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बनारसियों की हड्डी पर भी मंडरा रहा फ्लोरोसिस का खतरा

बनारस के भूमिगत जल में प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। उसमें फ्लोराइड की मात्रा मानक से ज्यादा हो गई है। इससे हड्डियों पर सबसे ज्यादा खतरा मंडरा रहा है। सरकार ने बीमारी से बचाव के लिए जिले को...

बनारसियों की हड्डी पर भी मंडरा रहा फ्लोरोसिस का खतरा
वाराणसी वीणा तिवारी Sat, 16 Dec 2017 01:35 PM
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बनारस के भूमिगत जल में प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। उसमें फ्लोराइड की मात्रा मानक से ज्यादा हो गई है। इससे हड्डियों पर सबसे ज्यादा खतरा मंडरा रहा है। सरकार ने बीमारी से बचाव के लिए जिले को फ्लोरोसिस प्रभावित घोषित कर बचाव व राहत कार्य के लिए कार्य योजना तैयार कर ली है। इसके अन्तर्गत मंडलीय अस्पताल में लैब स्थापित करने व ओपीडी शुरू करने का दिशा निर्देश दिया गया है। जल्द ही यह इसके मरीजों को चिह्नित कर उनका इलाज शुरू होगा।  

ऐसे करता है नुकसान 
शरीर में फ्लोराइड की मात्रा जरूरत से ज्यादा होने पर खतरनाक साबित हो सकता है। यह पीने के पानी, खाद्य सामग्री और कारखानों से निकलने वाले प्रदूषित गैसों के ज्यादा समय तक सेवन से बढ़ जाता है। इससे दांत, हड्डियों और शरीर के अन्य अंगों में विकृति आने का खतरा रहता है। अगर समय रहते इलाज न शुरू किया गया तो अपंगता आ सकती है। 

अब बनारस और गाजीपुर भी शामिल 
फ्लोरोसिस बनाव एवं नियंत्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत 2017-18 के कार्यक्रम में प्रदेश के पांच नये जिलों को शामिल किया गया है। वे पांच जिले वाराणसी, गाजीपुर, सोनभद्र, आगरा और झांसी हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत यह अभियान 2009-10 से चलाया जा रहा है। तब प्रदेश में प्रतापगढ़, उन्नाव, मथुरा, फिरोजाबाद और रायबरेली फ्लोरोसिस प्रभावित क्षेत्र के रूप में शामिल थे। 

पानी की भी होगी जांच 
सीएमओ डॉ. वीबी सिंह ने बताया कि बीमारी से बचाव के लिए मंडलीय अस्पताल में फ्लोरोसिस क्लीनिक और लैब की स्थापना होगी। वहां मरीजों की जांच के साथ पानी में फ्लोराइड की मात्रा भी मापी जायेगी। इसके मरीजों की पहचान के लिए ओपीडी भी चलाई जायेगी। लक्षणों के आधार पर उन मरीजों की जांच और इलाज की व्यवस्था होगी। 

स्कूलों में भी चलेगा अभियान, होगी हैंडपंप की जांच
नोडल अधिकारी के माध्यम से सभी ब्लॉकों के प्राथमिक विद्यालयों में अभियान चलाया जायेगा। जिसके तहत प्रत्येक ब्लॉक से 10-10 विद्यालयों का चयन कर वहां के 100 बच्चों की जांच की जायेगी। लक्षणों के आधार पर बच्चों को मंडलीय अस्पताल रेफर किया जायेगा। इसके साथ ही उन प्राथमिक विद्यालयों के आसपास के हैंडपंप के पानी की भी जांच होगी।

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