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काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर और ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण कराने की याचिका पर आपत्ति दाखिल

काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की याचिका के बाद कोर्ट से जारी नोटिस पर मंगलवार को एक पक्ष की ओर से आपत्ति दाखिल कर दी गई। अंजुमन इंतजामिया कमेटी की तरफ से...

काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर और ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण कराने की याचिका पर आपत्ति दाखिल
वाराणसी कार्यालय संवाददाताTue, 21 Jan 2020 10:06 PM
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काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की याचिका के बाद कोर्ट से जारी नोटिस पर मंगलवार को एक पक्ष की ओर से आपत्ति दाखिल कर दी गई। अंजुमन इंतजामिया कमेटी की तरफ से आपत्ति दाखिल करने के साथ ही याचिका में किये गए दावों को खारिज करने की गुहार लगायी गयी है। दूसरे प्रतिवादी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने नए अधिवक्ता रखते हुए आपत्ति दाखिल करने के लिए और समय मांगा है। अदालत ने सुनवाई के लिए तीन फरवरी की तिथि नियत की है। 

10 दिसम्बर को कोर्ट में प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विशेश्वरनाथ के वादमित्र विजयशंकर रस्तोगी की तरफ से पूरे परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने के लिए आवेदन दिया गया था। कोर्ट ने प्रतिवादीगण अंजुमन इंतजामिया कमेटी से जवाब दाखिल करने को कहा था। मुकर्रर तिथि नौ जनवरी को अधिवक्ता की ओर से समय मांगा गया था। जिस पर 21 जनवरी को सुनवाई नियत हुई थी। 

मंगलवार को प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया कमेटी की ओर से दाखिल आपत्ति में कहा गया कि यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। स्टे अब भी प्रभावी है। हाईकोर्ट में दाखिल रिट याचिका पर 22 जुलाई 2019 को पारित आदेश में कहा गया है कि हाइकोर्ट में लंबित रिट याचिका के आदेश के परिप्रेक्ष्य में उपरोक्त मुक़दमे की कार्यवाही स्थगित करना आवश्यक है। ऐसे में मुकदमे को स्थगित रखना न्यायसंगत होगा। यह भी कहा गया वादमित्र की ओर से दाखिल आवेदन सुनने योग्य नहीं है। लिहाजा इसे खारिज किया जाए।  

बता दें कि प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विशेश्वरनाथ की ओर से नियुक्त वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी के मुताबिक विशेवश्वर मंदिर के एक अंश पर निर्माण कराया गया था। उक्त स्थल पर निर्माण, दर्शन-पूजन और अर्चन के लिए अनुमति दी जाए। 1991 में पहली बार इस मामले को लेकर निचली अदालत में याचिका दायर की गयी थी। जिसमें अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ को पक्षकार बनाया गया था। मामले में बीस साल से स्थगन आदेश था। पिछले वर्ष स्टे समाप्त होने के बाद फिर से सुनवाई शुरू हुई। मुकदमे में परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का भी अनुरोध किया गया है। 
 

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