हिन्दी दिवस : मां है हिंदी, कोई उनका स्थान नहीं ले सकता
हिंदी हमारी मां है और मां का स्थान कोई ले नही सकता। सबसे ऊंचा स्थान ईश्वर का फिर माता और पिता का होता है। हमारी संस्कृति और सभ्यता का विकास हिंदी से है। इसलिए हिंदी के विकास में हमारा योगदान आवश्यक...
हिंदी हमारी मां है और मां का स्थान कोई ले नही सकता। सबसे ऊंचा स्थान ईश्वर का फिर माता और पिता का होता है। हमारी संस्कृति और सभ्यता का विकास हिंदी से है। इसलिए हिंदी के विकास में हमारा योगदान आवश्यक हो जाता है।
ये विचार जिला न्यायालय की ओर से कचहरी परिसर स्थित मनोरंजन कक्ष में गुरुवार को हिंदी दिवास पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि प्रभारी जिला जज पीके शर्मा ने व्यक्त किये। सेंट्रल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सिंह ‘प्रिंस’ ने कहाकि हिंदी जितनी समृद्ध व उन्नत होगी राष्ट्रभाषा के प्रति उतनी ही हमारी कर्तव्यनिष्ठा और मजबूत होगी।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव दीपक यादव ने कहाकि आजादी के इतने दिनों के बाद भी न्यायिक कामकाज में अरबी, फारसी के शब्दों का इस्तेमाल होता है। इसकी जगह हिंदी का प्रयोग किया जा सकता है। संगोष्ठी में एडीजे डीसी सामंत, रामचंद्र, एनके झा, आशुतोष त्रिपाठी, अधिवक्ता हरिओम त्रिपाठी, ओमप्रकाश पांडेय आदि ने विचार व्यक्त किये। संचालन सीजेएम अभय श्रीवास्तव ने किया।