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100 वर्ष पुराने जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर तीन हजार छात्राएं

नगर के किला रोड स्थित राधा किशोरी राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की स्थिति इन दिनों बहुत ही खराब है। कई कमरे जर्जर हैं। खिड़की-दरवाजे टूटे हुए हैं। विद्यालय में कक्षा एक से लेकर 12 तक को पढ़ाई करने वाली...

100 वर्ष पुराने जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर तीन हजार छात्राएं
रामनगर निज प्रतिनिधिMon, 14 May 2018 04:22 PM
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नगर के किला रोड स्थित राधा किशोरी राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की स्थिति इन दिनों बहुत ही खराब है। कई कमरे जर्जर हैं। खिड़की-दरवाजे टूटे हुए हैं। विद्यालय में कक्षा एक से लेकर 12 तक को पढ़ाई करने वाली छात्राओं की संख्या तीन हजार के करीब है। सभी को दुर्घटना की आशंका घेरे रहती है क्योंकि पिछले वर्ष पढ़ाई के दौरान ही एक कमरे की पटिया टूट गई थी। संयोग से छात्राएं बाल-बाल बच गई थीं। 
 
यूपी बोर्ड के मानक के अनुसार तीन हजार छात्राओं के अध्ययन के लिए लगभग 50 कमरे होने चाहिए ,जबकि वर्तमान में विद्यालय मात्र 22 कमरों में संचालित होता है। एक कमरे में किसी तरह सौ से अधिक छात्राएं बैठाई जा रहीं हैं। शत-प्रतिशत उपस्थिति में सभी छात्राओं के लिए बैठने की व्यवस्था करना मुश्किल हो जाता है। सन 1900 के करीब काशिराज परिवार ने इस भवन का निर्माण अपने सचिवालय के रूप में करवाया था। बाद में यहां चिकित्सालय भी खुल गया। तत्कालीन काशी नरेश ने सन 1959 में विद्यालय चलाने के लिए यह भवन राज्य सरकार को दान में दे दिया था। टूटे-फूटे टीन शेड के तपते कमरों में छात्रायें पढ़ने के लिए मजबूर है। बारिश में स्थिति और भयावह हो जाती है। अध्यापकों की संख्या भी पर्याप्त नहीं है। 

कभी हो सकता है हादसा
विद्यालय की प्रधानाचार्य गीता सिंह का कहना है कि 1959 में यहां 700 छात्राएं थीं। अब संख्या तीन हजार हो चुकी है। छात्राओं की संख्या बढ़ती गई लेकिन संसाधन बढ़ाने के लिए ठोस उपाय नहीं किए गए। तीन साल पहले दो लाख रुपये मरम्मत के लिए मिले थे, जिससे कुछ काम हुआ। वर्तमान में 22 में 5 कमरों की हालत ज्यादा खराब है। कभी भी कोई हादसा हो सकता है ।

क्या कहतीं हैं छात्राएं 
कक्षा में पढ़ते समय हमेशा ध्यान ऊपर टूटी हुई पटिया पर रहता है। कई पटिया टूटने से छात्रायें उनके नीचे नही बैठती हैं। कम स्थान में सभी को बैठने में भी दिक्कत होती है ।
वन्दना मौर्या (11 ई) 

टूटी खिड़कियों के कारण तेज गर्म हवा से पढ़ाई में परेशानी होती है। बरसात में टपकते छत से पढ़ाई का माहौल खराब हो जाता है। थोड़ी बारिश में भी खेल मैदान में पानी भर जाता है ।
काजल पटवा (10ऊ)

इतनी तेज गर्मी में टिन शेड में पढ़ाई कठिन हो जाती है। एकाग्रता बनती नहीं है। कक्षा में बैठने का मन नहीं करता है। 
आकांक्षा (9ऊ)

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