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अगले माह से ब्रह्ममुहूर्त में खुलेगा श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का पट

श्रीकाशी-विश्वनाथ मंदिर का पट अगले माह से ब्रह्ममुहूर्त में (4.15 से 4.30 बजे) खुलेगा। तीन साल पहले न्यास परिषद की बैठक में पारित प्रस्ताव को अमल लाने के लिए सितंबर महीने के दूसरे हफ्ते में होने वाली...

अगले माह से ब्रह्ममुहूर्त में खुलेगा श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का पट
हिन्दुस्तान टीम,वाराणसीThu, 29 Aug 2019 10:24 PM
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श्रीकाशी-विश्वनाथ मंदिर का पट अगले माह से ब्रह्ममुहूर्त में (4.15 से 4.30 बजे) खुलेगा। तीन साल पहले न्यास परिषद की बैठक में पारित प्रस्ताव को अमल लाने के लिए सितंबर महीने के दूसरे हफ्ते में होने वाली परिषद की 100वीं बैठक में मुहर लगेगी। इसके बाद करीब करीब 36 साल पुरानी परपंरा दोबारा शुरू होगी।

मंदिर न्यास के सीईओ विशाल सिंह ने बताया कि वह चाहते हैं कि मंदिर पूर्व की परंपरा के अनुसार खोला जाए। वर्ष 2016 में न्यास परिषद की बैठक में पारित प्रस्ताव को मैंने संज्ञान में लिया है। काशी विद्वत परिषद और अन्य कर्मकांडी विद्वानों की रायशुमारी के बाद मंदिर के खुलने के स्थायी समय के शास्त्रीय निर्धारण के साथ पूजन विधान के पालन आदि पर पक्षों पर भी विद्वानों ने अपना शास्त्रसम्मत मत रखा है। इस पर न्यास अध्यक्ष और मंडलायुक्त के औपचारिक सहमति की प्रतीक्षा है। विद्वानों की ओर से तैयार अभिलेख के अनुसार व्यवस्था निर्धारण के लिए किए जाने वाले आवश्यक बदलावों के बारे में न्यास परिषद की बैठक में चर्चा के माध्यम से इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।

न्यास के अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने कहा कि सीईओ के इस प्रस्ताव को संज्ञान में लिया जाना परंपराओं के प्रति सकारात्मक कदम है। सितंबर के दूसरे सप्ताह में होने वाली न्यास परिषद की सौवीं बैठक में इस विषय पर सर्वसम्मति से निर्णय होगा। यह व्यवस्था लागू हो जाने से प्रत्येक अवसरों पर भक्तों के लिए एक निश्चित समय पर मंदिर खोला जाएगा। संभव हुआ तो आश्विन मास की शुक्ल प्रतिपदा अथवा पूर्णिमा से इस व्यवस्था का अनुपालन आरंभ हो जाए।

मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया कि महंतों की व्यवस्था रहने तक मंगला आरती का समय तड़के 3 से 4 बजे तक था। मंगला आरती में गर्भगृह में सिर्फ अर्चकों और संन्यासियों का प्रवेश होता था। आरती के बाद 20 मिनट में सफाई के बाद आम भक्तों का प्रवेश 4.20 बजे होता था।

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