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कबीर नगर कांड: सामने के कमरे में शव, अंदर रहता था परिवार

कबीर नगर कॉलोनी के फ्लैट नंबर 27/2 के गेट से घुसते ही बाएं हाथ एक कमरा है। कमरे में दो बेड पड़े थे। बाएं बेड पर बेटों ने मां की लाश एक गद्दे पर लिटा रखी थी। पुलिस के लाश कब्जे में लेने के बाद गद्दा...

कबीर नगर कांड: सामने के कमरे में शव, अंदर रहता था परिवार
वाराणसी कार्यालय संवाददाताThu, 24 May 2018 07:05 PM
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कबीर नगर कॉलोनी के फ्लैट नंबर 27/2 के गेट से घुसते ही बाएं हाथ एक कमरा है। कमरे में दो बेड पड़े थे। बाएं बेड पर बेटों ने मां की लाश एक गद्दे पर लिटा रखी थी। पुलिस के लाश कब्जे में लेने के बाद गद्दा बाहर निकाला गया तो उससे निकल रही दुर्गंध बेटों की अकल्पनीय करतूत बयां कर रही थी।

चार माह के दौरान गद्दा भी जगह-जगह सड़कर फट गया था। जिस कमरे में लाश रखी गई थी, उसे दुर्गंध के कारण खोलना मुश्किल था। जबकि उसके बगल वाले ही कमरे में मृतका अमरावती के चार बेटे, एक बेटी, एक बहू और दो बच्चों का परिवार चार माह से रहता आ रहा था। मामले का खुलासा होने के बाद पहुंचे लोग यह सोचकर दंग थे कि इस माहौल में ये लोग रह कैसे पाये?

पड़ोसी बोला- नहीं मिलने देते थे बेटे
पड़ोसी युवक प्रशांत पांडेय ने बताया कि 13 जनवरी को अमरावती देवी की मौत की जानकारी मिलने पर वह अगले दिन कफन लेकर उनके घर गये थे। मिट्टी उठने का समय पूछा तो बेटों ने कहा कि दो घंटे बाद उठाया जायेगा। दो घंटे बाद पहुंचा तो बेटों ने बताया कि उनकी मां जिंदा हो गयी हैं। यह कुछ अटपटा लगा लेकिन लौट गये। इसके बाद जब कभी अमरावती देवी से मिलने के लिए उनके बेटों से कहा तो उन्होंने मना कर दिया। 

दुर्गाकुंड क्षेत्र के कबीर नगर कॉलोनी स्थित फ्लैट नंबर 27/2 में चार माह 10 दिनों तक एक वृद्धा की लाश छिपा कर रखने की घटना की जानकारी मिलने पर हर कोई अवाक था। किसी को भरोसा नहीं हो रहा था कि पेंशन की खातिर बेटे ऐसी घिनौनी करतूत कर सकते हैं। वहां से गुजरते वक्त हर कोई बेटों को कोस रहा था। कबीर नगर स्थित आवास विकास कॉलोनी के फ्लैट नंबर 27/2 के ऊपर के फ्लैट में रहने वाले एक युवक के अनुसार, यहां किसी को अंदाज नहीं था कि कोई ऐसा भी कर सकता है। चूंकि फ्लैट में आसपास के लोगों से दिवंगत दया प्रसाद के चारों बेटे अलग-थलग रहते थे, इस कारण उनसे भी कोई मतलब नहीं रखता था। 

ठेले वाले ने भी चार मांह से नहीं देखा
पास के पार्क में ठेले पर कपड़े प्रेस करने वाले युवक के मुताबिक दादी जब ठीक थीं, घर के बाहर बैठी दिख जाती थीं। चार माह से वह नहीं दिखीं। वहीं बैठे युवकों ने बताया कि जनवरी में उनके निधन की बात सामने आई थी। फिर पता चला कि वह जीवित हैं। अब जो हकीकत सामने आई है, वह स्तब्ध करने वाली है। 

लखनऊ और तमिलनाडु के वैद्य कर रहे थे इलाज 
बड़ी बेटी विजय लक्ष्मी ने बताया कि उनकी मां का इलाज लखनऊ और तमिलनाडु के वैद्य कर रहे थे। कहा कि वैद्य कहेंगे तभी मां की मौत को परिवार वाले मानेंगे।  

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