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डिलीवरी के दिन परवीन लगा रही थी थाने का चक्कर

दिन- सोमवार  समय-दोपहर 12 बजे  स्थान- कोतवाली स्थित महिला थाना  मैडम मेरा काम जरा जल्दी करा दीजिए, मुझे बुहत दर्द हो रहा है। अगर यहां ज्यादा देर हुई तो मेरी स्थिति बिगड़ जायेगी।...

डिलीवरी के दिन परवीन लगा रही थी थाने का चक्कर
वाराणसी। वीणा तिवारी Tue, 19 Jun 2018 12:31 PM
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दिन- सोमवार 
समय-दोपहर 12 बजे 
स्थान- कोतवाली स्थित महिला थाना 

मैडम मेरा काम जरा जल्दी करा दीजिए, मुझे बुहत दर्द हो रहा है। अगर यहां ज्यादा देर हुई तो मेरी स्थिति बिगड़ जायेगी। फिर मैं अस्पताल कैसे जाऊंगी? आज मेरी डिलीवरी की डेट है-सोमवार को महिला पुलिस से यह कहते हुए चोलापुर की 27 वर्षीया परवीन कांप रही थी। वह अपनी वृद्ध मां के साथ थाने आई थी। जिन क्षणों में उसे अस्पताल में होना चाहिए था, उस समय वह महिला थाने का चक्कर लगा रही थी। मां बनने का विरोध कर रहे ससुरालियों के खिलाफ उसने एफआईआर दर्ज कराई है। उसकी लिखापढ़ी के लिए उसे थाने पर बुलाया गया था। चिलचिलाती धूप और गर्मी में उसकी हालत देखते हुए महिला दीवान ने सबसे पहले उसका काम पूरा कराया। महिला थाने से निकलकर परवीन सीधे अस्पताल पहुंची। 

परवीन का निकाह 2012 में राजातालाब निवासी अली हुसैन से हुआ था। शुरू के कुछ दिनों तक सब कुछ ठीक रहा, लेकिन फिर स्थिति खराब होने लगी। परवीन ने बताया कि उसके दो बेटे हैं। यह उसकी तीसरी डिलीवरी है। उसके पति और ससुरालवालों ने उसके पहले बच्चे के समय भी उसके मां बनने का विरोध किया था। उन्हें घर का काम करने वाली एक नौकरानी चाहिए थी। इसलिए वे मेरे मां बनने के खिलाफ थे। लेकिन मैंने उनका विरोध करके अपने मां-बाप की मदद से बच्चे को जन्म दिया। दूसरे बच्चे के जन्म के समय मुझे मारपीट कर मायके भेज दिया गया। इस बार भी यही हाल है। इसलिए मैंने पति और ससुरालवालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की ठानी है। एफआईआर की प्रक्रिया पूरी करने के लिए मेरा थाने आना जरूरी था। 

आराम कैसे करें साहब 
परवीन ने डॉक्टर का पर्चा दिखाया जिसपर उसे आराम करने की सलाह दी गई थी। उसके दोनों बच्चे ऑपरेशन से हुए थे इसलिए तीसरे बच्चे के जन्म में खतरे की आशंका थी। लेकिन परवीन अस्पताल में होने की बजाय न्याय पाने के लिए थाने आई हुई थी। 

पति का परिवार नियोजन से इनकार 
परवीन ने बताया कि मेरे मां बनने से ससुराल में सबको परेशानी थी लेकिन पति अली हुसैन परिवार नियोजन करने को तैयार नहीं था। नसबंदी की बात कहने पर मुझे मारने लगता था। इस बार मैंने तय किया है कि हर हाल में नसबंदी कराकर रहूंगी जबकि डॉक्टर का कहना है कि बिना पति की रजामंदी के यह नहीं हो सकता। 

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