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पालघर हत्याकांड पर साधु-संतों ने ऑनलाइन की बैठक, आगे की रणनीति पर चर्चा

महाराष्ट्र के पालघर जिले में श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के दो साधुओं की 16 अप्रैल को निर्मम हत्या के मामले में महाराष्ट्र सरकार ने अपने स्तर से कार्रवाई शुरू कर दी है। वहीं अखिल भारतीय अखाड़ा...

पालघर हत्याकांड पर साधु-संतों ने ऑनलाइन की बैठक, आगे की रणनीति पर चर्चा
वाराणसी प्रमुख संवाददाताTue, 21 Apr 2020 05:06 PM
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महाराष्ट्र के पालघर जिले में श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के दो साधुओं की 16 अप्रैल को निर्मम हत्या के मामले में महाराष्ट्र सरकार ने अपने स्तर से कार्रवाई शुरू कर दी है। वहीं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से जुड़े विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत भी अपनी रणनीति बना रहे हैं। सोमवार को अखाड़ों के प्रमुख पदाधिकारी ह्वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से ऑनलाइन जुड़े और इस गंभीर प्रकरण पर चर्चा की। 

वहीं, श्री भारत धर्म महामंडल के जनरल सेक्रेटरी  प्रो. शंभू उपाध्याय ने कहा है कि इस घटना की समयबद्ध जांच हाईकोर्ट के सिटिंग न्यायामूर्ति से कराई जाए। दिल्ली के निर्भया कांड की तर्ज पर तत्काल फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाकर इस मुकदमे का निस्तारण किया जाए एवं दोषियों को फांसी की सजा दी जाए।
उन्होंने कहा कि उन बेकसूर साधुओं की निर्मम हत्या पर आज तक तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग पूरी तरह से ख़ामोश है। कोई लोकतंत्र या संविधान की दुहाई नहीं दे रहा और न ही राजकीय सम्मान या पुरस्कार लौटने की मुहिम चलाई जा रही है। अब साधु-संतों सहित सभी सनातन धर्मियों को एक होने की आवश्यकता है।

अखाड़ा परिषध की बैठक में साधु-संतों के एक धड़े का कहना है कि लॉकडाउन समाप्त होते ही वे घटना स्थल पर जाना चाहते हैं। यह देखने  कि महाराष्ट्र सरकार जिन्हें आदिवासी बता रही है, वास्तव में वे आदिवासी ही हैं अथवा किसी अन्य जाति-संप्रदाय के लोग हैं। उन्होंने कहा कि जिस देश में साधु-संत से लेकर सामान्य सनातनी तक वसुधैव कुटुम्बकम में आस्था रखता हो वहां साधु-संतों की निर्मम हत्या किसी बड़ी साजिश का हिस्सा है। यह इस बात का परिचायक है कि कुछ शक्तियां भारत को अशांत करना चाहती हैं। इस कृत्य में शामिल लोगों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई होनी चाहिए। कुछ संतों ने यह प्रस्ताव भी रखा कि घटना की को राष्ट्रीय साधु स्वाभिमान दिवस घोषित किया जाए। दोनों संतों के प्राणोत्सर्ग को कुरबानी का दर्जा दिया जाय l 

ऑनलाइन मीटिंग में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि , महामंत्री हरि गिरि, महानिर्वाणी अखाड़ा, अटल अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, श्रीपंचदशनाम आवाहन अखाड़ा, श्रीपंच अग्नि अखाड़ा, पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा, श्रीपंच दिगंबर अनी अखाड़ा, श्रीपंच निर्मोही अनी अखाड़ा, नया उदासीन अखाड़ा, अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण तथा निर्मल अखाड़ा से प्रतिनिधि साधु-संत शामिल हुए।

...तो संत समाज करेगा निर्णय
श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेमगिरि ने कहा कि लॉकडाउन खत्म होने तक दूध का दूध पानी का पानी नहीं किया गया तो संत समाज त्रयंबक में जुटेगा और वहां के निर्णय के अनुसार कदम बढ़ाएगा। उन्होंने सवाल किया घटना के बाद सौ से अधिक लोगों की गिरफ्तारी करने वाली पुलिस 16 अप्रैल को क्यों मूक दर्शक बनी रही। घटना के वायरल वीडियो क्लिप में पुलिस वालों को भीड़ के बीच से हटते और किनारे खड़े होकर तमाशा देखते साफ देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि कुछ पुलिस कर्मियों को सस्पेंड किया गया है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। 

 

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