PHOTO- भवन के साथ ढहाया गया दुर्मुख विनायक का मंदिर
बुधवार की रात सरस्वती फाटक क्षेत्र में एक भवन के ध्वस्तीकरण के साथ ही छप्पन विनायकों में एक दुर्मुख विनायक मंदिर का अस्तित्व खत्म हो गया। यह भवन काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने विस्तारीकरण के लिए क्रय...
बुधवार की रात सरस्वती फाटक क्षेत्र में एक भवन के ध्वस्तीकरण के साथ ही छप्पन विनायकों में एक दुर्मुख विनायक मंदिर का अस्तित्व खत्म हो गया। यह भवन काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने विस्तारीकरण के लिए क्रय करने के बाद ढहवा दिया है।
गिराया गया भवन सीके 35/7 है। यहां दुर्मुख विनायक का मंदिर होने का विवरण काशी खंड में भी है। आचार्य कुबेरनाथ शुक्ल की वाराणसी वैभव में भी इसका वर्णन दर्ज है। इसके पूर्व नवंबर में ज्ञानवापी के व्यास भवन को भी गिरा दिया गया था। उस भवन में मंडन मिश्र की मूर्ति स्थापित थी। अब तक मंडन मिश्र की मूर्ति ध्वस्त मकान के मलबे के साथ पड़ी है। इससे पूर्व भारत माता मंदिर वाले भवन को गिरा कर मूर्ति बोरे में रख दी गई थी। स्थानीय लोगों के विरोध पर भारत माता की मूर्ति को सम्मान जनक तरीके से रखा गया।
दो अन्य विनायक मंदिर पर भी संकट
विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र स्थित दो अन्य विनायक मंदिरों पर भी संकट के बादल हैं। दुर्मुख विनायक मंदिर से चंद कदम दूर भवन संख्या सीके 34/60 में सुमुख विनायक मंदिर है और भवन संख्या सीके 31/16 में प्रमोद विनायक मंदिर है। इन दोनों भवनों को विश्वनाथ मंदिर न्यास क्रय करने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक दोनों ही भवनस्वामियों के साथ भवन बेचने को लेकर रजामंदी हो चुकी है।
भवनों पर निशान लगने पर उठ रहे सवाल
एक तरफ काशी विश्वनाथ मंदिर के नवनियुक्त मुख्य कार्यपालक अधिकारी कह रहे हैं कि परिक्षेत्र के भवनों को तोड़ने की कोई योजना नहीं है वहीं मोहल्ले के विभिन्न भवनों पर लाल निशान भी लगाए जा रहे हैं। इससे लोगों के जेहन में तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं।
मेरे भवन में करुणेश्वर महादेव मंदिर है। हम कई पीढ़ियों से बाबा की सेवा करते आ रहे हैं। बाबा का दर्शन अन्तरगृही यात्रा में होता है। किसी कीमत पर मंदिर नहीं तोड़ने देंगे।
रामनाथ यादव, स्थानीय निवासी
हम लोग काशी खण्डोक्त में है मानधातेश्वर महादेव के सेवक हैं। राजा मान्धाता ने इसके अतिरिक्त भी क्षेत्र में कई देवालयों का निर्माण कराया था। उनपर भी संकट है।
मनीष खन्ना, स्थानीय निवासी
काशी की इन धरोहरों को हमारे पूर्वजों ने बहुत मेहनत से संजोया है। हम भी उसी परंपरा का पालन कर रहे हैं। प्रशासन की दोहरी कार्यशैली से संशय उत्पन्न हो गया है।
नरोत्तम दास गुप्ता, स्थानीय नागरिक
मेरी दस पीढ़ियां इसी भवन में गुजरी हैं। स्वर्गदवारेश्वर महादेव की सेवा सैकड़ों वर्षों से हमारे परिवार द्वारा की जा रही है। काशी खंडोक्त के अनुसार यह काशी में स्थापित किया जाने वाला आठवां शिवलिंग है।
-विभूति नारायण सिंह, स्थानीय नागरिक