बोले काशी : जुनून की पुकार, मिलें मैदान और प्रतिभा प्रदर्शन के अवसर
Varanasi News - वाराणसी में स्केटिंग खिलाड़ियों को उचित सुविधाओं और मैदानों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। खिलाड़ियों का कहना है कि बिना मैदान के नियमित अभ्यास संभव नहीं है। आर्थिक तंगी और चिकित्सा सुविधाओं की कमी...
वाराणसी। विभिन्न खेलों और उनके खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए प्रदेश-केन्द्र स्तर पर बहुत कुछ हो रहा है। प्रतियोगिताओं के जरिए प्रतिभाएं तराशी जा रही हैं। वहीं, कुछ खेलों के खिलाड़ी अपने को जिम्मेदारों की नजरों में उपेक्षित मानते हैं। उनमें स्केटिंग के भी खिलाड़ी हैं। इस खेल में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। मगर स्केटिंग के लिए बरेका को छोड़ सरकारी स्तर पर न उपयुक्त मैदान है, न जरूरी सुविधाएं। जुनून और समर्पण से ओतप्रोत खिलाड़ियों की अपेक्षा है कि एक मैदान, प्रोत्साहन राशि और समुचित चिकित्सा सुविधाओं की। स्केटिंग के लिए मैदान न होना उसके खिलाड़ियों की नजर में सबसे बड़ी चुनौती है।
यह चुनौती उनके संघर्ष के जज्बा और जुनून को रोकती है। वे मनमाफिक सपनों की उड़ान नहीं भर पा रहे हैं। प्रदर्शन से वंचित हैं प्रतिभाएं। वाराणसी रोलर स्केटिंग एसोसिएशन के बैनर तले बरेका इंटर कॉलेज के मैदान में जुटे स्केटिंग खिलाड़ियों ने ‘हिन्दुस्तान के साथ अपनी दिक्कतें और चुनौतियां साझा कीं। अपेक्षाएं भी बताईं। बातचीत की शुरुआत इस सवाल से हुई कि जब जिले में प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की कमी नहीं तो हम स्केटिंग में पीछे क्यों? एसोसिएशन के अध्यक्ष रजनीश कुमार रंजन के जवाब में कारण उजागर हुए। बताया कि ज्यादातर स्केटिंग खिलाड़ी अभ्यास के लिए सड़कों पर निर्भर हैं। यह न केवल उनके लिए बल्कि दूसरे लोगों के लिए भी खतरनाक स्थिति होती है। कई बार स्केटिंग खिलाड़ियों को सड़कों पर चलने वाले वाहनों से खतरा हो जाता है। सड़क पर अभ्यास के दौरान उन्हें चोट लगना आम बात है। इसके अलावा उन्हें कुशल प्रशिक्षक समेत जरूरी सुविधाएं भी नहीं मिलती हैं। बताया कि स्केटिंग खिलाड़ियों को अक्सर आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है, तब उन्हें अपने जुनून को छोड़ना पड़ता है। चोट लगने पर उचित चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिलतीं। इस कारण उन्हें तनाव का सामना करना पड़ता है। एसोसिएशन के सचिव ज्ञानेंद्र कुमार सिंह बोले, स्केटिंग खिलाड़ी परजीवी हैं। जहां जगह मिली, वहीं खेल लिए-अभ्यास कर लिया। ग्राउंड की कमी के कारण वे पूरी क्षमता से न तैयारी कर पाते हैं और न ही प्रतिभा का प्रदर्शन। कोच फरजम ने कहा कि खिलाड़ियों के लिए सड़क-हाइवे ही ग्राउंड हैं। कह सकते हैं कि हमें फुटपाथ और सड़कों का ही सहारा है। भोर में तीन बजे बाबतपुर हाइवे पर कई खिलाड़ी अभ्यास करने को मजबूर हैं। अभिषेक उपाध्याय ने बताया कि बरेका का यह बास्केटबॉल ग्राउंड बहुत बड़ा सहारा है। यहां से कई खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में गोल्ड समेत कई मेडल हासिल किए हैं। अगर स्केटिंग ग्राउंड की सुविधा मिल जाती तो आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई खिलाड़ी भारत का नाम रोशन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ प्रशिक्षकों और आधुनिक सुविधाओं की भी आवश्यकता होती है, जो हमारे शहर में उपलब्ध नहीं हैं। इससे हमारे खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते हैं। गति संतुलन के लिए मैदान जरूरी ज्ञानेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि स्केटिंग खिलाड़ियों के सामने ग्राउंड की कमी बड़ी चुनौती बन गई है। खिलाड़ी अपने जुनून और लगन से इस खेल में नाम कमा रहे हैं। लेकिन उचित सुविधाएं न मिलने से उन्हें प्रतिभा को पूरी तरह से निखारने का मौका नहीं मिल पा रहा है। स्केटिंग में तकनीक, गति और संतुलन की आवश्यकता होती है। खिलाड़ी आकर्ष श्रेष्ठ, शिवम यादव, आर्यन मौर्य और नेशनल खिलाड़ी अर्चना उपाध्याय ने कहा कि जब ग्राउंड ही न हो तो नियमित अभ्यास कैसे किया जा सकता है? इस समस्या के समाधान के लिए सरकार और प्रशासन को आगे आना चाहिए। तब दर्द का एहसास कम होगा नेशनल खिलाड़ी ज्योति राय ने बताया कि मेरे साथ बेटा रुद्रांश और बेटी वैभवी भी स्केटिंग करती है। यह खेल बहुत ही जोखिम भरा होता है। शुरुआत में कई तरह की असुविधाएं झेलनी पड़ती हैं। परिवार वालों का भी दबाव रहता है। बताया कि स्केटिंग करते हुए रुद्रांश का पैर टूट चुका है। खिलाड़ी अक्सर घायल होते हैं। उन्हें उचित चिकित्सा सुविधाएं न मिलने के कारण स्थिति गंभीर हो जाती है। खिलाड़ी पावनी, ध्रुवी त्रिपाठी, निहिरा त्रिपाठी और सुंदरम यादव ने कहा, खिलाड़ियों को स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़ी उचित सुविधाएं मिलनी चाहिए। बीच में टूट जाते हैं सपने प्रबंधक सीमा ने बोलीं, मैं स्केटिंग को अपना जूनून मानती हूं। वर्षों से स्केटिंग खेल रही थी। आगे भी खेलना चाहती थी लेकिन उपकरणों की कमी ने सपनों को पूरा नहीं होने दिया। यह अनेक खिलाड़ियों का दर्द है। बताया कि यह खेल बहुत महंगा है। इसके आवश्यक उपकरणों की कीमतें बहुत अधिक हैं। इससे खिलाड़ियों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है। उन्हें कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण अपने सपनों को छोड़ना पड़ता है। खिलाड़ी तेजश, महेन्द्र, आद्यांत और नेशनल खिलाड़ी अक्षय दीप ने बताया कि प्रतिभाशाली खिलाड़ी खूब संघर्ष करते हैं लेकिन धनाभाव के कारण उन्हें अपने लक्ष्य को छोड़ना पड़ जाता है। मिले उचित सम्मान-प्रोत्साहन रजनीश कुमार रंजन ने कहा कि नेशनल स्तर पर खेलने के बावजूद स्केटिंग खिलाड़ियों को दूसरे खेलों के खिलाड़ियों की तरह सम्मान और प्रोत्साहन नहीं मिलता है। कई बार खिलाड़ियों को अपने परिवार से भी समर्थन नहीं मिलता। परिवार के सदस्य अपने बच्चों को स्केटिंग से दूर करने की कोशिश करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह खेल उनके बच्चों का भविष्य नहीं संवार सकता है। कोच फरजम ने कहा कि मध्यवर्गीय खिलाड़ी अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने सपनों को बलिदान कर देते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कोई काम शुरू कर देते हैं। बुनियादी सुविधाओं की कमी शिवम, अक्षय ने कहा कि स्केटिंग खिलाड़ियों के लिए शौचालय और चेंजिंग रूम की व्यवस्था नहीं है। उन्हें मूलभूत सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ता है। नेशनल खिलाड़ी इशिका ने कहा कि महिला खिलाड़ियों को तो और अधिक समस्या होती है। आस्था यादव, श्रीश, अरीबा और रुद्रांश विश्वकर्मा (दिव्यांग) ने बताया कि खिलाड़ियों को खेल के दौरान शौचालय की कमी अखरती है। कपड़े बदलने की भी कोई सुविधा नहीं मिलती है। हमारी बात सुनें 1. स्केटिंग खिलाड़ी खेल के लिए समर्पित होते हैं लेकिन उन्हें संसाधनों की कमी झेलनी पड़ती है। - शिवम 2. मेरी बेटी इशिका ने ऑल इंडिया में प्रथन और बेटे अक्षय दीप ने पांचवा स्थान प्राप्त किया है। - अर्चना उपाध्याय 3.उपकरणों और आर्थिक सहयोग की कमी के कारण कई खिलाड़ियों ने अपने सपनों को अधूरा छोड़ दिया। - सीमा 4. खिलाड़ी को अपने संसाधनों के साथ-साथ निजी जीवन की समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। -आस्था यादव 5. नेशनल स्तर तक पहुंचने के बावजूद खिलाड़ियों को आर्थिक सहयोग और समर्थन नहीं मिलता है। - राजेश कुमार उपाध्याय 6. खिलाड़ियों को ग्राउंड नहीं मिल पाया है। वे अभ्यास के लिए दर-दर भटकते हैं। - ज्ञानेंद्र कुमार सिंह 6. खिलाड़ियों का जुनून और जोश काबिले तारीफ है, लेकिन यह खेल जोखिमों से भरा है। - ज्योति राय 7. आर्थिक सहयोग न मिलने से अनेक खिलाड़ियों के सपने पूरे नहीं हुए। उन्होंने खेल छोड़ दिया। - फरजम 8. स्केटिंग खिलाड़ी कई मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं लेकिन कोई ध्यान देने वाला नहीं है। - आर्यन मौर्य 9. सुविधाओं के अभाव में प्रतिभाशाली खिलाड़ी अपने सपनों को पूरा करने से वंचित रह जाते हैं। - अक्षय 10. स्केटिंग खिलाड़ियों को आर्थिक सहयोग की आवश्यकता है, ताकि वे अपने सपने पूरा कर सकें। - पावनी 11. न शौचालय न चेंजिंग रूम। इस स्थिति में खिलाड़ियों को बेहद परेशानी का होती है। - इशिका 12. ज्यादातर खिलाड़ियों को अपने परिवार से भी समर्थन नहीं मिलता है। यह बहुत मंहगा खेल है। - आकर्ष श्रेष्ठ सुझाव और शिकायतें शिकायतें 1. स्केटिंग खिलाड़ियों के लिए वाराणसी में एक भी ग्राउंड नहीं है। उन्हें सड़क और हाइवे पर अभ्यास करना पड़ता है। 2. स्केटिंग जोखिम भरा खेल है। अभ्यास के दौरान कई बार खिलाड़ी चोटिल हो जाते हैं। उन्हें समुचित चिकित्सा सुविधा नहीं मिलती। 3. खिलाड़ियों को कोई प्रोत्साहन रााशि नहीं दी जाती है। इससे उनका मनोबल कमजोर और रुझान दिन-प्रतिदिन कम होता जाता है। 4. खिलाड़ियों को उचित उपकरण नहीं मिल पाते। इससे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को खेल बीच में ही छोड़ना पड़ता है। 5. शौचालय और चेजिंग रूम की व्यवस्था नहीं है। ग्राउंड की कमी इन समस्याओं को उत्पन्न कर रही है। सुझाव 1. वाराणसी के स्पोर्ट्स ग्राउंड में स्केटिंग अभ्यास की सुविधा दी जाए। कई ग्राउंड खाली हैं। प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। 2. खिलाड़ियों को चोट लगने पर तत्काल चिकित्सा सुविधाएं मिलनी चाहिए। इसके लिए सरकार और प्रशासन को आगे आना होगा। 3. अन्य राज्यों और शहरों की तरह खिलाड़ियों को प्रोत्साहन राशि मिलनी चाहिए। सभी खेलों की तरह स्केटिंग में भी समानता लानी होगी। 4. प्रशासन की तरफ से खिलाड़ियों को उपकरणों की सुविधा देनी चाहिए। इससे खिलाड़ियों की संख्या बढ़ेगी। 5. कई मूलभूत सुविधाओं के साथ ही शौचालय और चेजिंग रूम की व्यवस्था अनिवार्य है। इससे खिलाड़ियों की कई दिक्कतें समाप्त हो जाएंगी। एक नजर में -600 के आसपास स्केटिंग खिलाड़ी हैं बनारस में -120 खिलाड़ी बरेका में करते हैं अभ्यास -6/7 खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं
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