मिर्जा गालिब के गजलों से सजी शाम
मशहूर शायर मिर्जा गालिब की 220वीं जयंती पर बुधवार को लोगों ने उनको याद किया। उन्हें शायर के साथ दार्शनिक बताया। उनके गजलों को सुर, लय व ताल में पिरोकर शाम को यादगार बनाया। अक् संस्था की ओर से...
मशहूर शायर मिर्जा गालिब की 220वीं जयंती पर बुधवार को लोगों ने उनको याद किया। उन्हें शायर के साथ दार्शनिक बताया। उनके गजलों को सुर, लय व ताल में पिरोकर शाम को यादगार बनाया।
अक् संस्था की ओर से कैंटोंमेंट स्थित क्लब स्पिरिचुअल में हुए समारोह में लोगों ने गालिब के चित्र पर पुष्प अर्पित किए। ओमा दी अक् ने कहा कि मिर्जा गालिब दुनिया के उर्दू साहित्य में अव्वल रहे। उनकी शायरी और स्वभाव पर वेदांत का पूरा प्रभाव रहा। उन्होंने काशी में आकर जितना आत्मिक सुख का एहसास किया, उतना और कहीं नहीं मिला।
संगीतज्ञ डॉ. राजेश्वर आचार्य ‘प्रभावरंग’ ने स्वरांजलि दी। शीबा जेनीफर ने गालिब की गजल दिल ही तो है न संग खिस्त एवं दिले नादां तुझे हुए क्या है... आदि पर कथक पेश किया। डॉ. अनुपम ओझा, सतीश मिश्र, सांत्वना मिश्रा, नेहा जायसवाल ने गालिब की गजलों को स्वर दिया। इनके साथ तबले पर अविनाश, बांसुरी पर प्रांजल सिंह, सितार पर श्रुति, गिटार पर पर्वपाल शर्मा ने संगत की। इस मौके पर डॉ. विश्वनाथ पाण्डेय, डॉ. सुमीता, वर्षा, मेजर एसआर सिंह, आनंद सिंह, विजय, अमित विशाल, राजकुमार जायसवाल आदि मौजूद रहे। संयोजन हितेश अक् तथा संचालन रोहित अग्रवाल ने किया।