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कृष्णानंद राय हत्याकांडः तारीखों के साथ याचिकाओं के जंजाल में वर्षों तक फंसा रहा केस

  विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की हत्या का केस पुलिसिया विवेचना के बाद गाजीपुर की अदालत में शुरू हो गया। इसी दौरान सीबीआई जांच का भी आदेश हो गया। सीबीआई ने लखनऊ में अपनी अदालत में...

कृष्णानंद राय हत्याकांडः तारीखों के साथ याचिकाओं के जंजाल में वर्षों तक फंसा रहा केस
योगेश यादव,वाराणसीThu, 04 Jul 2019 04:00 PM
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विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की हत्या का केस पुलिसिया विवेचना के बाद गाजीपुर की अदालत में शुरू हो गया। इसी दौरान सीबीआई जांच का भी आदेश हो गया। सीबीआई ने लखनऊ में अपनी अदालत में ट्रायल शुरू कर दिया। दोनों पक्ष पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हो गई। मुकदमा गाजीपुर में चले या लखनऊ की सीबीआई अदालत में। या फिर उसे प्रदेश के बाहर चलाया जाए। इसे लेकर वर्षों तक केस पर सुनवाई नहीं हो सकी।  

 कृष्णानंद की पत्नी अलका राय की याचिका पर हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया। आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को सही माना। साथ ही अलका राय की याचिका पर केस यूपी से बाहर लाकर दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ट्रांसफर कर दिया। तीस हजारी कोर्ट से मामला पटियाला हाउस कोर्ट गया और वहां से दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पहुंचने के बाद बुधवार को फैसला सुनाया गया। 

29 नवंबर 2005 को हत्याकांड के बाद पुलिस ने चार नामजद और चार लोगों के खिलाफ अज्ञात में केस दर्ज किया। मुख्तार के बहनोई एजाजुल हक, अताउर रहमान बाबू, मुन्ना बजरंगी और फिरदौस को नामजद करते हुए गोली चलाने वाला बताया गया। हत्याकांड के तीसरे दिन सबसे पहले एजाजुल हक ने सरेंडर कर दिया।  

फरवरी 2006 में पुलिस की ओर से तत्कालीन विवेचक एनटी सिंह ने एजाजुल हक की चार्जशीट लगाई लेकिन किसी अज्ञात का नाम नहीं खोला गया। चार्जशीट के बाद जांच में संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा और राकेश पांडेय उर्फ हनुमान, रामू मल्लाह और मुख्तार के चचेरे भाई मंसूर अंसारी का नाम जोड़ा गया। साजिशकर्ता के रूप में मुख्तार और अफजाल की चार्जशीट लगी। जीवा को दिल्ली में गिरफ्तार कर गाजीपुर लाया गया। 

जुलाई 2006 में सीबीआई जांच शुरू, लखनऊ में हुई सुनवाई 
वाराणसी। कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय पुलिसिया कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हुई और मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्याकांड के करीब आठ महीने बाद जुलाई 2006 को मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को दे दिया। 

सीबीआई ने मामले को हाथ में लेते ही तेजी से कार्रवाई की। सीबीआई ने सबसे पहले दिल्ली से गिरफ्तार जीवा से पूछताछ शुरू की। उससे पूछताछ के आधार पर सीबीआई ने भी चार्जशीट लगाई लेकिन किसी अज्ञात का नाम तब भी सामने नहीं आया। सीबीआई ने अगले ही महीने 17 अगस्त 2006 को राकेश पांडेय उर्फ हनुमान के रूप में पहली गिरफ्तारी की। राकेश को उसके मऊ स्थित घर से गिऱफ्तार किया गया। तब उसका गनर भी उसके साथ था। राकेश को रिमांड पर लेकर सीबीआई अपने साथ दिल्ली चली गई। वहां दस दिनों तक राकेश से पूछताछ होती रही। 26 अगस्त को रिमांड खत्म होने पर राकेश को लखनऊ जेल भेज दिया गया।

इसी दौरान सीबीआई ने रामू मल्लाह को गाजीपुर जेल से आरोपी बनाया और मंसूर अंसारी को शूटरों का सहयोग करने वाला बताया गया। अफरोज उर्फ चुन्नू पहलवान और चंदा का नाम जांच के दौरान सामने आया। बाद में सीबीआई ने इनके खिलाफ फाइनल रिपोर्ट लगा दी। 
एक साथ दो याचिकाओं के कारण पांच साल रुका रहा मामला: एक तरफ पुलिस की चार्जशीट के अनुसार गाजीपुर की अदालत में कृष्णानंद की हत्या का केस चलता रहा तो दूसरी तरफ सीबीआई अपनी जांच करती रही और लखनऊ की अदालत में मामले को चलाती रही। इसी बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट से अफजाल अंसारी को भी जमानत मिल गई।

सीबीआई केस को लखनऊ में चलाने के लिए हाईकोर्ट पहुंची। आरोपित चाहते थे कि गाजीपुर में केस चले। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि गाजीपुर में मुकदमे का संज्ञान लिया जा चुका है इसलिए लखनऊ के आरोपितों को गाजीपुर भेजा जाए। सभी आरोपित गाजीपुर भेज भी दिये गए। इसके खिलाफ अलका राय सुप्रीम कोर्ट पहुंच गईं। यूपी में गवाहों की हत्या का आरोप लगाया। अफजाल की जमानत रद कराने की याचिका भी दाखिल कर दी। केस गाजीपुर में चले, लखनऊ में चले या प्रदेश के बाहर चलाया जाए, इसका फैसला होने तक सुप्रीम कोर्ट ने गाजीपुर की अदालत में चल रहे केस के ट्रायल पर रोक लगा दी। पांच साल तक केस आगे नहीं बढ़ सका। 

2014 में केस दिल्ली ट्रांसफर हुआ
वाराणसी। कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय की याचिका पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में हत्याकांड का पूरा मामला दिल्ली टांसफर कर दिया। सबसे पहले इसे दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट लाया गया। यहां ट्रायल शुरू हुआ और गवाहियां भी हुईं। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि प्रदेश के माननीय के मुकदमे दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में चलेंगे। इसे देखते हुए केस पटियाला हाउस कोर्ट पहुंच गया। वहां से तीन महीने पहले बनी नई कोर्ट राउस एवेन्यू मामला पहुंचा और बुधवार को फैसला आ गया। इस दौरान 48 गवाहियां हुईं।

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