डाक विभाग प्रकरण: डाक विभाग के कई अफसर-पोस्टमैन निशाने पर
कैंटोमेंट स्थित प्रधान डाकघर अरसे बाद फिर चर्चा में हैं। एक दशक पूर्व करोड़ों के किसान विकासपत्र घोटाले का मामला इस डाकघर से जुड़ा रहा। अब डाकपत्रों को कबाड़ी के यहां बेचे जाने का मामला सामने आने के...
कैंटोमेंट स्थित प्रधान डाकघर अरसे बाद फिर चर्चा में हैं। एक दशक पूर्व करोड़ों के किसान विकासपत्र घोटाले का मामला इस डाकघर से जुड़ा रहा। अब डाकपत्रों को कबाड़ी के यहां बेचे जाने का मामला सामने आने के बाद विभाग में खलबली है। मामले में अभी कितनों की गर्दन नपेगी यह तो जांच के बाद ही सामने आएगा मगर पुलिस भी अब इस मामले में कुछ कर्मचारियों एवं अफसरों से पूछताछ कर सकती है।
वहीं मुख्यालय ने पोस्टमास्टर जनरल से मामले की पूरी जानकारी मांगी है। दरअसल पुलिस की पूछताछ में आरोपित पोस्टमास्टर ने बताया था कि डाकपत्रों के बेचे जाने की जानकारी कुछ अफसरों एवं कर्मचारियों को भी थी। लेकिन स्टॉफ की कमी बताते हुए कहा जाता रहा कि जितना बांट सको बांटो बाकी जो चाहे वह करो। इस बयान पर पुलिस अब उन अफसरों-कर्मचारियों से पूछताछ करेगी जिन्होंने वितरण की जिम्मेदारी सौंपी थी।
सवाल यह कि मलदहिया के पोस्टमैन दुर्गा प्रसाद के पास हुकुलगंज, पाण्डेयपुर से लगायत शिवपुर तक का डाक किस अधिकारी के कहने पर दिया गया?
शुक्रवार को डाक विभाग में ‘हिन्दुस्तान के स्टिंग को लेकर पूरे दिन चर्चा रही। कर्मचारी हर किसी को शक की नजर से देखते रहे। उन्हें इस बात का डर था कि कहीं उनका नाम तो मामले में नहीं घसीटा जा रहा है। बहरहाल,आरोपित पोस्टमाटर के पास से दूसरे क्षेत्र का डाक मिलने के बाद विशेश्वरगंज समेत सभी डाकघरों में निगरानी बढ़ा दी गई है। विभाग ने मेल सेक्सन में डाक छंटाई का कार्य एक सुपरवाइजर को सौंप दिया है।
विभाग के इंस्पेक्टरों को कहा गया है कि वे औचक जांच करते रहें। वहीं विशेश्वरगंज डाकघर में भी डाक पत्रों के वितरण पर निगरानी बढ़ा दी गई है। करोड़ों का था किसान विकासपत्र घोटाला वर्ष 2004-05 में कैंटामेंट स्थित प्रधानडाकघर के अलावा तेलियाबाग, काशी विद्यापीठ समेत कई डाकघरों में करोड़ों के किसान विकास पत्र का घोटाला हुआ था। मामले की जांच सीबीआई ने की और करीब 1900 लोगों के किसान विकासपत्रों का फर्जी तरीके से भुगतान कराए जाने की बात सामने आयी। इस मामले में पांच अफसरों पर कार्रवाई की गई।