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चिंता की बात: निजी डाक्टर बढ़ा रहे क्षय रोग की समस्या

केंद्रीय टीबी नियंत्रण टीम ने कहा है कि शहर के ज्यादातर निजी डॉक्टर क्षय रोग की समस्या बढ़ाने के लिये जिम्मेदार हैं। निजी डॉक्टर क्षय रोग के उपचार के मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं।  गुरुवार...

चिंता की बात: निजी डाक्टर बढ़ा रहे क्षय रोग की समस्या
वाराणसी। कार्यालय संवाददाताFri, 19 Jan 2018 02:59 PM
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केंद्रीय टीबी नियंत्रण टीम ने कहा है कि शहर के ज्यादातर निजी डॉक्टर क्षय रोग की समस्या बढ़ाने के लिये जिम्मेदार हैं। निजी डॉक्टर क्षय रोग के उपचार के मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं। 

गुरुवार को सर्किट हाउस में केंद्रीय टीम व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के बीच हुई बैठक में सीएमओ डॉ. वीबी सिंह को इस संदर्भ में आईएमए के पदाधिकारियों से बातचीत कर समाधान निकालने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। केंद्रीय टीम ने दस बिंदुओं पर डीएम योगेश्वर राम मिश्रा व सीएमओ की संयुक्त कमेटी को रिपोर्ट सौंपी है। 21 सदस्यीय केंद्रीय टीम का नेतृत्व एसटीडीसी आगरा के प्रमुख डॉ. शैलेंद्र भटनागर कर रहे थे। तीन दिनों से टीम शहर में टीबी मरीजों के उपचार का सर्वेक्षण कर रही थी। 

टीम ने मंडलीय अस्पताल में क्षय रोग केंद्र का निरीक्षण किया और दवा खिलाने की प्रक्रिया के बारे में मरीजों से पूछताछ की। स्टेट टीबी सेल के सदस्य डॉ. नरेंद्र सिंह ने बताया कि निजी डॉक्टरों द्वारा मरीजों से टीबी की जांच (सीबीएनएएटी मशीन द्वारा) के लिए तीन हजार रुपये शुल्क लिया जा रहा है। निजी डॉक्टर मरीजों को लंबे समय तक सरकारी अस्पतालों में रेफर नहीं करते। ऐसा भी देखा गया है कि निजी डॉक्टरों द्वारा टीबी के मरीजों को अपने सामने दवायें नहीं खिलाई जाती। इससे एमडीआरटीबी के मामले बढ़ रहे हैं। इस टीम में डॉ. राजीव बिश्नोई, डॉ. चंद्रशेखरन, डॉ. भावेन वढेरा, जिला क्षय रोग नियंत्रण अधिकारी डॉ. केके ओझा आदि हैं।

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