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काशी विश्वनाथ मंदिर में बहाल हुई पुरानी परंपरा, गर्भगृह में जा सकेंगे भक्त

काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में भक्तों के प्रवेश पर लगाई गई रोक हटा ली गई है। गुरुवार से दर्शनार्थियों का पुन: बाबा के गर्भगृह में प्रवेश आरंभ कर देने से मंदिर के स्थापनाकाल से चली आ रही परंपरा...

काशी विश्वनाथ मंदिर में बहाल हुई पुरानी परंपरा, गर्भगृह में जा सकेंगे भक्त
वाराणसी हिन्दुस्तान संवादThu, 03 Oct 2019 11:46 PM
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काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में भक्तों के प्रवेश पर लगाई गई रोक हटा ली गई है। गुरुवार से दर्शनार्थियों का पुन: बाबा के गर्भगृह में प्रवेश आरंभ कर देने से मंदिर के स्थापनाकाल से चली आ रही परंपरा पुन: बहाल हो गई। सावन में अत्यधिक भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रबंधन ने अधिक से अधिक भक्तों को दर्शन कराने के लिए उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर की तर्ज पर गर्भगृह में प्रवेश पर रोक लगा दी थी। भक्तों द्वारा बाबा को दूध और जल चढ़ाने के लिए गर्भगृह के चारों द्वारों पर पीतल के विशाल कलश रखे गए थे। इन कलशों को पीतल की पट्टिका से जोड़ा गया था जिसके माध्यम से कलश में डाला गया जल अथवा दूध सीधे बाबा के अरघे में गिरता था। 

यह व्यवस्था सावन महीने के लिए अस्थायी रूप से की गई थी। सावन बीतने के बाद इस व्यवस्था को स्थायी रूप से लागू करने का प्रयास हुआ, जिसका लगातार विरोध हो रहा था। दैनिक दर्शनार्थियों के बार बार शिकायत करने के बाद मंगला आरती और शाम को सप्तऋषि आरती से पूर्व गर्भगृह में प्रवेश की व्यवस्था की गई थी, लेकिन इस व्यवस्था से भक्तगण संतुष्ट नहीं थे। नेमियों का कहना था कि हमेशा की भांति भक्तों को गर्भगृह में प्रवेश मिलना ही चाहिए। 

इस संदर्भ में नेमियों ने प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री से लेकर जिला प्रशासन के सभी आला अधिकारियों तक का दरवाजा खटखटाया था। भक्तों की अकुलाहट को ध्यान में रखते हुए शासन स्तर से हरी झंडी मिलने के बाद विश्वनाथ मंदिर के सीईओ विशाल सिंह ने गर्भगृह में प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटाने की घोषणा की। उल्लेखनीय है कि गर्भगृह में प्रवेश रोकने को लेकर सावन के प्रथम सोमवार से पूर्व प्रशासन और यदुवंशी समाज आमने-सामने हो गए थे। मंदिर प्रशासन किसी कीमत पर जलाभिषेक के समय गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति देने को तैयार नहीं था उधर यदुवंशी भी अपनी जिद पर अड़े थे कि न कोई नई शुरुआत करेंगे न ही परंपरा के पालन से पीछे हटेंगे। अंतत: जिला व मंदिर प्रशासन को युदवंशियों को सामने झुकना पड़ा था और यदुवंशियों ने गर्भगृह में जाकर बाबा का जलाभिषेक किया था।
 
गर्भ गृह में प्रवेश की अनुमति का स्वागत
वाराणसी। काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश कर दर्शन-पूजन पर लगी रोक हटने का विधान परिषद सदस्य शतरुद्र प्रकाश ने स्वागत किया है। इसके लिए शतरुद्र प्रकाश ने प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा था। शतरुद्र प्रकाश ने कहा कि मंदिर प्रशासन ने भक्तों के धार्मिक अधिकार पर रोक लगा रखी थी। उन्हें मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश करने से रोक जा रहा था। ज्योतिर्लिंग को स्पर्श कर भक्त धन्य हो जाते हैं। यहां तक कि भक्तों को पाइप से जल चढ़ाने के लिए बाध्य किया जा रहा था, जो कहीं पर भी परंपरा में नहीं है। अब गर्भ गृह में प्रवेश से रोक हटने से भक्त सुगम दर्शन कर सकेंगे। पूर्व की भांति बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद ले सकेंगे। ज्योतिर्लिंग को स्पर्श करने की पूजा पद्धति यानी लौकिक परंपरा अनादि काल से है। 

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