मिशन शक्ति : बनारस की सरिता मिश्रा लावारिस नवजातों के लिए बन गई मां
लावारिस नवजात से हर कोई बचकर निकल जाना चाहता है, लेकिन महिला शक्ति का उदाहरण महमूरगंज निवासी सरिता मिश्रा ऐसे बच्चों के लिए आगे आती हैं। उन्होंने अपने प्रयास अब तक 100 से ज्यादा लावरिस नवजातों को बाल...
लावारिस नवजात से हर कोई बचकर निकल जाना चाहता है, लेकिन महिला शक्ति का उदाहरण महमूरगंज निवासी सरिता मिश्रा ऐसे बच्चों के लिए आगे आती हैं। उन्होंने अपने प्रयास अब तक 100 से ज्यादा लावरिस नवजातों को बाल संरक्षण गृह में रखवाया। इसके अलावा उन्होंने बाल मजदूरी करने वाले आठ को बच्चों का दाखिला स्कूल में करवाया है।
वर्ष 2004 से सरिता महिला व बाल संरक्षण का कार्य कर रही हैं। वह बताती हैं कि पांच बेटियों के परिवार में उन्होंने तंगी और बंदिशों से संघर्षों के बीच में स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की। महिलाओं की पीड़ा के समाधान के लिए वह कुछ दिनों तक संस्थाओं से जुड़ी, लेकिन वह अपनी सोच के मुताबिक काम नहीं कर पाती थीं। एक लावारिस बच्चा मिलने की घटना ने उनका जीवन बदल दिया। कुछ साल पहले की बात है कि नाले में पड़े एक नवजात को निकालने के लिए कोई सामने नहीं आ रहा था। मैंने उसे निकाला और घर ले आई। रातभर रखने के बाद अगले दिन पुलिस को सूचना दी। इसके बाद उसे चाइल्ड लाइन की छत मिली। इसके बाद मैंने ठान लिया कि मुझे नवजात बच्चों को सड़क पर नहीं पड़े रहने देना है।