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नवरात्र : शक्ति मंत्रों से जागृत हुए दुर्गा पूजा पंडाल

शिव नगरी में सजे सार्वजनिक दुर्गा पूजा पंडाल शारदीय नवरात्र की महासप्तमी पर शक्ति के तेजस्वी मंत्रों से जागृत हो उठे। सुबह से शाम तक गूंजते मंत्रों, शंखों की ध्वनि और पुष्पांजलि से वातावरण में भक्ति...

नवरात्र : शक्ति मंत्रों से जागृत हुए दुर्गा पूजा पंडाल
हिन्दुस्तान टीम,वाराणसीSun, 06 Oct 2019 01:50 AM
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शिव नगरी में सजे सार्वजनिक दुर्गा पूजा पंडाल शारदीय नवरात्र की महासप्तमी पर शक्ति के तेजस्वी मंत्रों से जागृत हो उठे। सुबह से शाम तक गूंजते मंत्रों, शंखों की ध्वनि और पुष्पांजलि से वातावरण में भक्ति की ऊर्जा प्रवाहमान हो चली। पंडालों में महासप्तमी तिथि पर विघ्ननेश्वरी दुर्गा वनस्पति रूप में पूजित हुईं। देवी के महास्नान और नवपत्रिका पूजन के विधान हुए।

मुहूर्त के अनुसार शनिवार सुबह 05:52 बजे नवपत्रिका पूजन आरंभ हुआ। पूजन प्रक्रिया पूर्वाह्न 09:35 बजे तक चली। पूजन के बाद पंडालों में देवी के पट दर्शन के लिए खोल दिए गए।

प्रात:काल नवपत्रिका पूजन के लिए नौ वनस्पतियों- केला, अरबी, हल्दी, जौ, बेल पत्र, अनार, अशोक, अरूम के पत्तों, धान की बालियों को रक्षासूत्र में बांधकर नवपत्रिका तैयार की गई। यह नवपत्रिका देवी के नौ स्वरूपों के प्रतीक माने जाते हैं। नवपत्रिका तैयार होने के बाद महास्नान की प्रक्रिया हुई। दुर्गा की प्रतिमा के आगे शीशा रखा गया। शीशे पर पड़े रहे मां के प्रतिबिंब को महास्नान कराया गया। गंगा के बाद वर्षा, अन्य पवित्र नदियों, समुद्र और कमल वाले तालाब के अलावा झरने के जल से स्नान कराया गया। स्नान के बाद नवपत्रिका को लाल साड़ी पहनाई गई। इसके बाद प्राण प्रतिष्ठा और षोडशोपचार पूजन हुआ।

बंगाल में इसे 'कोलाबोऊ पूजा' के नाम से भी जाना जाता है। कोलाबाऊ को गणेश जी की पत्नी माना गया है। शिवाला स्थित काशी दुर्गोत्सव सम्मिलनी के सदस्यों ने धूमधाम से कोलाबोऊ का अनुष्ठान किया। ढाक की गूंज और उलूक ध्वनि के बीच आस्थावानों का समूह केले के खंभे को दुल्हन की भांति सजा कर गंगा तट तक गया।

नौ स्वरूपों की प्रतीक नौ वनस्पतियां

केले के पत्ते: ब्राह्मणी

कच्वी के पत्ते: मां काली

हल्दी के पत्ते: मां दुर्गा

जौ की बाली: देवी कार्तिकी

बेल पत्र: अर्द्धनारीश्वर

अनार के पत्ते: देवी रक्तदंतिका

अशोक के पत्ते: देवी सोकराहिता

अरूम के पत्ते: मां चामुंडा

धान की बाली: मां लक्ष्मी

दुर्गा बदलीं काली में तो लगा जोर का जयकारा

तिथि-शारदीय नवरात्र की महासप्तमी। समय-शाम के सात बजे। स्थान-सनातन धर्म इंटर कॉलेज। दृश्य-पूजा पंडाल में पद्मासन में बैठी देवी दुर्गा की नौ फीट ऊंची प्रतिमा दूर से दिख रही है। पंडाल के अंदर और बाहर बराबर संख्या में लोग खड़े हैं। भीड़ देखते हुए मुख्य द्वार से लोगों का प्रवेश रोक दिया गया है। कोई टस से मस नहीं हो रहा। हर किसी को शो के शुरू होने की प्रतीक्षा है।

टेक्नीशियन की टीम से हरी झंडी मिलते ही पंडाल में रंग बिरंगे प्रकाश के साथ ध्यान मंत्र गूजने लगे हैं। दर्जनों मोबाइल फोन के कैमरे ऑन हैं। कोई वीडियो बना रहा तो कोई लाइव हो गया है। संवादों के अनुसार प्रतिमा में हरकत हो रही है। पद्मासन में बैठी देवी दुर्गा की प्रतिमा खड़ी होने लगी है। बादलों की गर्जना और चकाचौंध कर देने वाले रंगबिरंगे प्रकाश के बीच जैसे जैसे देवी खड़ी हो रही हैं, उनका जयकारा भी तेज होता जा रहा है। नौ फीट की दुर्गा 16 फीट की काली में तब्दील हो गईं और रक्तबीज का संहार कर डाला।

शाम करीब साढ़े सात बजे पहला शो पूरा हुआ। लोगों की खुशी देख उन पूजा आयोजकों के चेहरे खिल उठे जिन्होंने मौसम की चुनौतियों के बीच अपनी परिकल्पना को साकार कर दिखाया था। हथुआ मार्केट में सोमनाथ मंदिर की अनुकृति देखने वालों की भी जबरदस्त भीड़ रही। सिगरा स्थित भारत सेवाश्रम संघ परिसर में देश भर से जुटे संन्यासियों और साधकों की उपस्थिति में देवी महात्म्य पर विमर्श हो रहा था। सायंकाल संन्यासियों ने एकचाल वाली प्रतिमा की आराधना की। दीप और शस्त्र आरती के पूर्व सांस्कृतिक अनुष्ठान हुए। रात गहराने के साथ शहर की सड़कों पर लोगों का हुजूम भी बढ़ता गया। जैतपुरा क्षेत्र में युवा और किशोर कलाकारों द्वारा तैयार चंद्रयान चर्चा में है तो अर्दली बाजार में लैंडर विक्रम इसरो के प्रति कृतज्ञता प्रकट कर रहा है।

नई सड़क पर हवन सामग्री से बनी प्रतिमा

नई सड़क गीता मंदिर स्थित जीएम स्पोर्टिंग की दुर्गा प्रतिमा हवन सामग्री से तैयार की गई है। इस प्रतिमा में 21 किलो कमल गट्टा, 21 किलो चावल, 21 किलो जौ, 40 किलो दशांग, 51 किलो भोजपत्र सहित कई अन्य हवन सामग्रियों का उपयोग किया गया है। खोजवां के मूर्तिकार शीतल चौरसिया ने मां की साड़ी भोजपत्र से बनाई है।

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