अब ट्रीटमेंट प्लांट से रेलवे रोकेगा पानी की बर्बादी
कैंट स्टेशन पर इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) पानी की बर्बादी रोकेगा। स्टेशन पर वाशिंग लाइन और लांड्री में नौ लाख रुपये से यह प्लांट लगना शुरू हो गया है। अभी स्टेशन पर ट्रेनों और लॉन्ड्री में...
कैंट स्टेशन पर इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) पानी की बर्बादी रोकेगा। स्टेशन पर वाशिंग लाइन और लांड्री में नौ लाख रुपये से यह प्लांट लगना शुरू हो गया है। अभी स्टेशन पर ट्रेनों और लॉन्ड्री में बेडरोल की धुलाई में रोज लगभग एक लाख लीटर पानी खर्च होता है।
कैंट पर वाशिंग लाइन में ट्रेनों की धुलाई में हर रोज औसतन 60 हजार लीटर पानी खर्च होता है। लॉन्ड्री में बेडरोल की धुलाई में हर घंटे 13 हजार लीटर और प्रतिदिन औसतन 40 हजार लीटर पानी खर्च होता है। वाशिंग लाइन और लॉन्ड्री का यह पानी दोबारा इस्तेमाल में नहीं आता।
यह बर्बादी रोकने के लिए कोचिंग डिपो के अफसरों ने नई दिल्ली स्थित उत्तर रेलवे मुख्यालय को ईटीपी का प्रस्ताव भेजा था। प्रस्ताव स्वीकृति के बाद सबसे पहले लॉन्ड्री में प्लांट लगाया जा रहा है। ईटीपी में लगा मीटर बतायेगा कि कितना किलो लीटर पानी एक दिन में शोधित किया गया।
कई बार काम में आयेगा शोधित पानी
ईटीपी में शोधित पानी का कई बार धुलाई में इस्तेमाल होगा। अफसरों का कहना है कि पानी की रिसाइकिलिंग से भूगर्भ जल का भी कम दोहन होगा।
हर रोज पानी की खपत
लॉन्ड्री - 40 हजार लीटर
वाशिंग लाइन - 60 हजार लीटर
एसटीपी का भी भेजा है प्रस्ताव
स्टेशन और कॉलोनियों के नाले-नालियों, सीवेज जल को शोधित करने के लिए एसटीपी का भी प्रस्ताव मुख्यालय भेजा गया है। इस प्लांट पर करीब ढाई करोड़ रुपये खर्च होंगे।
लॉन्ड्री में ईटीपी लगाने काम शुरू हो गया है। इससे वाशिंग लाइन और लॉन्ड्री के पानी की बर्बादी रुकेगी।
- विजय कुमार, कोचिंग डिपो अधिकारी, कैंट स्टेशन