सोमवती अमावस्या पर 30 को, हरि-हर का पूजन फलदायी
Varanasi News - सोमवती अमावस्या 30 दिसंबर को पड़ रही है, जिसका महत्व बढ़ गया है। इस दिन भगवान विष्णु और महादेव की पूजा से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होगी। स्नान, दान और श्राद्ध का महत्व है। पीपल वृक्ष की पूजा से...

वाराणसी, मुख्य संवाददाता। पौष महीने की अमावस्या सोमवार को पड़ने से इसका महात्म्य सौ गुना बढ़ गया है। इस तिथि पर श्रीहरि विष्णु एवं देवाधिदेव महादेव का पूजन करने से विशेष पुण्यफल की प्राप्ति होगी। सोमवती अमावस्या 30 दिसंबर को पड़ेगी।
पौष अमावस्या 30 दिसंबर को तड़के 4:02 बजे लगेगी जो 31 दिसंबर तड़के 3: 57 बजे तक रहेगी। मूल नक्षत्र 29 दिसंबर को रात 11:22 बजे से 30 दिसंबर को रात 11:58 बजे तक रहेगा। वृद्धि योग 29 की रात 9:41 बजे से 30 दिसंबर की रात 8: 32 बजे तक रहेगा। वृद्धियोग में समस्त कार्यों में वृद्धि का योग बनता है।
अमावस्या पर स्नान दान-व्रत एवं श्राद्ध का विशेष महत्व है। भगवान शिव, श्रीविष्णु तथा पीपल के वृक्ष की पूजा अत्यंत फलदायी शास्त्रों में बताई गई है। किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए पीपल वृक्ष की जड़ में जल अर्पण करने के बाद 108 परिक्रमा करनी चाहिए। ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि सोमवती अमावस्या पर भगवान विष्णु एवं पीपल वृक्ष की पूजा-अर्चना से सुख-समृद्धि, खुशहाली मिलती है।
अमावस्या तिथि पर विधि-विधान पूर्वक पितरों की भी पूजा-अर्चना की जाती है। पितरों के आशीर्वाद से जीवन में भौतिक सुख-समृद्धि, खुशहाली आती है। सोमवती अमावस्या पर सफेद रंग की वस्तुओं के दान का भी अधिक महत्व है। अत: ब्राह्मण को चावल, दूध, मिश्री, चीनी, खोवा से बने सफेद मिष्ठान्न, सफेद वस्त्र, चांदी एवं अन्य सफेद रंग की वस्तुएं दक्षिणा के साथ दान करनी चाहिए।
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