पुलिस-आबकारी की मिलीभगत से चल रही थी शराब फैक्ट्री!
प्रदेश सरकार का अवैध शराब बनाने व बेचने वालों पर सख्ती से पाबंदी लगाने का निर्देश है। इसके बाद भी रोहनिया के बीरभानपुर में सालों से चल रही अवैध शराब फैक्ट्री का पता चलने से पुलिसिया कार्यशैली पर सवाल...
प्रदेश सरकार का अवैध शराब बनाने व बेचने वालों पर सख्ती से पाबंदी लगाने का निर्देश है। इसके बाद भी रोहनिया के बीरभानपुर में सालों से चल रही अवैध शराब फैक्ट्री का पता चलने से पुलिसिया कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। लोगों का कहना है कि फैक्ट्री पुलिस और आबकारी अधिकारियों की मिलीभगत से चल रही थी।
सूत्रों के अनुसार शराब तस्कर थाने से लेकर पुलिस के उच्चाधिकारियों और आबकारी के अधिकारियों को मोटी रकम पहुंचाते थे। यही वजह थी कि पुलिस आंख मूंदे थी। चर्चाओं के अनुसार शराब फैक्ट्री चलाने में एक सपा नेता के भाई की भूमिका थी लेकिन पुलिस ने उसका नाम छुपा दिया है। सपा नेता की अच्छी पकड़ भी है। ऐसे में लोगों का सवाल है कि क्या मामले की जांच करके किसी पर कार्रवाई होगी या मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
क्या बड़े हादसे का था इंतजार
कुछ साल पहले सोयेपुर में शराब कांड में कई लोगों की जान जा चुकी है। मामले में कई लोगों को जेल भी भेजा गया था। वहीं आजमगढ़, गाजीपुर में भी अवैध शराब पीने से कइयों की जान जा चुकी है। ऐसे में लोगों का सवाल है कि क्या पुलिस व आबकारी अधिकारी फिर से बनारस में किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे थे।
एसपी ग्रामीण से मांगी गई है रिपोर्ट
एसएसपी आनंद कुलकर्णी का कहना है कि मामले में पुलिस की संलिप्तता का पता लगाने के लिए एसपी ग्रामीण अमित कुमार को जांच कर रिपोर्ट देने कहा गया है। रिपोर्ट आने पर पुलिस की संलिप्तता का पता चल सकेगा। संलिप्तता पाए जाने पर दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जाएगी।
एक दिन में बनती थी 50 पेटी शराब
अवैध शराब फैक्ट्री बंद निजी आईटीआई के परिसर में आरो प्लांट चलाने की आड़ में चलती थी। गिरफ्तार आरोपितों ने यह बताया कि फैक्ट्री सालों से चल रही थी और एक दिन में 45 से 50 पेटी शराब बनाई जाती थी। शराब बनाने के बाद बगल में स्थित निजी तेल डिपो के बाउंड्री में गाड़ी खड़ी करके शराब मालवाहक वाहन पर लोड होती थी। इसके बाद उसे आसपास के जिलों और बिहार भेजा जाता था।