विश्वनाथ मंदिर में एक और शिखर पर पेंट लगाने की तैयारी
काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य शिखर पर लगे इनामेल पेंट को वर्षों बाद भी जहां हटवाया नहीं जा सका है, वहीं परिसर स्थित एक और शिखर पर पेंट लगाने की जोरशोर से तैयारी जारी है। विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह के...
काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य शिखर पर लगे इनामेल पेंट को वर्षों बाद भी जहां हटवाया नहीं जा सका है, वहीं परिसर स्थित एक और शिखर पर पेंट लगाने की जोरशोर से तैयारी जारी है।
विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह के उत्तर स्थित अन्नपूर्णा कक्ष के शिखर पर पेंट लगाने से पहले की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस संवाददाता ने अन्नपूर्णा कक्ष के शिखर पर पुट्टी लगा रहे मजदूरों में एक को बुला कर पूछा कि क्या कार्य हो रहा है तो उसने बताया कि अभी पुट्टी लगाई जा रही है। पुट्टी सूखने के बाद प्राइमर लगाया जाएगा। प्राइमर के बाद पेंट लगाया जाएगा। मजदूरों ने बताया कि आलोक सिंह के निर्देशन पर संजय सिंह नामक ठेकेदार यह काम करा रहा है।
चौंकाने वाली बात यह है कि मंदिर कार्यपालक समिति के प्रमुख अधिकारियों में शामिल जिलाधिकारी के संज्ञान में दिए बिना ही यह काम शुरू करा दिया गया है। मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह भी इन दिनों शहर में नहीं हैं।
इस संदर्भ में जब जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्र से बात की गई तो उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि आखिर यह काम किसके आदेश पर हो रहा है? अन्नपूर्णा कक्ष के प्राचीन शिखर पर पेंट लगाया ही नहीं जाना है। जिलाधिकारी ने कहा कि पुलिस भर्ती परीक्षा से खाली होते ही मैं विश्वनाथ मंदिर जाऊंगा। तत्काल प्रभाव से पहले इस कार्य को बंद कराया जाएगा, फिर इसके लिए जिम्मेदार लोगों से पूछताछ की जाएगी।
वहीं इस संदर्भ में पुरातत्वविदों ने स्पष्ट कहा कि पेंट तो दूर की बात है, पत्थर की पुरानी इमारतों पर पुट्टी भी बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। पेंट लगाने के बाद उन पत्थरों में भी स्टोन कैंसर होने की आशंका हो जाएगी।
मंदिर का स्वर्ण रहित शिखर भुगत रहा खामियाजा
काशी विश्वनाथ मंदिर के तीन शिखरों में से दो पर सोना जड़ा हुआ है जबकि मंदिर के पश्चिमी हिस्से वाले प्रधान शिखर पर वर्ष 2003-04 में तत्कालीन मंडलायुक्त सीएन दुबे के कार्यकाल में इनामेल पेंट लगवा दिया गया था। दुष्परिणाम यह हुआ कि कुछ ही वर्षों के बाद शिखर के पत्थरों से चप्पड़ छूटने लगा। पेंट लगाए जाने का खामियाजा प्रधान शिखर अब भी भुगत रहा है। करीब 14 साल बाद भी पेंट को छुड़ाने का उपाय नहीं खोजा जा सका है। विश्वनाथ मंदिर न्यास 53 लाख रुपए से अधिक की राशि सिर्फ यह पता लगाने के लिए खर्च कर चुका है कि पेंट को कैसे साफ किया जाए जिससे कि शिखर को नुकसान न पहुंचे।