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अवैध कब्जों और नाले से तबाह हो रहा कुबेर का बनाया धनेसरा तालाब

जिस कुंड में कभी स्नान करने से मनुष्य को दरिद्रता से मुक्ति का मार्ग दिखता था, वर्तमान में वह स्वयं दीन-हीन है। द्वापर युग में यहां कुबेर ने तपस्या से शिव को प्रसन्न किया था। उसने कुंड के जल में...

अवैध कब्जों और नाले से तबाह हो रहा कुबेर का बनाया धनेसरा तालाब
वाराणसी। प्रमुख संवाददाताMon, 14 May 2018 02:20 PM
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जिस कुंड में कभी स्नान करने से मनुष्य को दरिद्रता से मुक्ति का मार्ग दिखता था, वर्तमान में वह स्वयं दीन-हीन है। द्वापर युग में यहां कुबेर ने तपस्या से शिव को प्रसन्न किया था। उसने कुंड के जल में स्नान करने से दरिद्रता से मुक्ति का वरदान मांगा था। कुबेर की तप स्थली अब अतिक्रमण की आग में तप रही है। अतिक्रमण के राक्षस ने दैवीय गुणों से युक्त कुंड का जल लगभग सोख लिया है।

बात हो रही है पीलीकोठी स्थित धन-धानेश्वर तालाब की जिसे बोलचाल में धनेसरा तालाब कहा जाता है। चार एकड़ 37 डिसमिल रकबा वाला धन-धानेश्वर तालाब वर्तमान में चार सौ वर्ग फीट जमीन का भी मोहताज हो गया है। नगर निगम के राजस्व रजिस्टर में धनेसरा तालाब आराजी नम्बर 4731पर दर्ज है।
तालाब को एक तरफ पत्थर के टुकड़ों से पाटा जा रहा है तो शेष तीन तरफ से लगातार पुराने मकानों का मलबा डाला जा रहा है। लाट भैरव की सैकड़ों साल पुरानी रामलीला स्थल के रूप में इस तालाब की महत्वपूर्ण भूमिका है। कुछ लोगों ने तहसीलदार ,पटवारी और एसडीएम जैसे अधिकारियों को मिलाकर पौराणिक तीर्थ धनेसरा तालाब को पटवाया और इस जमीन पर कब्जा कर लिया। वर्ष 2015 में इस कुंड को काफी तेजी से पाटा गया। लाट भैरव राम लीला समिति के लगातार विरोध के बाद भी तालाब पाटने का सिलसिला बंद नहीं हुआ।

आवंटित हुए साढ़े तीन करोड़, खर्च एक रुपया नहीं
तालाब के पूरब कुछ हिस्से को जिला प्रशासन ने ही प्राइवेट बस अड्डा बनाने के लिए पटवा दिया था। उसी दौरान तालाब के जीर्णोद्धार और सुंदरीकरण के लिए  प्रस्ताव भेजा गया था लेकिन उसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई। वर्ष 2016 में तत्कालीन मंडलायुक्त नितिन रमेश गोकर्ण के कार्यकाल में काशी में कुंडों तालाबों को संरक्षित करने के लिए करीब 80 करोड़ रुपए की धनराशि मिली। उसमें से करीब साढ़े तीन करोड़ की धनराशि से धनेसरा तालाब पर काम होना था। लोगों को लगा कि तालाब का अस्तित्व बच जाएगा लेकिन इस तालाब पर एक रुपया खर्च नहीं हुआ। 

वर्तमान में तालाब में जल के नाम पर करीब छह मीटर के दायरे में सड़ा हुआ पानी दिखता है। तालाब के दक्षिण और पश्चिम बसे मोहल्लों का सीवर भी सीधे तालाब में जा रहा है। तालाब के पूर्वोत्तर हिस्से में एक पत्थर कारोबारी का कब्जा है तो दक्षिण पूर्व के हिस्से में पेट्रोल पंप खुल गया है। तालाब की कुछ जमीन पर अस्पताल भी चल रहा है।

स्नान के लिए लगता था मेला
जैतपुरा थानातंर्गत पीलीकोठी इलाके में स्थित इस कुंड के पास धनेसरा मठ में धन धनेश्वर महादेव का मंदिर है। स्कन्दपुराण के काशी खण्ड के अनुसार इस कुंड की स्थापना कभी धन कुबेर ने की थी। तपस्या के निमित्त उन्होंने स्वयं तालाब का निर्माण किया था। धन कुबेर को ही धन-धानेश्वर महादेव के रूप में पूजा जाता है। यहां भादो महीने की अमावस्या को स्नान का बहुत बड़ा मेला लगता था।

पांच दिन होती है रामलीला
संत तुलसी दास के समय से ही चली आ रही लाटभैरव रामलीला के मीडिया प्रभारी विकास यादव ने बताया कि इस कुंड पर पांच दिनी रामलीला भी होती है। श्रीराम घंडइल पार लीला का मंचन इसी तालाब में होता है। विशाल परिक्षेत्र वाले इस कुंड को पाट कर लोगों ने लगभग खत्म कर दिया है।

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