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सावन के पहले दिन जलाभिषेक को काशी पहुंचे कांवरिये, विश्वनाथ धाम में इस बार हुई हैं खास तैयारियां

सावन के पहले दिन बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करने के लिए काशी में काफी संख्या में कांवरियों का आगमन मंगलवार की शाम ही हो गया। बाबा का दर्शन पाने के लिए आधी रात के पहले ही दर्शनार्थियों की कतार...

सावन के पहले दिन जलाभिषेक को काशी पहुंचे कांवरिये, विश्वनाथ धाम में इस बार हुई हैं खास तैयारियां
प्रमुख संवाददाता,वाराणसीWed, 17 Jul 2019 12:06 AM
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सावन के पहले दिन बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करने के लिए काशी में काफी संख्या में कांवरियों का आगमन मंगलवार की शाम ही हो गया। बाबा का दर्शन पाने के लिए आधी रात के पहले ही दर्शनार्थियों की कतार लगनी शुरू हो गई थी। बहुत से कांवरिये बैरिकेडिंग के अंदर सड़क पर ही सो गए। वहीं बहुतेरे कांवरिए ऐसे भी थे जिन्होंने पहले चंद्रग्रहण के दौरान गंगा स्नान किया। फिर ग्रहण समाप्त होने के बाद विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए कतार में लग गए। चितरंजन पार्क में बनाया गए शिविर में कांवरियों के साथ ही ग्रहण स्नान करने आई भीड़ ने भी रात बिताई। 

सावन में इस साल खास तैयारियां की गई हैं। इस बार सबसे बड़े परिवर्तन काशी विश्वनाथ मंदिर में सावन के पहले दिन से देखने को मिलेंगे। इस बार दर्शनार्थियों को गर्भगृह में सुरक्षाकर्मियों के धक्के नहीं खाने होंगे। पिछले एक दशक में गर्भगृह से भक्तों को जबरन बाहर निकालने की शिकायतों में लगातार वृद्धि को देखते हुए इस वर्ष मंदिर प्रबंधन ने गर्भगृह के बाहर से ही दर्शन करने की नई व्यवस्था अपनाई है। इस व्यवस्था को अमल में लाने का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि कम से कम समय में अधिक से अधिक लोग बाबा के दर्शन कर सकेंगे।

महाकालेश्वर की तर्ज पर जलाभिषेक
सावन में बाबा दरबार आने वाले भक्तगण जलाभिषेक से वंचित न हों इसके लिए काशी विश्वनाथ का जलाभिषेक, उज्जैन के महाकालेश्वर की तर्ज पर करने की व्यवस्था होगी। गर्भगृह के चारों द्वारों पर कलश रखे जाएंगे, इनमें छिद्र होगा। इस छिद्र के आगे तांबे की पट्टिका लगी होगी। कलश में डाला जाने वाला गंगाजल अथवा दूध इस ताम्र पट्टिका के सहारे ज्योतिर्लिंग पर गिरेगा।

तिथि अनुसार अर्चकों की ड्यूटी
सावन प्रतिपदा आरंभ होते ही काशी विश्वनाथ मंदिर में एक नई और शास्त्र सम्मत प्रक्रिया आरंभ हो जाएगी। सरकार द्वारा मंदिर के अधिग्रहण के बाद यह पहला मौका होगा जब मंदिर के गर्भगृ़ह सहित परिसर में आने वाले समस्त देव विग्रहों पर अर्चकों की ड्यूटी भारतीय पंचांग के अनुसार लगाई जा रही है। अब अर्चकों की तैनाती प्रतिपदा से अमावस्या तक एवं प्रतिपदा से पूर्णिमा तक एक-एक विग्रह पर लगाई जाएगी। यही व्यवस्था चकिया स्थित नाथ संप्रदाय के प्रमुख केंद्र कोलेश्वरनाथ मंदिर में भी लागू रहेगी।

भक्तों को ‘भोले’ बुलाने की हिदायत
सावन के पहले  दिन से काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचने वाले शिव भक्तों को सुरक्षाकर्मी ‘भोले’ कह कर संबोधित करेंगे। उन्हें ऐसा करने की सख्त हिदायत मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने पिछली चार तैयारी बैठकों में हर बार दिया है। उन्होंने यहां तक कहा है कि शिव भक्तों के साथ सुरक्षाकर्मियों द्वारा अभद्रता की शिकायत मिलने पर तत्काल कठोर कारर्रवाई की जाएगी। 

पर्यटन विभाग कराएगा पंचक्रोशी
इस बार काशी आने वाले तीर्थयात्रियों की सेवा में पर्यटन विभाग भी लगा रहेगा। यह पहला मौका है जब पर्यटन विभाग पंचक्रोशी परिक्रमा कराएगा। मात्र पांच दिनों में तैयार किए गए पैकेज में विश्वनाथ मंदिर में सुगम दर्शन की सुविधा भी है। 1250 रुपए में पंचक्रोशी परिक्रमा के दौरान यात्रियों को भोजन भी कराया जाएगा। पैकेज का टिकट ज्ञानवापी हेल्प डेस्क पर उपलब्ध है। जिला पर्यटन अधिकारी कीर्तिमान श्रीवास्तव के अनुसार 12 वर्ष उम्र तक के बच्चों के लिए 750 रुपए और छह वर्ष तक के बच्चों के लिए नि:शुल्क व्यवस्था है। यात्रा की शुरुआत सुबह साढ़े सात से साढ़े नौ बजे तक होगी। प्रत्येक आघे घंटे पर 14 यात्रियों को लेकर एक बस रवाना होगी।

देख पाएंगे शृंगारगौरी का स्थान
काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के लिए किए ज्ञानवापी पर किए जा रहे ध्वस्तीकरण के बाद ज्ञानवापी मस्जिद और उसके पीछे का मैदान स्पष्ट नजर आने लगा है। ज्ञानवापी मस्जिद के पिछले हिस्से में शृंगार गौरी का मंदिर और प्राचीन विश्वेश्वर मंदिर के अवशेष हैं। यह पहला मौका होगा जब सावन में बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए कतार में खड़े होने वाले देश-दुनिया के भक्त दूर से ही सही किंतु शृंगार गौरी का स्थान देख सकेंगे।

सनातन धर्म के देवालयों में अर्चकों की तैनाती तिथियों के अनुसार निर्धारित करने का विधान हमारे शास्त्रों में वर्णित है। कृष्ण पक्ष में देवता की अर्चना करने वाला अर्चक यदि शुक्ल पक्ष में भी अर्चना करता है तो उसकी पूजा स्वीकार नहीं होती। तिथि वार ड्यूटी लगने पर अर्चक पक्षांत दोष और मासांत दोष से बच जाएंगे। अन्य मंदिरों में भी यही व्यवस्था लागू होनी चाहिए।
-आचार्य आशोक द्विवेदी, अध्यक्ष, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद

प्रयाग में अर्द्धकुंभ के दौरान भीड़ के पलट प्रवाह के बाद विशेष परिस्थितियों में हमने आपत्तिकाल मानकर पूरी रात बाबा के दिव्य दर्शन के लिए मंदिर खोला था। गत वर्ष की तुलना में अधिक भीड़ के अनुमान को देखते हुए मंदिर रातभर खोलने का प्रस्ताव आया था किंतु गर्भगृह में प्रवेश पर रोक के बाद बदली परिस्थितियों में ऐसा करने की नौबत ही नहीं आएगी। 
-विशाल सिंह, सीईओ, काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद
 

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