ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेश वाराणसीकोरोना की शांति के लिए काशी में नवचंडी यज्ञ, वीसी के साथ संस्कृत विद्वानों ने किया मां दुर्गा का आवाहन VIDEO

कोरोना की शांति के लिए काशी में नवचंडी यज्ञ, वीसी के साथ संस्कृत विद्वानों ने किया मां दुर्गा का आवाहन VIDEO

कोरोना की शांति के लिए मंगलवार की सुबह काशी में नव चंडी यज्ञ किया गया। सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर राजाराम शुक्ल के साथ आचार्यों और छात्रों...

कोरोना की शांति के लिए काशी में नवचंडी यज्ञ, वीसी के साथ संस्कृत विद्वानों ने किया मां दुर्गा का आवाहन VIDEO
वाराणसी प्रमुख संवाददाताTue, 30 Jun 2020 10:39 PM
ऐप पर पढ़ें

कोरोना की शांति के लिए मंगलवार की सुबह काशी में नव चंडी यज्ञ किया गया। सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर राजाराम शुक्ल के साथ आचार्यों और छात्रों के दल ने वायरस के समूल नाश के लिए मां दुर्गा का आवाहन किया। नौ कुंडों पर सुबह साढ़े आठ बजे से साढ़े ग्यारह बजे तक तीन घंटे यज्ञ चला। इस दौरान आठ सौ आहूतियां डाली गईं। यज्ञ से पहले गणेश पूजन, वरुण पूजन, वस्तु पूजन, गृह पूजन, मातृका पूजन, प्रधान पूजन आदि के बाद वैदिक रिति से अग्नि उत्पन्न की गई। यज्ञ में वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे। 

कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए कुछ दिन पहले विश्वविद्यालय ने इस यज्ञ के आयोजन का फैसला लिया था। उसी के तहत मंगलवार की सुबह यज्ञ शुरू हुआ। कुलपति ने कहा कि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना विश्व स्तर पर भारतीय संस्कृति की स्थापना और संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए किया गया है। भारतीय संस्कृति विश्व कल्याण और विश्व बंधुत्व की संस्कृति है। इस समय विश्व कोरोना महामारी से पीड़ित है। ऐसे में विश्वविद्यालय का दायित्व है कि इस महामारी की शांति के लिए कोई उपाय करे।

वीसी ने कहा कि किसी भी संकट में मां भगवती दुर्गा की आराधना से बड़ा कोई उपाय नहीं है। सभी महामारी से उत्पन होने वाले कष्टों का निवारण के लिए मां दुर्गा की उपासना की जाती है। इसके लिए नव चंडी आगात्मक होम किया जाता है। इसमें गणेश पूजन से शुरूआत करते हुए वैदिक परंपरा से अग्नि को उत्पन्न करके मंत्रों के साथ आहुतियां दी गईं। 

कुलपति ने बताया कि यज्ञशाला के चतुरस्त्र कुंड में मनोकामना, योनि कुंड में सृष्टि संरचना,अर्धचन्द्र कुंड में मंगल कार्य पूर्ति, त्रिकोण कुंड में शत्रु नाश, वृत्तकुंड में आर्थिक वृद्धि एवं विश्वशान्ति, पद्म कुंड में अच्छी वर्षा, षटकोण कुंड में मृत्यु भय दूर करने, अष्टात्र कुंड में आरोज्ञता एवं लक्ष्मी प्राप्ति और आचार्य कुंड में ज्ञान प्राप्ति के लिये आहुतियां दी गईं। यज्ञ के पूर्व आचार्यों एवं शोध छात्रों ने दुर्गा सप्तशती का पाठ किया। यजमान के रूप में कुलपति ने पंचांग पूजन, वास्तु मण्डल पूजन, योगिनी मण्डल पूजन, क्षेत्रपाल और भगवती पूजन किया। 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें