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VIDEO- परमाणु हथियार विहीन दुनिया को पहल का समय: दलाई लामा

तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा ने कहा है कि अब वक्त आ गया है जब परमाणु हथियार विहीन दुनिया बारे में गंभीरता से सोचा जाय। इस परिकल्पना को करुणा और अहिंसा से साकार किया जा सकता है। दुनिया की कुछ ताकतें...

तकनीकी युग में मानव मूल्य एवं उच्च शिक्षा विषय पर मंथन (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
1/ 6तकनीकी युग में मानव मूल्य एवं उच्च शिक्षा विषय पर मंथन (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
कुलपतियों के सम्मेलन को संबोधित करते दलाई लामा (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
2/ 6कुलपतियों के सम्मेलन को संबोधित करते दलाई लामा (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
भारतीय विश्वविद्यालय संघ के 92वें अधिवेशन में पहुंचे दलाई लामा (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
3/ 6भारतीय विश्वविद्यालय संघ के 92वें अधिवेशन में पहुंचे दलाई लामा (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
सारनाथ में तीन दिवसीय भारतीय विश्वविद्यालय संघ का 92वां अधिवेशन का आगाज (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
4/ 6सारनाथ में तीन दिवसीय भारतीय विश्वविद्यालय संघ का 92वां अधिवेशन का आगाज (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
अधिवेशन में कई विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर एवं देश-विदेश के शिक्षाविद पहुंचे (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
5/ 6अधिवेशन में कई विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर एवं देश-विदेश के शिक्षाविद पहुंचे (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
सारनाथ में तीन दिवसीय भारतीय विश्वविद्यालय संघ का 92वां अधिवेशन का आगाज (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
6/ 6सारनाथ में तीन दिवसीय भारतीय विश्वविद्यालय संघ का 92वां अधिवेशन का आगाज (फोटो-मोहम्मद मुकीद)
वाराणसी। प्रमुख संवाददाताMon, 19 Mar 2018 06:30 PM
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तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा ने कहा है कि अब वक्त आ गया है जब परमाणु हथियार विहीन दुनिया बारे में गंभीरता से सोचा जाय। इस परिकल्पना को करुणा और अहिंसा से साकार किया जा सकता है। दुनिया की कुछ ताकतें परमाणु हथियारों के उपयोग के लिए उतावली सी हैं। दुखद तो यह है कि परमाणु हथियारों के हृदयविदारक परिणामों की जानकारी होते हुए भी वे अपनी जिद पर अड़ी हैं। ऐसी ताकतों को यह संदेश देने का समय है कि संपूर्ण विश्व एक परिवार है। इस परिवार में रहने वाली सभी भाई और बहन हैं।

परम पावन दलाई लामा सोमवार को यहां सारनाथ स्थित उच्च तिब्बती शिक्षण संस्थान में भारतीय विश्वविद्यालय संघ के 92वें वार्षिक अधिवेशन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अपने उद्बोधन की शुरुआत भाइयो-बहनों के संबोधन से की। साथ में स्पष्ट भी किया कि इस संबोधन के पीछे उनका उद्देश्य क्या है। उन्होंने कहा कि दुनिया में शांति तभी संभव है जब सब एक-दूसरे के साथ भाईचारे का रिश्ता रखें।  

आध्यात्मिक विकास के लिए विज्ञान नहीं, मनोविज्ञान 
दलाई लामा ने जोर दिया कि पूरी दुनिया को न्यूक्लियर फ्री वेपन्स की दिशा में आंदोलित होना होगा। इसके लिए समय सारिणी बना ली जानी चाहिए। भारत की वर्तमान शिक्षा पद्धति अंग्रेजों की थोपी हुई पद्धति है। ठीक है कि भौतिक विकास के लिए विज्ञान की जरूरत है लेकिन आध्यात्मिक विकास के लिए मनोविज्ञान की जरूरत है। भारतीय ज्ञान परंपरा में मनोविज्ञान का समग्र दर्शन विद्यमान है। उन्होंने कहा कि भारतीय मनोविज्ञान के आगे पाश्चात्य देशों का मनोविज्ञान बौना है, अधूरा है। भारतीय शिक्षा पद्धति में विज्ञान और मनोविज्ञान दोनों का समावेश होना चाहिए। दुनिया में भारत ही एक मात्र ऐसा देश है जिसमें पुरातन ज्ञान और नूतन विज्ञान को एक साथ लेकर चलने की  क्षमता है। इनका समन्वय करने की योग्यता और इन दो ज्ञान परंपराओं के बीच सेतु बनने कुशलता है।

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