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मानव मन में दया का भाव जरूरी

मन में यदि कठोरता है तो उसे काशी क्या, कहीं भी मोक्ष नहीं मिल सकता। संत कहते हैं ‘मन कठोर मरे जा काशी, नरक ना बाचा जाय। काशी में मुक्ति तभी संभव है जब मन में दया का भाव, नम्रता और प्यार...

मानव मन में दया का भाव जरूरी
हिन्दुस्तान टीम,वाराणसीSun, 27 May 2018 07:45 PM
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मन में यदि कठोरता है तो उसे काशी क्या, कहीं भी मोक्ष नहीं मिल सकता। संत कहते हैं ‘मन कठोर मरे जा काशी, नरक ना बाचा जाय। काशी में मुक्ति तभी संभव है जब मन में दया का भाव, नम्रता और प्यार होगा। ये बातें संत निरंकारी सत्संग भवन मलदहिया में रविवार को आयोजित सत्संग में पंजाब से पहुंची अमृत कौर ने कहीं। उन्होंने कहा कि जिस तरह सुंदर मंदिर में कोई मूर्ति न हो तो वह अधूरा लगता है, उसी प्रकार शिष्य के मन में अपने सद्गुरु की मूरत न हो तो वह अधूरा होता है।

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