा एक सेंटीमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से 71.29 मीटर पर बह रही हैं।

वाराणसी के कोनिया, सामनेघाट, सरैया, डोमरी, नगवा, रमना, बनपुरवा, शूलटंकेश्वर के कुछ गांव, फुलवरिया, सुअरबड़वा, नक्खीघाट, सरैया, फुलवरिया अदि में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। लोगों की निगाहें प्रशासन से मिलने वाली मदद की तरफ हैं। बाढ़ प्रभारी एडीएम फाइनेंस सतीश पाल ने बताया कि गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। ऐसे में शहरी क्षेत्र में 12 शरणार्थी कैम्प कल रात से ही एक्टिवेट किये गए हैं। उन्होंने बताया कि इन शेल्टर्स में शहर के बाढ़ प्रभावित 370 परिवारों के 2235 लोगों को सुरक्षित रखा गया है। साथ ही उनके खाने पीने का इंतज़ाम किया जा रहा है। बाढ़ रिलीफ टीम हर समय अपनी नज़र बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के साथ बाढ़ प्रभावितों पर बनाये हुए हैं।

एडीएम फाइनेंस (बाढ़ प्रभारी) ने बताया कि इसके अलावा जनपद के 53 गांव बाढ़ के पानी से प्रभावित हैं जिनमे अभी सिर्फ किसानों के खेतों में पानी आया है अभी रिहायशी इलाकों में पानी नहीं घुसा है। सभी बाढ़ प्रभावित गाँवों के ग्राम प्रधान हमारे संपर्क में हैं। इसके अलावा हमने शासन द्वारा जारी एडवाइज़री, बाढ़ में क्या करें और क्या न करें इस सम्बन्ध में ग्राम प्रधानों और डीपीआरओ को अवगत कराया जा चुका है।

बाढ़ प्रभारी सतीश पाल ने बताया कि बाढ़ प्रभावितों को सकुशल निकालने के लिए एनडीआरएफ हमारे साथ दिन रात मौजूद है। एनडीआरएफ की तीन नाव सामनेघाट लंका पर मुस्तैद है। इसके अलावा 2 नाव कोनिया घाट और एक नाव वरुणा नदी में कलेक्टर हाउस के समीप सर्विलांस मोड पर है। इसके अलावा ज़रुरत के हिसाब से एनडीएआरएफ और पीएससी की बाढ़ राहत नाव उपलब्ध हैं।

उन्होंने बताया कि हम सभी बाढ़ से प्रभावितों के अच्छे रख रखाव और खाने के साथ साथ शुद्ध पेयजल और शौचालयों का इंतज़ाम कर रहे हैं। जिला प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है। उन्होंने बताया कि जिस तरह से पानी बढ़ रहा है उसे देखते हुए बाढ़ प्रभावितों के पलायन को देखते हुए आस पास के मैरेज हाल और लान भी बुक कर लिए गए हैं ताकि किसी को कोई दिक्कत न हो।
 

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