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बीएचयू में मुंशीजी की कहानी कफन का मंचन, मंच पर प्रेमचंद भी दिखे, देखिये VIDEO

मुंशी प्रेमचंद की कहानी कफन के अब तक देशभर में हजारों मंचन हो चुके हैं। हर मंचन में माधव, घीसू, गोबर, झिंगुरी ठाकुर आदि वास्तविक चरित्र जीवंत होते रहे हैं। गुरुवार की शाम बीएचयू के शताब्दी सभागार में...

बीएचयू में मुंशीजी की कहानी कफन का मंचन, मंच पर प्रेमचंद भी दिखे, देखिये VIDEO
वाराणसी प्रमुख संवाददाताFri, 30 Aug 2019 12:00 AM
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मुंशी प्रेमचंद की कहानी कफन के अब तक देशभर में हजारों मंचन हो चुके हैं। हर मंचन में माधव, घीसू, गोबर, झिंगुरी ठाकुर आदि वास्तविक चरित्र जीवंत होते रहे हैं। गुरुवार की शाम बीएचयू के शताब्दी सभागार में इन पात्रों के बीच मुंशी प्रेमचंद भी मंच पर जीवंत हुए। अपनी ही कहानी में किरदार बन कर आए मुंशीजी भूख, शराबबंदी और गुलामी से लड़ने के लिए चिंतन, मनन का अनुशीलन करते दिखे।

संत कबीर के भजन की पंक्ति ‘ठगिनी क्यों नैना झमकाये’ को शीर्षक बनाने की सार्थकता तब दिखी जब पद्मश्री डा. सरोज चूड़ामणि ने विधवा बुधिया के किरदार में अपनी वेदना का संवादीय चित्रण किया। नाट्य रूपांतरण करते समय लेखक ने मुंशीजी के उन मनोभावों को भी सामने रखने की चेष्ठा की जो उन्होंने अपने जीवन काल में अनुभूत किए होंगे। 

मुंबई के अरुण श्रीवास्तव के निर्देशन और बनारस के शैज खान के संगीत संयोजन ने नाटक को और भी प्रभावी बना दिया। यह नाटक कई मायनों में अब तक कफन पर आधारित मंचनों की तुलना में कहीं अलग और विशेष स्तर पर रहा। इस नाटक में झूरी ठाकुर और साधु की भूमिका में बीएचयू के छात्रनेता रत्नाकर त्रिपाठी ने तीन दशक बाद रंगमंच पर सशक्त वापसी की तो पद्मश्री से विभूषित डॉ . सरोज चूड़ामणि को पहली बार रंगमंच पर देखा गया। नाटक का सहायक निर्देशन करने वाले बालमुकुंद त्रिपाठी के अभिनय कौशल का लोहा हर दर्शक ने माना। उन दर्शकों ने भी जो नाटक की गरिमा को नहीं समझते थे लेकिन बालमुकुंद  के भावपूर्ण अभिनय के दौरान वे भी संभ्रात हो गए थे। 

मंच पर इन लोगों ने निभाई भूमिका
घीसू-बालमुकुंद त्रिपाठी, माधव,निशांत सिंह, युवा बुधिया-सुरभि चौबे, झूरी सिंह एवं साधु-रत्नाकर त्रिपाठी, मुंशी प्रेमचंद-रियाज साबरी, मुंशीजी की पत्नी-अर्चना प्रसाद, शिष्य साधु-अभिषेक मिश्र एवं शिवम गौड़,  लठैत-प्रवीण सिंह, भइया जी, अजय कुमार, बुधिया की मां-आयुषी बरनवाल, मुनादीवाला-शैज खान, खेलावन-बहादुर प्रताप,कलुआ-भरत,  रामदीन-मिथुन सोनकर, शराबी ग्रामीण-अगस्त कुमार, हेरम्भ त्रिपाठी, मयंक जायसवाल।

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