वाराणसी। प्रमुख संवाददाता
अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर की नींव के स्थान पर सरयू की धारा मिलने के बाद उत्पन्न समस्या के समाधान के लिए देश की प्रमुख आईआईटी के एक्सपर्ट की टीम लगा दी गई है। उम्मीद है कि आईआईटी मुंबई, गुवाहाटी, चेन्नई, रुड़की, कानपुर, एनआईटी सूरत, टाटा तथा एल एंड टी के विशेषज्ञों की टीम इसी माह के पहले सप्ताह में समाधान खोज ले।
यह जानकारी विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय उपाध्यक्ष और श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चंपत राय ने शुक्रवार को पत्रकारों को दी। इंग्लिशिया लाइन स्थित विहिप कार्यालय में बातचीत में उन्होंने बताया कि राम मंदिर की सुरक्षा पर कई पहलुओं से ध्यान दिया जा रहा है। भगवान राम के प्रस्तावित गर्भगृह के नीचे की भूमि भुरभूरी बलुई मिट्टी वाली है। इसे ध्यान में रखते हुए पत्थर, कंक्रीट और तांबे का इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मंदिर को दीर्घकाल तक स्थायी बनाए रखने के लिए पत्थर, कंक्रीट और तांबे के विशेष संयोजन से आकार दिया जाएगा। इस पद्धति से निर्माण लागत कई गुना बढ़ जाएगी। चंपत राय ने कहा कि मकर संक्रांति को रामलला के मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। इसे दिसंबर 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य है। श्रीराम मंदिर का परकोटा पांच एकड़ में होगा। शेष हिस्से में भी निर्माण का खाका तैयार हो चुका है।
देश के 11 करोड़ परिवारों से करेंगे संपर्क
विहिप के केन्द्रीय उपाध्यक्ष के अनुसार मंदिर निर्माण शैली में परिवर्तन के कारण लागत बहुत बढ़ जाएगी। ऐसे में मंदिर निर्माण के लिए धनसंग्रह अभियान चलाया जाएगा। मकर संक्रांति से माघी पूर्णिमा तक चलने वाला धन संग्रह कार्यक्रम विश्व का सबसे बड़ा सामाजिक एवं सांस्कृतिक अभियान होगा। धनसंग्रह अभियान के तहत 11 करोड़ परिवारों से संपर्क करने का लक्ष्य है। इसके लिए आरएसएस और उसके अनुसांगिक संगठनों के तीन से चार लाख कार्यकर्ताओं की टीम लगाई जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि दूसरे धर्म के लोग आर्थिक सहयोग के लिए आगे आते हैं तो उनका भी सहयोग लिया जाएगा। एक गैर हिंदू ने मंदिर निर्माण के लिए दो लाख रुपये दिए हैं।
यूपी के 50 लाख परिवारों तक जाएंगे कार्यकर्ता
काशी प्रांत के अंतर्गत 16 हजार गांवों के 50 लाख परिवारों में कार्यकर्ता जाएंगे। उन्होंने बताया कि धन संग्रह के लिए 10, सौ और एक हजार रुपए के कूपन तैयार किए गए हैं। इससे ज्यादा दान देने वालों को रसीद काटकर दी जाएगी।