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चाय-पान की दुकानों पर भीड़ बताती है, बनारस बदला नहीं : अनुपम खेर

रंगकर्मियों के लिये हर साल एक शिविर लगाने पर करेंगे विचार

चाय-पान की दुकानों पर भीड़ बताती है, बनारस बदला नहीं : अनुपम खेर
हिन्दुस्तान टीम,वाराणसीMon, 24 Dec 2018 02:04 AM
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अपने संवाद और अभिनय से फिल्मों में जान फूंक देने वाले प्रख्यात अभिनेता अनुपम खेर का बनारस के प्रति स्नेह कहें, या बनारस की माटी का जादू कहें। यहां पहुंचे चरित्र अभिनेता जैसे काशी की माटी में रच-बस गये हों। सुबह-ए-काशी की गलियों में कचौड़ी-जलेबी की दुकानों पर जिस अंदाज में एक बनारसी दूसरे को आम बोलचाल की गालियों से नवाजते हुए खाने के लिए कहता है, उसी तरह का अंदाज अनुपम खेर का दिखा।

नदेसर के कैंटोनमेंट क्षेत्र में रविवार सुबह सात बजे बनारस की सड़कों की खाक छानने पैदल निकले अनुपम खेर करीब घंटे भर बाद मिंट हाउस स्थित भाजपा नेता के यहां पहुंचे। यहां बनारस की मशहूर कचौड़ी-जलेबी, तिरंगी बर्फी और मलाई-गिलौरी का स्वाद लिया। खेर ने इन व्यंजनों को अपने जीवन के सबसे स्वादिष्ट व्यंजनों में से एक बताया। कहा, अब तक इनका नाम सुना था, आज चखकर मन तृप्त हो गया। बताया कि पैदल सुबह की सैर के लिये निकल लिया। सुबह-सुबह चाय और पान की दुकानों पर लगी लोगों की भीड़ बता रही थी कि बनारस अभी बदला नहीं। बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने का मन फिर है। तो एक बार फिर से यदि मौका मिलेगा तो बनारस आऊंगा। यह दिव्य नगरी है। यहां आकर जो सौभाग्य मिला है, वह कहीं नहीं है।

... और जब खा ली थी भांग

बनारस में भांग सेवन को लेकर खेर ने अपनी यादें साझा की। बताया कि एक बार होली पर मुंबई में भांग खा ली। उसके बाद 8 घंटे तक हंसता रहा। पूरे दिन बस यही कहता रहा... यार भांग नहीं चढ़ रही। अगले दिन कान पकड़ा और कहा अब भांग नहीं खाएंगे।

बनारस की प्रतिभाओं को तराशने की जरूरत : अनुपम खेर

बनारस में रंगकर्मियों और थियेटर पर हिन्दुस्तान ने अनुपम खेर से खास बातचीत की। इस दौरान खेर ने बताया कि बनारस के युवा अभिनय में काफी प्रतिभशाली हैं। कुछ लोगों से बातचीत चल रही है। बनारस में एक शिविर का आयोजन करने पर विचार चल रहा है।

जिसे विकास देखना है वह बनारस आये

खेर ने कहा कि जो कहते हैं कि देश में विकास नहीं हो रहा, उन्हें बनारस आना चाहिए। एयरपोर्ट से यहां तक आने में ऐसा लगा कि विदेशों की सड़क पर हैं। इस दौरान काशी क्षेत्र के उपाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह ने मेरी काशी पुस्तिका भेंट कर काशी के विकास कार्यों को गिनाया।

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