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श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा ने काशी विश्वनाथ के साथ काल भैरव का आशीर्वाद लिया, सारनाथ भी पहुंचे, VIDEO

काशी दौरे पर पहुंचे श्रीलंका प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने बाबा विश्वनाथ का दर्शन-पूजन कर आशीर्वाद लिया। उन्होंने नक्शे के जरिए कॉरिडोर परियोजना को भी जाना। वह कालभैरव मंदिर में भी दर्शन करने गए।...

श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा ने काशी विश्वनाथ के साथ काल भैरव का आशीर्वाद लिया, सारनाथ भी पहुंचे, VIDEO
वाराणसी वरिष्ठ संवाददाताSun, 09 Feb 2020 09:57 PM
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काशी दौरे पर पहुंचे श्रीलंका प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने बाबा विश्वनाथ का दर्शन-पूजन कर आशीर्वाद लिया। उन्होंने नक्शे के जरिए कॉरिडोर परियोजना को भी जाना। वह कालभैरव मंदिर में भी दर्शन करने गए। इसके बाद उन्होंने सारनाथ में मूलगंधकुटी बौद्ध मंदिर में तथागत प्रतिमा के समक्ष पूजा पाठ की। महिंदा राजपक्षे ने सारनाथ संग्रहालय के आगंतुक रजिस्टर में लिखा ’बौद्ध अनुयायियों के पवित्र स्थल पर पहुंचकर मुझे बहुत खुशी हुई है और मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं”। 

श्रीलंकाई पीएम काशी पहुंचने पर सबसे पहले सुबह 10.46 पर विश्वनाथ मंदिर पहुंचे। यहां धर्मार्थ कार्य राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नीलकंठ तिवारी, कमिश्नर दीपक अग्रवाल व डीएम कौशल राज शर्मा ने अगवानी की। प्रधानमंत्री नंदी हॉल होते हुए रानी भवानी उत्तरी प्रवेश द्वार से मंदिर परिसर पहुंचे। 10.49 बजे गर्भगृह में प्रवेश किया। यहां मंदिर के अर्चक पं. श्रीकांत व पं. टेक नारायण के आचार्यत्व में पांच वैदिक ब्राह्मणों ने विधि-विधान से षोड्षोपचार पूजन कराया। बाबा को चंदन, पुष्प, जल व दूध अर्पित कर आरती उतारी। कमर में दिक्कत की वजह से उन्होंने गर्भगृह में टेबुल पर बैठकर पूजन किया।

पीएम राजपक्षे करीब 11.08 बजे बाहर निकले और बाबा के स्वर्ण शिखर व ध्वज को प्रणाम किया। इसके बाद तारकेश्वर मंदिर के मंडप में बैठे, जहां उनको रक्षा सूत्र बांधकर बाबा का प्रसाद भेंट किया गया। कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने काशी विश्वनाथ धाम का नक्शा दिखाकर हो रहे भव्य निर्माण की जानकारी दी। धर्मार्थ कार्य मंत्री ने चांदी से निर्मित बाबा विश्वनाथ की रिप्लिका (स्मृति चिह्न), रुद्राक्ष, मेरी काशी एक पुरातन नगरी किताब और अंगवस्त्रम भेंट किया।

निकलते वक्त निर्माणाधीन कॉरिडोर को कुछ देर रुककर देखा। इसके बाद 11.20 बजे ज्ञानवापी द्वार पर हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन करते हुए कालभैरव मंदिर रवाना हो गए। सुबह 11:28 बजे वह कालभैरव मंदिर पहुंचे। यहां पुजारी अनिल कुमार दुबे ने पंचों पचासा काल भैरव अष्टक मंत्र से पूजन कराया। प्रधानमंत्री ने नवीन वस्त्र बाबा को चढ़ाया। पुजारी अनिल दुबे ने दुपट्टा और बाबा काल भैरव का स्मृति चिह्न राजपक्षे को भेंट किया।

काल भैरव से पीएम पहले होटल पहुंचे। वहां कुछ देर आराम करने के बाद सारनाथ पहुंचे। प्रधानमंत्री ने पूजा-पाठ के बाद धमेख स्तूप सहित अन्य पुरावशेषों की जानकारी ली। इंडो श्रीलंका बुद्धिस्ट विहार में प्रभारी भिक्षु के सिरी सुमेध थेरो ने स्वागत किया। विहार में स्थापित भगवान बुद्ध की प्रतिमा की पूजा की। उन्हेें बुद्ध प्रतिमा भेंट की गई। श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने कहा कि सारनाथ विश्व में शांति का सबसे बड़ा केंद्र है। यहां आकर मुझे आत्मिक शांति का अहसास हुआ है। उन्होंने महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के पदाधिकारियों के साथ अनौपचारिक बातचीत में यह बात कही। 

महिंदा राजपक्षे सबसे पहले संग्रहालय पहुंचे। यहां सड़क के दोनों किनारों पर लोग तिरंगा लेकर हर-हर महादेव का उद्घोष कर रहे थे। प्रदेश सरकार की ओर से राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. नीलकंठ तिवारी व रवींद्र जायसवाल ने उनका स्वागत किया और स्टोन क्राफ्ट के शिल्प उत्पाद हाथी के अंदर हाथी उन्हें भेंट किया। संग्रहालय में राष्ट्रीय चिन्ह देखा व पुरातत्व अधिकारियों से विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने भगवान बुद्ध के धर्मचक्र प्रवर्तन मुद्रा की प्रतिमा, अंधकासुर वध व नवग्रह की प्रतिमा देखी। लगभग 20 मिनट तक संग्रहालय में रुके। इसके बाद वह पुरातात्विक उत्खनित स्थल परिसर पहुंचे। जहां उनका स्वागत महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के महासचिव पी. शिवली थेरो ने किया। 

आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के सुपरिंटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट नीरज सिन्हा ने धम्मेख स्तूप के नजदीक उन्हें सारनाथ बौद्ध स्थल की साल 1835 से 1929 तक चली खुदाई व इसके इतिहास से संबंधित फोटो एलबम दिखाए। इसके बाद श्रीलंका के प्रधानमंत्री मूलगंध कुटी विहार पहुंचे। यहां महाबोधि सोसाइटी ऑफ इण्डिया के उपाध्यक्ष प्रो. राममोहन पाठक ने पारंपरिक खाता प्रदान कर उनका स्वागत किया और भारत-श्रीलंका संबंधों को सुदृढ़ करने में बौद्ध धर्म के महत्व तथा श्रीलंका में हिन्दी के शिक्षण, प्रशिक्षण आदि विषयों पर वार्ता की ।

पी. शिवली थेरो व मूलगंध कुटी विहार के भिक्षु प्रभारी मेधांकर थेरो ने करीब आधे घंटे तक परित्राण देशना पाठ कराया। दर्शन पूजन के बाद महिंदा राजपक्षे ने भगवान बुद्ध के प्रथम उपदेशस्थल का दर्शन किया। फिर वह इंडो-श्रीलंका इंटरनेशनल बुद्धिस्ट एसोसिएशन जंबूद्वीप पहुंचे। जम्बूदीप के धर्मगुरु सुमेध महाथेरो, वर्मीज टेम्पल के भंते वन्न धज, थाई टेम्पल के भंते कलिको, वियतनाम टेम्पल के धर्मगुरु ने प्रधानमंत्री और उनकी टीम की अगवानी की। लगभग 20 मिनट तक पूजा अर्चना की। सभी मंदिरों के धर्मगुरुओं ने उन्हें बुद्धमूर्ति भेंट की। डॉ. नीरजा माधव ने अपनी कृति प्रदान की। संचालन डॉ. वेणी माधव ने किया। राजपक्षे ताज होटल में रात्रि विश्राम करने के बाद सोमवार की सुबह बोधगया (बिहार) के लिए रवाना होंगे।

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