लोकतंत्र में सिर्फ तंत्र बचा, विलुप्त हो चुका है लोक
Varanasi News - छात्र राजनीति पर केंद्रीत मेरी पहली पुस्तक का नाम ‘जनता स्टोर राजस्थान यूनिवर्सिटी के पास के एक मार्केट पर है, जिसमें जनता स्टोर तो बंद हो चुका है,...
वाराणसी। प्रमुख संवाददाता
छात्र राजनीति पर केंद्रीत मेरी पहली पुस्तक का नाम ‘जनता स्टोर राजस्थान यूनिवर्सिटी के पास के एक मार्केट पर है, जिसमें जनता स्टोर तो बंद हो चुका है, लेकिन लोग आज भी उस मार्केट को जनता स्टोर के नाम से जानते हैं। ठीक उसी तरह हमारे लोकतंत्र में लोक की आवाज़ को सुना जाना कब से बंद हो चुका है बचा है तो सिर्फ तंत्र।
यह बातें 'जनता स्टोर' और 'ढाई चाल' नामक पुस्तकों के लेखक नवीन चौधरी ने गुरुवार को बीएचयू के कामधेनु सभागार में कहीं। ‘राजनीति की नर्सरी : छात्र राजनीति विषय पर बतौर मुख्य वक्ता उन्होंने कहा कि आज देश को राजनीति कि नहीं जननीति कि जरूरत है। राजनीति बहुत ही नकारात्मक शब्द बन चुका है। कभी इस शब्द का अर्थ रहा होगा राज्य की नीति, किन्तु अब यह धोखे, षड्यंत्र और तमाम अनैतिक गतिविधियों का पर्यायवाची बन चुका है। बतौर विशिष्ट वक्ता डॉ. मयंक नारायण सिंह ने कहा कि बनारस के युवाओं को साहित्य-संवाद के रचनात्मक कार्यक्रम के जरिये आगे आने कि जरूरत है। अध्यक्षीय संबोधन में डेयरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष प्रो. डीसी राय ने कहा कि नवीन चौधरी को सुनने से यह विचार और प्रबल होता है कि आदमी चाहे तो हमेशा अपनी जड़ों से जुड़ा रह सकता है। आरंभ में आगतों का स्वागत पत्रकारिता विभाग के हर्षित श्याम और संचालन चंद्राली मुखर्जी ने किया। कार्यक्रम में प्रो. प्रभाकर सिंह, डॉ. धीरेंद्र राय, डॉ. नवीन, रवि कुमार राय, सौरभ चक्रवर्ती आदि उपस्थित रहे।
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