चबूतरे ने रोका काली प्रतिमा का रास्ता
देवनाथपुरा स्थित नवसंघ की विशालकाय काली प्रतिमा का विसर्जन देर रात तक नहीं हो सका। देवनाथपुरा स्थित पंडाल से मूर्ति निकालने के बाद रास्ते में बने चबूतरे ने विसर्जन यात्रा रोक दी। काफी देर बाद चबूतरा...
देवनाथपुरा स्थित नवसंघ की विशालकाय काली प्रतिमा का विसर्जन देर रात तक नहीं हो सका। देवनाथपुरा स्थित पंडाल से मूर्ति निकालने के बाद रास्ते में बने चबूतरे ने विसर्जन यात्रा रोक दी। काफी देर बाद चबूतरा टूटा और मूर्ति आगे बढ़ी लेकिन अगले मोड़ पर एक छज्जे के कारण फिर फंस गई। देर रात दो बजे तक मूर्ति को मुख्य मार्ग पर लाने का प्रयास चलता रहा।
शनिवार की शाम अपने निर्धारित समय पर नवसंघ के सदस्यों ने पारंपरिक पूजा-पाठ के बाद विसर्जन यात्रा शुरू की। प्रतिमा पंडाल से निकालकर मुख्य मार्ग पर लाने के लिए पहले से जुटे सैकड़ों कार्यकर्ता शाम से ही उत्साह से लबरेज रहे। पुलिस और प्रशासन की तरफ से भी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था पंडाल से लेकर रास्ते भर कर दी गई। इसी बीच मूर्ति पंडाल से निकलने के बाद गली में स्थित एक चबूतरे के पास रोकनी पड़ी। काली प्रतिमा विसर्जन के अति संवेदनशील इतिहास को देखते हुए भारी संख्या में सुरक्षाबलों की मौजूदगी में चबूतरा तोड़ा गया। इस कारण काफी देर तक प्रतिमा गली में एक स्थान पर रखी रह गई। चबूतरे का बड़ा हिस्सा टूटने के बाद विशालकाय काली प्रतिमा आगे बढ़ी। देवी के गगनभेदी जयघोष और ढाक की अनुगूंज भक्तों में जोश भरते रहे और भक्तगण भारीभरकम प्रतिमा को कंधों पर उठा कर धीरे-धीरे मुख्यमार्ग की ओर बढ़ते रहे। इससे पहले कि मूर्ति को मुख्य मार्ग पर लाया जाता दो मकानों के छज्जों ने एक बार फिर मूर्ति का रास्ता रोक दिया। छज्जे के कारण रात्रि करीब दो बजे तक मूर्ति गली में ही रुकी रही।
शांति समिति ने लगाया स्टाल: मदनपुरा में शांति समिति के सदस्यों और कुछ अन्य मुस्लिम संगठनों ने मूर्ति विसर्जन शोभायात्रा के स्वागत के लिए स्टाल भी लगाए। देर रात तक यहां मूर्ति का इंतजार होता रहा। स्टाल पर पुष्प और ढोल नगाड़े भी जुटाए गये थे। गोदौलिया से मैदागिन तक रास्ते भर मूर्ति का इंतजार होता रहा।